सर्वोच्च न्यायालय ने प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम-केयर्स कोष) के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) से इसका ऑडिट कराने की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता से इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने और मामले में समीक्षा याचिका दायर करने को कहा। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने रिट याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया।
इस पर पीठ ने कहा, ‘आपकी यह बात सही हो सकती है कि सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया गया। हमें नहीं पता कि क्या आपने तर्क दिया था। आप जाएं और समीक्षा याचिका दायर करें।’ अदालत की इस टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में दायर अधिवक्ता दिव्या पाल सिंह की इस अपील में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 31 अगस्त 2020 के फैसले को चुनौती दी गई थी। हाईकोर्ट ने 18 अगस्त 2020 के शीर्ष अदालत के फैसले के बाद जनहित याचिका खारिज कर दी थी। शीर्ष अदालत ने पीएम-केयर्स फंड के सीएजी ऑडिट की मांग करने वाली सीपीआईएल नामक एनजीओ की याचिका को खारिज कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए पीएम-केयर्स फंड में दान की गई धनराशि को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) में स्थानांतरित करने का निर्देश देने से इंकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि दोनों कोष अलग-अलग तरह के हैं और दोनों का उद्देश्य भी अलग है।
-एजेंसियां
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