भारतीय ज्ञान परंपरा से पुनर्जागरण की ओर:
उत्कृष्ट शिक्षा और सामाजिक दायित्व का संकल्प दोहराया प्रो. आशु रानी ने
भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित विशेष व्याख्यान
आगरा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के संस्कृति भवन में आज प्रोजेक्ट ओपन क्लास के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम अकादमिक विमर्श के साथ-साथ समाज और संस्कृति के प्रति जागरूकता का सशक्त मंच बनकर उभरा।
दीप प्रज्ज्वलन से ज्ञानयज्ञ का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। यह क्षण ज्ञान, परंपरा और नवचेतना के संगम का प्रतीक बन गया।
हर परंपरा के पीछे छिपा है विज्ञान
इस विशेष व्याख्यान माला के मुख्य वक्ता केंद्रीय हिंदी संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर उमापति दीक्षित रहे। उन्होंने कहा कि भारत की प्रत्येक परंपरा के पीछे संपूर्ण विज्ञान निहित रहा है। हमारी प्रथाएँ वैज्ञानिक सोच पर आधारित थीं, किंतु बाद के कालखंडों में आक्रांताओं ने इन्हें नष्ट कर दिया और भारतीयों के मन में हीन भावना विकसित कर दी, जिससे हम वैश्विक मंच पर पिछड़ते चले गए।
पुनर्जागरण काल में सहभागिता का आह्वान
प्रोफेसर दीक्षित ने कहा कि आज भारत पुनः पुनर्जागरण के काल से गुजर रहा है। इस दौर को समझना और इसमें अपना योगदान देना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है, तभी भारत अपनी सांस्कृतिक और बौद्धिक गरिमा को पुनः स्थापित कर सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय जर्नल का लोकार्पण
इस अवसर पर प्रोफेसर लवकुश मिश्रा द्वारा संपादित तथा विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित इंटरनेशनल जर्नल ऑफ टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी का लोकार्पण कुलपति महोदया द्वारा किया गया।
सेवा भावना को मिला मुस्कान सम्मान
समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए इंडियन बैंक खंदारी शाखा की अधिकारी श्रीमती नेहा गोयल, ताजमहल में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के सीनियर कमांडेंट वैभव कुमार दुबे तथा इंडिया पोस्ट के अशोक गौरव जैन को मुस्कान सेवा सम्मान–2025 प्रदान किया गया।
उत्कृष्ट शिक्षा के साथ सामाजिक संकल्प
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर आशु रानी ने कहा कि विश्वविद्यालय उत्कृष्ट शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों के लिए दृढ़ संकल्पित है। बहुत कुछ किया जा चुका है और बहुत कुछ किया जाना बाकी है, जो समाज के सहयोग से ही संभव होगा।
शताब्दी वर्ष में नई ऊर्जा
कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय शीघ्र ही अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश करेगा और नई ऊर्जा के साथ समाज निर्माण में अपनी भूमिका को और अधिक सशक्त करेगा। विश्वविद्यालय ने NAAC में A+ ग्रेडिंग तथा NIRF में अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर नई ऊँचाइयों की ओर कदम बढ़ाया है।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन
कार्यक्रम का कुशल एवं गरिमामय संचालन प्रोफेसर लवकुश मिश्रा द्वारा किया गया।
संपादकीय
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी आज केवल एक प्रशासक नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय की आत्मा और दिशा दोनों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने अकादमिक उत्कृष्टता को सामाजिक चेतना से जोड़ने का साहसिक और दूरदर्शी कार्य किया है।
NAAC में A+ ग्रेडिंग, NIRF में सशक्त उपस्थिति और शोध, खेल व सामाजिक सेवा में निरंतर प्रगति इस बात का प्रमाण है कि प्रोफेसर आशु रानी का नेतृत्व केवल कागज़ी उपलब्धियों तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव का प्रतीक है। उन्होंने विश्वविद्यालय को समाज से जोड़ा, छात्र-छात्राओं को उद्देश्य दिया और शिक्षकों को नवाचार की प्रेरणा प्रदान की।
शताब्दी वर्ष की दहलीज़ पर खड़ा यह विश्वविद्यालय उनके मार्गदर्शन में नई चेतना, नई ऊर्जा और नए संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि प्रोफेसर आशु रानी के नेतृत्व में डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय एक आदर्श, प्रगतिशील और समाजोन्मुख शैक्षणिक संस्था के रूप में स्थापित हो रहा है।
डॉ भानु प्रताप सिंह, संपादक
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