दीनदयाल धाम में हजारों लोगों से हाथ उठवाए, पूजा के समय प्रार्थना का आह्वान
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को सरलतम शब्दों में समझाया
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Mathura, Uttar Pradesh, Bharat, India. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को सरलतम शब्दों में समझाया। साथ ही उन्होंने उपस्थित हजारों लोगों को संकल्प दिलाया- मृत्यु अखंड भारत में हो, चीन के कब्जे से कैलाश मानसरोवर मुक्त हो, पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) हमारा था फिर से हमारा हो। पूजा के समय ये पंक्तियां बोलने का संकल्प दोनों हाथ उठवाकर कराया। उन्होंने हमास द्वारा इजरायल पर हमले को अमानवीय कृत्य बताया।
श्री इंद्रेश जी पं. दीनदयाल उपाध्याय स्मृति महोत्सव मेला में 12 अक्टूबर को एकात्म मानववाद विषय पर संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने संकल्प दिलाया – हे प्रभु, देवी भगवती, चीन के कब्जे से कैलाश मान सरोवर मुक्त हो, हमारा था, फिर से देव मानवों का हो। उन्होंने कहा कि पूजा के समय प्रार्थना करते रहें और बाकी भगवान जी पर छोड़ दें। उन्होंने नारे लगवाए- भारत माता की जय, वंदे मातरम, हिन्दुस्तान जिंदाबाद, एक हिन्द- जय हिन्द, आवाज दो- हम एक हैं, लव एंड सैल्यूट टु- मदर इंडिया मदर इंडिया।
आरएसएस प्रचारक ने कहा कि राम और कृष्ण को जानना व मानना होगा, तब दीनदयाल जी का एकात्म मानववाद समझ में आएगा। राम ने अहिल्या का उद्धार करके मातृशक्ति का वंदन किया। शबरी के झूठे बेर खाकर गले लगाया तो भगवान बन गए। लक्ष्मण ने नहीं खाए तो महापुरुष ही रहे। कृष्ण की गद्दी पर कोई राजा नहीं बैठ सका, बैठा तो वह जिसके पास तन ढकने तक को कपड़ा नहीं था। इतिहास ने उसे सुदामा कहा है। भारत देश की गरीबी का मान सम्मान अपनी सगी औलाद की तरह करें, ये एकात्म मानववाद है। एक ही आत्मा का स्पर्श सबमें हो। पेट में रोटी नहीं तो सब बेकार है। दीनदयाल जी मानवीय जीवन की थाती थे। वे सब्जी वाली को भूल से दिया खोटा सिक्का वापस ले आए थे। वे भले ही आर्थिक गरीब थे लेकिन चरित्र से धनाढ्य थे।

उन्होंने कहा- हिन्दू विचारधारा को माइथोलॉजी न कहें, यह फिलॉस्फी थी, है और रहेगी। माइथोलॉजी कहने का अपराध अगर किया है तो प्रायश्चित करें कि आज के बाद नहीं कहेंगे। गीता पढ़ी तो लज्जा आएगी, ये पाप नहीं करना है। जिसे सनातन का ज्ञान है उसे डिबेट में कोई मुश्किल नहीं होगी। मैंने लाखों मुसलमानों से संवाद किया है। अपने बुजुर्गों को अनपढ़ कहना असंवेदनशीलता है। छुआछूत अपराध है, पाप है, अधर्म है। गरीब, अपनढ़, दिव्यांग भी अपना है। गरीब हमें बदले में पुण्य देता है, जो प्रशंसा के रूप में मिलता है।
संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि हम सबका डीएनए एक है। जितनी जल्दी इसे समझ जाएंगे, उतनी जल्दी अच्छा होगा। हिन्दुस्तान में रहने वाले हर व्यक्ति को अपनी भाषा में ही ड्रीम आते हैं। हम जिस देश के हैं, उसी से पहचान होती है। जैसे ऋषि सुनक और कमला हैरिस को आज भी भारतीय मूल का लिखा जाता है। हम अपने पूर्वजों को कभी नहीं बदल सकते। भारत मोहम्मद असलम और राम-श्याम के पूर्वजों का है, आय और आशा, मारगेट और राम सिंह के पूर्वजों का है। एकात्म मानववाद की आत्मा में हम एक थे, एक हैं और एक रहेंगे। हर धर्म वाला ऊपर वाले में विश्वास करता है, जिसका कोई पर्यायवाची नहीं है। मतलब ईश्वर एक है, एक था और एक रहेगा। दुनिया में हम सबकी चिंता ऊपर वाला करता है। पालन पोषण धरती माता करती है। तभी तो कहते हैं- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। इस्लाम कहता है- मां के कदमों में जन्नत है और जो मां और वतन का नहीं, वह किसी का नहीं। आज हाल यह है कि जब चाहें तब हिंसक हो जाते हैं, यह नहीं चलेगा।

भारत ने जी-20 की अध्यक्षता लेते समय विश्व को दंगा, गरीबी, छुआछूत, प्रदूषण, अस्वच्छता, लैंगिक भेदभाव से मुक्त करने की बात कही। तभी तो कहा कि दुनिया की समस्याओं का समाधान वसुधैव कुटुम्बकम में है। शिकागो धर्म सम्मेलन में नरेन्द्र ने दुनिया को समाधान दिया और अब दूसरा नरेन्द्र (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी) भी समाधन दे रहा है, रास्ता दिखा रहा है।
इन्द्रेश जी ने शिकागो धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ने जब मानवता का नेतृत्व किया तो सबको भाई-बहन कहकर संबोधित किया। विवेकानंद प्रकाश स्तंभ बने तो अपने चरित्र से न कि कपड़ों से। जिस ब्रिटेन के शासन में सूरज तक नहीं डूबता था, उसे भारत ने 1947 में उखाड़ फेंका था। चीन कोरोना लेकर आया। 70-80 लाख लोग मारे गए। भारत में 5 लाख मौतें हुईं। जिन्हें आज हम बड़ी ताकत कहते हैं, वे कोरोना काल में फेस हो गईं। कोरोना की प्रारंभिक दवाई काढ़ा और अंतिम दवाई वैक्सीन भारत ने दी। भारत काढ़ा न देता तो दुनिया के नक्शे से कई देश मिट जाते। 200 से अधिक मत-पंथों का सम्मान भारत में है, हर धर्म का पूजा स्थल है, इस तरह की भावना रखने वाले समाज को कट्टर कहना नहीं चलेगा। अलास्का में तीन धर्म वाले हर साल लड़ते हैं। भारत ऐसा देश है जो किसी के साथ भी एट वॉर नहीं है। ऐसे भारत को समझाने वाले का नाम दीनदयाल उपाध्याय है।

इससे पूर्व स्वामी चित्तप्रकाशनंद ने बृज भूमि और भारत माती की जय के साथ अपना उद्बोधन शुरू किया। उन्होंने कहा- बृजभूमि का सौभाग्य है कि ऐसा महापुरुष का जन्मदिवस है जिसने राजनीति में क्रांति ला दी। उसके सामने अन्य दलों की विचारधाराएं बौनी प्रतीत होती हैं। उन्होंने दीनदयाल उपाध्याय को राष्ट्र ऋषि बताते हुए कहा कि साधना की एक विधा यह भी है कि मनुष्य अपनी विकास करते हुए पराशक्ति से जुड़े। वे हम साधकों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। दीनदयाल उपाध्याय ने जो राजनीतिक दर्शन दिया वह अध्यात्म दर्शन है। चन्द्रगुप्त के समय जो आदर्श चाणक्य ने स्थापित किया था, वह दीनदयाल उपाध्याय ने किया कि राष्ट्र की संपत्ति राष्ट्र हित में लगनी चाहिए, व्यक्तिगत हित में नहीं।
डॉ. कमल कौशिक ने पं. दीनदयाल उपाध्याय का संक्षिप्त जीवन परिचय दिया। उन्होंने कहा कि विरोधियों ने दीनदयाल उपाध्याय की हत्या कर दी लेकिन विचारों की हत्या न कर सके। क्षेत्र के लोग मेला में एक-डेढ़ माह रहकर रोजी-रोटी जुटाते हैं। यह मेला स्वच्छता का संदेश भी देता है।
मंच पर मेला समिति के अध्यक्ष एडवोकेट सोहनलाल शर्मा, संघ के मथुरा विभाग संघचालक एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. वीरेन्द्र मिश्र उपस्थित रहे। मेला मंत्री मनीष अग्रवाल, विजय बंटा, श्याम प्राकश पांडे, नीरज, जगमोहन पाठक, डॉ. संजय आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। अतिथियों ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया। कन्हैया ने एकल गीत प्रस्तुत किया। परखम में बन रहे गौ अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केन्द्र के बारे में भी जानकारी दी गई।
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कार्यक्रम में संघ के क्षेत्र प्रचारक महेन्द्र जी, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, केशव देव शर्मा, हरिशंकर शर्मा, निर्मला दीक्षित, अरुण गर्ग आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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