डॉ. भानु प्रताप सिंह
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है। इस्तीफे के बाद उन्होंने पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पर जिस तरह से प्रहार किया है, उससे साफ है कि उनके सामने इस्तीफे की मजबूरी थी। उन्होंने सिद्धू को देशद्रोही तक करार दिया है। कैप्टन और सिद्धू के बीच तलवारें कई महीने से खिंची हुई थीं, लेकिन नौबत यहां तक पहुंच जाएगी, यह कल्पान से परे है। सही बात तो यह है कि कोई भी मुख्यमंत्री हो या राज्यपाल, कुर्सी नहीं छोड़ना चाहता है, ऐसी परिस्थितियां बन जाती हैं कि इस्तीफा देना पड़ता है या ले लिया जाता है। पंजाब में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके चलते कैप्टन के इस्तीफे के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं।
फिलहाल पंजाब में कांग्रेस का पर्याय कैप्टन अमरिन्दर सिंह हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कांग्रेस संगठन को कोई खास तवज्जो नहीं दी। राहुल गांधी और सोनिया गांधी के खिलाफ देश में किसी ने भी कोई बयान दिया तो कैप्टन अमरिंदर सिंह तत्काल जवाबी बयान जारी करते थे। जून, 2020 में भारत और चीन के सैनिकों में लद्दाख और अक्साई चिन के बीच भारत और चीन सीमा के पास गलवान घाटी में भिड़ंत हुई थी। इस बारे में राहुल गांधी के बयानों का विरोध हो रहा था। तब पूर्व सेना अधिकारी के रूप में कैप्टन ने मोर्चा संभाला था। किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ट्रैक्टर यात्रा अगर सफल रही तो यह कैप्टन का करिश्मा था। किसान आंदोलन को लम्बा खींचने में कैप्टन का मुख्यमंत्री के रूप में और व्यक्तिगत रूप से सहयोग है। ऐसे मुख्यमंत्री को भी अगर आलाकमान हटाता तो यह विचारणीय है कि आखिर कांग्रेस में किसका भविष्य सुरक्षित है? भाजपा ने गुजरात में विजय रूपाणी और उत्तराखंड में एक साल में तीन मुख्यमंत्री बदले हैं, लेकिन किसी ने भी कैप्टन की तरह प्रतिक्रिया नहीं दी है। कैप्टन की प्रतिक्रिया से स्पष्ट है कि वे कितने कष्ट में हैं।
पंजाब में मुख्यतः चार पार्टी ताकतवर हैं– कांग्रेस, अकाली दल और आम आदमी पार्टी। सभी विपक्षी दल कैप्टन को घेरने का प्रयास करते हैं लेकिन घेरे में नहीं आते हैं। विपक्षियों पर हमेशा भारी रहते हैं। यहां तक कि मुख्य विपक्षी दल ‘आप’ को भी दबाकर रखा है। निडरता के साथ बात करते हैं। उनकी पहचान दबंग मुख्यमंत्री के रूप में है। 80 वर्ष के होने के बाद भी उनकी सक्रियता देखकर किसी भी को ईर्ष्या हो सकती है। उन्होंने ऐसे अनेक काम किए, जो मिसाल बने हैं। नशा कारोबार पूरी तरह थमा तो नहीं लेकिन कम जरूर हुआ है। पंजाब पुलिस ने ही नशीली दवाइयों के ‘आगरा गैंग’ का खुलासा किया है। कोरोना काल में पंजाब में अद्भुत काम हुए।
मेरा मत यह है कि कैप्टन के रहते पंजाब में कांग्रेस को हरा पाना संभव नहीं था। कांग्रेस आलाकमान ने कैप्टन का इस्तीफा लेकर भाजपा को आगे बढ़ने का मौका दिया है, जो फिलवक्त अपनी अलग पहचान दर्ज कराने के लिए बेकरार है। पंजाब में भाजपा से अकाली दल अलग हो चुका है। 2022 के चुनाव में भाजपा को अपनी असली ताकत का अंदाज लगेगा। भाजपा खुश हो सकती है कि उसे कैप्टन की विदाई से विधानसभा चुनाव में कुछ कर दिखाने का अवसर मिल गया है। मैंने एक अखबार के स्टेट हेड के रूप में पंजाब को निकटता से देखा है और कैप्टन अमरिन्दर सिंह के आगे एक न चलने की भाजपा की बेचैनी भी देखी है।
डॉ. भानु प्रताप सिंह राजस्थान पत्रिका के डिजिटल एडिशन के आगरा जोन का पांच साल तक संपादक रहा। फिर अचानक ही चंडीगढ़ भेज दिया गया। पंजाब में एक साल काम कर पाया। कोरोना के कारण भ्रमण कम हो गया। राजस्थान पत्रिका के संपादक श्री भुवनेश जैन का फोन आया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इंटरव्यू करो। मैंने जुगाड़-तुगाड़ लगाकर 8 अप्रैल, 2020 को उनका इंटरव्यू किया।
- Telangana Dental Council Clarifies: Oral and Maxillofacial Surgeons Are Qualified to Perform Facial Aesthetic Procedures and Hair Transplantation - June 30, 2025
- उत्तराखंड में भारी बारिश, चारधाम यात्रा रोकी गई, यमुनोत्री मार्ग पर बादल फटा, 9 मजदूर लापता - June 29, 2025
- Agra News: भाजपा कार्यकर्ताओं ने महानगर के सभी 1760 बूथों पर सुनी पीएम मोदी के मन की बात, ‘एक पेड़ मां के नाम’ के तहत पौधे भी रोपे - June 29, 2025