शास्त्रीपुरम में सनातन रक्षा ट्रस्ट का भव्य दशहरा उत्सव
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा। शास्त्रीपुरम में दशहरा पर्व पर सनातन रक्षा ट्रस्ट द्वारा एक अलौकिक और आध्यात्मिक आयोजन किया गया। पूरे क्षेत्र में श्रद्धा और उत्साह का अनूठा संगम देखने को मिला।
राम-लक्ष्मण की शोभायात्रा
दशहरे के इस पावन अवसर पर राजा श्रीराम और उनके अनुयायी की भव्य शोभायात्रा निकाली गई। ट्रस्ट द्वारा व्यवस्थित इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे। पूरा मार्ग भक्तिमय वातावरण से गुंजायमान रहा और उपस्थितजन “जय श्रीराम” के उच्चारित नारों से उठते रहे।
रावण दहन — बुराई का अंत
शास्त्रीपुरम ए-ब्लॉक के पार्क में बुराई के प्रतीक रावण का पारंपरिक दहन संपन्न हुआ। जब अग्नि में रावणधरात उतरा, तो पूरा क्षेत्र जयघोष से गुंजायमान हो उठा — यह दृश्य आशा और निश्चय का प्रतीक था।
बाल कलाकारों का अभिनय
मंचन में अर्षित ने श्रीराम की भूमिका, अधिराज ने अंगद की भूमिका और रियांशु ने सुग्रीव की भूमिका निभाकर दर्शकों का मन मोह लिया। इन नन्हें कलाकारों के समर्पित अभिनय ने कार्यक्रम को भावनात्मक ऊँचाइयाँ दीं।
संयोजन और नेतृत्व
आयोजन का सुचारु प्रवाह संयोजक साकेत जी, अध्यक्ष धर्मपाल जी, सचिव सुमित जी, मीडिया प्रभारी महावीर जी तथा सुरक्षा प्रमुख मुकेश जी के समन्वय और नेतृत्व का प्रतिफल था। इनकी योजनाबद्ध व्यवस्थाओं ने कार्यक्रम को अनुशासित और प्रभावी रखा।

समूह प्रयास — सेवाभाव और सहयोग
आयोजन को सफल बनाने में दिनेश चंद्र जी, शिवकुमार जी, मुनेन्द्र जी, रवीन्द्र चौधरी, रवीन्द्र त्यागी, रवीन्द्र वर्मा, चन्द्रपाल जी, रोहित जी, डॉ. अनुराग जी, डॉ. दिवाकर जी, भारत भूषण जी, श्रीमती मंजू वार्ष्णेय, मीनाक्षी शर्मा, कामिनी जी, इंदु जी और कुमारी प्रगति सहित अनेक समाजसेवियों ने समर्पित सहयोग दिया। समाज का यह मिलन दर्शाता है कि सामूहिक इच्छाशक्ति से बड़े से बड़े आयोजन भी सहजता से सम्भव हैं।
संपादकीय — सनातन रक्षा ट्रस्ट: परंपरा का संरक्षक, समाज का सेवक
आज शास्त्रीपुरम में जो कुछ देखने को मिला, वह केवल उत्सव नहीं था — यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान और सामुदायिक उत्तरदायित्व का जीवंत उदाहरण था। सनातन रक्षा ट्रस्ट ने न केवल परंपरागत रीति-रिवाजों को जीवित रखा, बल्कि शहर के नागरिकों को जोड़कर एक ऐसा मंच प्रस्तुत किया जिसने सामाजिक समरसता और अनुशासन दोनों को प्राथमिकता दी।
ट्रस्ट का यह प्रयास दिखाता है कि संस्कृति और आधुनिकता के मध्य संतुलन रखते हुए समुदाय को कैसे सशक्त बनाया जा सकता है। कार्यक्रम की व्यवस्थाएँ — कलाकारों की तैयारी, दर्शकों की सुरक्षा, साफ़-सफाई और मीडिया कवरेज — हर पहलू में स्पष्टता और पेशेवराना दृष्टिकोण दिखाई दिया। यह नियंत्रित और संवेदनशील नेतृत्व का परिणाम था, जो केवल आयोजनों तक सीमित नहीं रहता, बल्कि स्थानीय जीवनशैली पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।
हमें ऐसे संस्थानों का समर्थन सक्रिय रूप से करना चाहिए — न केवल शब्दों में, बल्कि समय, भागीदारी और संसाधन देकर। जब स्थानीय संस्थाएँ मज़बूत होंगी, तभी हमारी सामाजिक बुनावट भी मज़बूत रहेगी। सनातन रक्षा ट्रस्ट ने जो मिसाल पेश की है, वह केवल शास्त्रीपुरम तक सीमित न रहकर अन्य मोहल्लों और शहरों में भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
अंत में, इस तरह के आयोजन समाज की आत्मा को ताजगी देते हैं — वे हमें जोड़ते हैं, हमें हमारी जड़ों की याद दिलाते हैं और एक बेहतर सामुदायिक भविष्य की ओर प्रेरित करते हैं। सनातन रक्षा ट्रस्ट को हमारी ओर से सादर नमन और हार्दिक शुभकामनाएँ — ऐसे ही संगठन हमें अपनी परंपराओं और सामूहिक ज़िम्मेदारियों से जोड़े रखें।
जय श्रीराम — और जय उस सामुदायिक आत्मा की जो हर वर्ष हमें जोड़ती और उज्जवल बनाती है।
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