ब्रजप्रान्त कार्यकारिणी की घोषणा यानी साहित्यिक सूर्योदय
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आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत। अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य भारती, उत्तर प्रदेश के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने ब्रजप्रान्त एवं जिला कार्यकारिणी की औपचारिक घोषणा की। यह आयोजन संस्कृति भवन, विश्वविद्यालय परिसर में सम्पन्न हुआ।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर आर.बी.एस. कॉलेज, आगरा के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. युवराज सिंह को ब्रजप्रान्त का कार्यकारी अध्यक्ष, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और प्रबंधन विषय में हिंदी माध्यम से शोध करने वाले विश्व में प्रथम डॉ. भानु प्रताप सिंह को उपाध्यक्ष, तथा डॉ. सौरभ देवा, आर.बी.पी.जी. कॉलेज, आगरा के सहायक प्रोफेसर (समाजशास्त्र) को संयुक्त महामंत्री घोषित किया गया।
वहीं, प्रख्यात लेखिका डॉ. यशोधरा यादव ‘यशो’ को जन संचार सह संयोजक, और डॉ. लवकुश मिश्रा, डीन – ट्रेवल एण्ड टूरिज्म विभाग, डॉ. बी.आर. आंबेडकर विश्वविद्यालय को प्रान्तीय मार्गदर्शक नियुक्त किया गया।

जिला कार्यकारिणी में नवजीवन का संचार
आगरा कॉलेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा को जिलाध्यक्ष बनाया गया।
डॉ. कृष्ण पाल सिंह (विमला देवी इंटर कॉलेज, गढ़ीरामी – अंग्रेज़ी प्रवक्ता) को कार्यकारी जिलाध्यक्ष, डॉ. दुष्यन्त कुमार सिंह (आर.बी.एस. इंटर कॉलेज, कृषि प्रवक्ता) को जिला महामंत्री नामित किया गया।
मनोज गुप्ता को उपाध्यक्ष एवं पत्रकार ओमप्रकाश गौर को जन संचार संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई।
जिला संरक्षक मण्डल: अनुभव और मार्गदर्शन का समागम
डॉ. सुरेन्द्र सिंह (लेखक, वरिष्ठ पत्रकार), श्री राजीव सक्सेना (समाजसेवी व वरिष्ठ पत्रकार), डॉ. कुंजिल सिंह चाहर (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य) तथा एडवोकेट भुवनेश पालीवाल को जिला संरक्षक मण्डल में स्थान मिला।

सम्मान, शपथ और साहित्यिक संकल्प
घोषणा के पश्चात डॉ. देवी सिंह नरवार ने सभी नव नियुक्त पदाधिकारियों का पटका पहनाकर और माल्यार्पण कर अभिनंदन किया। इसके उपरांत उन्हें शपथ दिलाई गई एवं संस्था की रीति-नीति, उद्देश्य एवं कार्यपद्धति से परिचित कराया गया।
गुरु पूर्णिमा से लेकर हिन्दी दिवस तक: कार्ययोजना की झलक
गुरु पूर्णिमा (10 जुलाई) के दिन “गुरु-शिष्य परम्परा” पर आधारित परिचर्चा आयोजित की जाएगी। इसके अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास जयन्ती (31 जुलाई) पर विशेष आयोजन तथा हिन्दी दिवस (14 सितम्बर) को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन प्रस्तावित है।
हिन्दी व्याकरण कार्यशाला: भाषा चेतना का नवसंस्कार
डॉ. नरवार ने छात्रों में हिन्दी व्याकरण की गिरती स्थिति पर चिंता व्यक्त की। संस्था ने निर्णय लिया है कि 11 से 14 वर्ष की आयु के कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए व्याकरण कार्यशाला आयोजित की जाएगी।
इस कार्यशाला में संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, पर्यायवाची, विलोम शब्द, विराम चिन्हों आदि का शिक्षण कराया जाएगा।
आगरा जनपद के 100 माध्यमिक विद्यालयों – 50 UP बोर्ड व 50 CBSE बोर्ड के विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी और विजेताओं को 14 सितम्बर को सम्मानित किया जाएगा। यह कार्यक्रम 10 सितम्बर तक सम्पन्न होगा।
“राजनीतिक विरोध से नहीं बचेगी हिन्दी”: डॉ. नरवार का स्पष्ट वक्तव्य
एक पत्रकार द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में डॉ. देवी सिंह नरवार ने कहा कि “राजनीतिक हथियार के रूप में हिन्दी का विरोध न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और अखण्डता के लिए भी घातक है।”
संपादकीय: साहित्य की यह ज्योति अनंत तक प्रकाशित हो
हिन्दी साहित्य भारती की यह नवघोषित कार्यकारिणी न केवल साहित्यिक पुनर्जागरण का संकेत देती है, अपितु एक संस्थागत संकल्प भी है कि हिन्दी भाषा की गरिमा को उसके व्यवहारिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक धरातल पर पुनर्स्थापित किया जाए।
ब्रज भूमि, जो सदियों से भक्ति, काव्य और संस्कृति की जननी रही है, अब एक बार पुनः हिन्दी के नव विकास का केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है। यह आशा की जानी चाहिए कि यह कार्यकारिणी अपने साहित्यिक दायित्व को केवल संगठनात्मक स्तर तक सीमित न रखे, बल्कि जनमानस तक पहुँचाकर एक जीवंत आन्दोलन का स्वरूप ग्रहण करे।
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