आगरा। हाल ही में घोषित GST 2.0 को लेकर देशभर में जहां सरकार ने इसे व्यापार में सुगमता, कर स्लैब में कमी और उपभोक्ता वस्तुओं को किफायती बनाने वाला कदम बताया है, वहीं कागज़ व्यापार से जुड़े लोग इसे विडंबना मान रहे हैं।
वित्त मंत्री के अनुसार 99 प्रतिशत वस्तुओं पर कर स्लैब कम किया गया है, मगर रोज़मर्रा की जिंदगी में अनिवार्य रूप से उपयोग होने वाला कागज़ उसी शेष 1 प्रतिशत में डाल दिया गया। यह वही कागज़ है जो दादाजी के अखबार से लेकर बच्चों की कापी-किताब, जन्म प्रमाण पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र तक हर जगह जरूरी होता है।
कागज़ व्यापार मंडल का कहना है कि सरकार ने बड़े-बड़े प्रचार में बताया कि बच्चों की पढ़ाई सस्ती होगी, लेकिन हकीकत इसके उलट है। नवरात्रि संवत् 2082 से लागू होने वाले प्रावधानों के तहत बच्चों की कापी 18 प्रतिशत और कागज़ करीब 6 प्रतिशत महंगा हो जाएगा। व्यापारी वर्ग इसे सरकार की ओर से मिला “विशेष नवरात्रि उपहार” बता रहा है।
पूर्व अध्यक्ष विजय बंसल, आगरा कागज़ व्यापार मंडल ने कहा कि GST 2.0 सुधार निश्चित रूप से कई क्षेत्रों के लिए प्रगतिशील हैं, लेकिन कागज़ उद्योग के लिए यह उलझन और लागत वृद्धि लेकर आया है। “सरकार के इस निर्णय से ऐसा प्रतीत होता है कि कागज़ अब आवश्यकता नहीं, बल्कि विलासिता की वस्तु है।”
रिपोर्टर- पुष्पेंद्र गोस्वामी
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