भारत के प्रसिद्ध बांसुरी वादक पन्नालाल घोष की आज पुण्यतिथि है। 24 जुलाई 1911 को पूर्वी बंगाल के बारीसाल में जन्मे पन्नालाल घोष की मृत्यु 20 अप्रैल 1960 को दिल्ली में हुई थी। उनका असली नाम ‘अमूल ज्योति घोष’ था।
पन्नालाल घोष को “बांसुरी का मसीहा” नई बांसुरी का जन्मदाता और भारतीय शास्त्रीय संगीत का युगपुरुष कहा जाता है क्योंकि उन्होंने लोक वाद्य बाँसुरी को शास्त्रीय संगीत के रंग में ढालकर शास्त्रीय वाद्य यंत्र बना दिया।
पन्नालाल घोष के पिता अक्षय कुमार घोष सितार वादक थे और उनकी माँ सुकुमारी देवी गायिका थीं।
1940 में पन्नालाल घोष ने संगीत निर्देशक अनिल विश्वास की बहन और जानी मानी पार्श्व गायिका पारुल घोष से विवाह कर लिया। इसके पहले 1938 में पन्नालाल घोष ने यूरोप का दौरा किया और वे उन आरंभिक शास्त्रीय संगीतकारों में से एक थे जिन्होंने विदेश में कार्यक्रम पेश किया। 1930 में उनका पहला एलपी जारी हुआ।
पन्नालाल घोष ने कई फ़िल्मों में भी बांसुरी बजाई थी, जो आज भी अद्वितीय है। जिनमें मुग़ले आज़म, बसंत बहार, बसंत, दुहाई, अंजान और आंदोलन जैसी कई प्रसिद्ध फ़िल्में प्रमुख हैं।
प्रारंभिक जीवन
हारमोनियम उस्ताद खुशी मोहम्मद ख़ान उनके पहले गुरु थे और ख्याल गायक पंडित गिरजा शंकर चक्रवर्ती एवं उस्ताद अलाउद्दीन ख़ान साहब से भी उन्होंने शिक्षा हासिल की थी।
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