नई दिल्ली: भारत का इन्फ्रास्ट्रक्चर आज जिस तेज़ी से बदल रहा है, उसमें ‘इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी’ (आईटीयू) एक बड़ा गेमचेंजर साबित हो रहा है। आईटीयू मॉडल का मतलब है पोर्ट, रेल, रोड, एयर और लॉजिस्टिक्स सर्विसेज़ को एकीकृत करना, ताकि माल और लोगों की आवाजाही तेज़, सस्ती और प्रभावी हो सके। इस मोर्चे पर अदाणी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (एपीएसईजेड) ने जो पहल की है, वह भारत को न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि विश्व के बड़े पोर्ट्स को टक्कर भी दे रही है।
क्या है इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी मॉडल
आईटीयू यानी ‘इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट यूटिलिटी’ एक ऐसा फ्रेमवर्क है, जिसमें एक ही प्लेटफॉर्म पर पोर्ट, रेल, सड़क, हवाई मार्ग और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को जोड़ा जाता है। इससे न केवल माल ढुलाई में समय और लागत की बचत होती है, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला में भी जबरदस्त सुधार होता है।
अदाणी पोर्ट्स: भारत का सबसे बड़ा लॉजिस्टिक्स नेटवर्क
एपीएसईजेड ने देशभर में अपने पोर्ट्स को रेल, सड़क और एयर कनेक्टिविटी से जोड़कर आईटीयू मॉडल का बेहतरीन उदाहरण पेश किया है:
मुंद्रा पोर्ट (12,500+ हेक्टेयर):
डबल ट्रैक इलेक्ट्रिफाइड रेलवे (64 किमी), दो स्टेट हाईवे से सीधा जुड़ाव, और 1900 मीटर लंबा एयरस्ट्रिप।
धामरा पोर्ट (2000+ हेक्टेयर):
देश की सबसे लंबी 62.5 किमी NGR इलेक्ट्रिफाइड रेल लाइन और NH-16 से कनेक्टिविटी।
कृष्णपट्टनम पोर्ट (2750+ हेक्टेयर):
23 किमी लंबी चार लेन की रोड और भारतीय रेलवे नेटवर्क से जुड़ाव।
गंगावरम पोर्ट (1000+ हेक्टेयर):
NH-5 से जुड़ा 3.8 किमी चार लेन एक्सप्रेसवे और ट्विन रेलवे लाइन से लिंक।
इन सभी पोर्ट्स पर डिजिटल सिस्टम से लेकर रियल टाइम रेक ट्रैकिंग, ऑटोमेटेड कंटेनर डिपो मैनेजमेंट (टीओएस), ट्रक मैनेजमेंट और पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी टेक्नोलॉजी लागू की गई है।
वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी और सर्विस
एपीएसईजेड लगातार टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निवेश कर रहा है। 2022 में ‘ओशन स्पार्कल’ और 2024 में ‘एस्ट्रो ऑफशोर’ जैसे मरीन कंपनियों का अधिग्रहण करके अदाणी ने अपनी तीसरी पार्टी मरीन फ्लीट को 118 जहाजों तक पहुंचा दिया है। यह क्षमता भारत में किसी निजी कंपनी के पास सबसे अधिक है।
हालांकि जेएनपीटी, पारादीप जैसे सरकारी पोर्ट्स और कुछ निजी पोर्ट्स (जैसे डीपी वर्ल्ड) भी आईटीयू मॉडल की तरफ बढ़ रहे हैं, लेकिन अदाणी का स्केल, स्पीड और टेक्नोलॉजी एडॉप्शन उसे उनसे कहीं आगे खड़ा करता है।
जेएनपीटी जैसे पोर्ट्स पर अभी भी रेक प्लेसमेंट, कंटेनर ट्रैकिंग और इंटीग्रेटेड डाटा सिस्टम की चुनौतियां बनी हुई हैं। वहीं, अदाणी के पोर्ट्स पर ऑटोमेशन से लेकर स्मार्ट गेट मैनेजमेंट तक सारी चीजें डिजिटली नियंत्रित हैं।
भारत बनाम दुनिया: अब बराबरी का मुकाबला
दुनिया के सबसे व्यस्त पोर्ट्स – जैसे शंघाई, सिंगापुर और रॉटरडैम – की तुलना में अब भारतीय पोर्ट्स खासकर एपीएसईजेड कई मायनों में टक्कर देने लगे हैं।
टर्नअराउंड टाइम: कंटेनर की तेजी से लोडिंग-अनलोडिंग।
कार्बन एमिशन: इलेक्ट्रिफाइड रेल और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी से उत्सर्जन में कमी।
डिजिटल: ट्रैकिंग, कस्टम क्लियरेंस और डॉक्यूमेंटेशन पूरी तरह ऑटोमेटेड।
हालांकि, अभी भी जमीन अधिग्रहण, मंत्रालयों के बीच समन्वय और कुछ इंफ्रास्ट्रक्चर गैप जैसी चुनौतियां मौजूद हैं। लेकिन पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और नीति सहयोग से ये दूर की जा सकती हैं।
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