पीएम ने कहा कि 17वीं लोकसभा में पीढ़ियों का इंतजार खत्म हुआ, इसी सदन ने अनुच्छेद 370 हटाया। दोपहर 2:30 बजे गृह मंत्री अमित शाह 30 मिनट बोले। उन्होंने कहा- 22 जनवरी का दिन 10 सहस्त्र सालों के लिए ऐतिहासिक दिन बनने वाला है। ये सबको समझना चाहिए। जो इतिहास को नहीं पहचानते हैं, वो अपने वजूद को खो देते हैं।
22 जनवरी का दिन 1528 से शुरू हुए संघर्ष और अन्याय के खिलाफ आंदोलन के अंत का दिन है। न्याय की लड़ाई यहां समाप्त हो गई। शाह से पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में अपनी बात रखी। उन्होंने दो बार बाबरी मस्जिद जिंदाबाद के नारे लगाए। शाह की स्पीच शुरू होते ही वो सदन से चले गए।
इससे पहले राज्यसभा में चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने पर चर्चा हुई। इस दौरान चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने वर्चुअली चौधरी चरण सिंह का अपमान किया, मैं इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। आपका विरोध, नारेबाजी मैंने अपनी आंखों से देखा है। आपने सदन में जैसा माहौल बनाया, उससे हर किसान को चोट पहुंची।
लोकसभा में राम मंदिर पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए ही बजट सेशन एक दिन बढ़ाया गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यपाल सिंह ने चर्चा की शुरुआत की। सत्यपाल ने कहा- पीएम मोदी के आने के बाद रामराज्य आया है।
बुरे दिन कितने भी गए हों, हम भावी पीढ़ी के लिए कुछ ना कुछ करते रहेंगे
राम मंदिर ने देश की भावी पीढ़ियों को देश के मूल्यों पर गर्व करने का मौका दिया। इस विषय पर बोलने में कुछ लोग हिम्मत दिखाते हैं, कुछ मैदान छोड़कर भाग जाते हैं। आज जो व्याख्यान हुए, उसमें संवेदना, सहानुभूति और संकल्प भी है। बुरे दिन कितने भी गए हों, हम भावी पीढ़ी के लिए कुछ ना कुछ करते रहेंगे। सामूहिक संकल्प और शक्ति से उत्तम परिणाम हासिल करते रहेंगे।
चुनाव नजदीक हैं, कुछ लोगों को घबराहट रहती होगी
चुनाव बहुत दूर नहीं हैं। कुछ लोगों को घबराहट रहती होगी। यह लोकतंत्र का सहज और आवश्यक पहलू है। हम इसे गर्व से स्वीकार करते हैं। हमारे चुनाव ही देश की शान बढ़ाने वाले हैं। लोकतंत्र की परंपरा पूरे विश्व को अचंभित करने वाली रहेगी।
सांसदों से मिले सहयोग, निर्णय कर पाए। कभी कभी हमले भी ऐसे हुए कि भीतर की शक्ति निखर आई। मेरा तो ऐसा ही रहा है चुनौती मिली तो और अच्छे से सामने आए।
लोकतंत्र और भारत की यात्रा अनंत है
विकट काल में हमारा समय गया, क्योंकि डेढ़-दो साल कोविड ने दबाव डाला। इस समय हमने कई साथियों को खो दिया। हो सकता है कि वो हमारे बीच मौजूद रहते। इसका दुख हमें हमेशा रहेगा।
ये अंतिम संत्र और अंतिम घंटा है। लोकतंत्र और भारत की यात्रा अनंत है। ये देश किसी मकसद के लिए है। ये पूरी मानव जाति के लिए है। ऐसे ही अरविंदो, स्वामी विवेकानंद ने भी देखा था। उस विजन में जो सामर्थ्य था वो आज हम आंखों के सामने देख पा रहे हैं।
ट्रांसजेंडर्स को आइडेंडिटी दी, प्रेग्नेंसी के समय 26 वीक की छुट्टी की चर्चा दुनिया ने की
कोर्ट के चक्कर से बचाने के लिए मध्यस्थता कानून की दिशा में भी सांसदों ने भूमिका अदा की। हमेशा हाशिया पर थे, जिन्हें कोई पूछता नहीं था। सरकार होने का उनको अहसास हुआ है। जब कोविड में मुफ्त इंजेक्शन मिलता था तो उसे भरोसा होता था जान बच गई। सरकार होने का उसे अहसास होता था।
ट्रांसजेंडर अपमानित महसूस करता था, बार-बार ऐसा होता था तो विकृतियों की आशंका बढ़ती थी। इनके प्रति भी संवेदना जताई। 16-17 हजार ट्रांसजेंडर्स को आइडेंडिटी दी, पद्मा अवॉर्ड दिया। उन्हें पहचान दी। सरकार से जुड़ी योजनाओं का लाभ उन्हें मिलना शुरू हुआ। दुनिया हमारे निर्णयों की चर्चा करता है। प्रेग्नेंसी के समय 26 वीक की छुट्टी पर दुनिया के समृद्ध देशों को भी आश्चर्यचकित करते हैं।
60 से अधिक गैरजरूरी कानूनों को हमने हटाया है
कंपनीज एक्ट, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप एक्ट, 60 से अधिक गैरजरूरी कानूनों को हमने हटाया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए इसकी जरूरी थी। कई कानून ऐसे थे कि छोटे-छोटे वजह से लोगों को जेल में डाल दो। कंपनी है और बाथरूम 6 महीने में व्हाइट वाश नहीं कराया तो जेल में डाल दो। ये जो नागरिक पर भरोसा करने का काम था, ये लोकसभा ने किया। जनविश्वास एक्ट 180 से ज्यादा प्रावधान डीक्रिमिनलाइज करने का काम किया।
देश ने जो आर्थिक रीफॉर्म किए हैं, उनमें सभी सांसदों की भूमिका रही
देश ने जो आर्थिक रीफॉर्म किए हैं, उनमें सभी सांसदों की भूमिका रही। बीते वर्षों में हजारों कम्पलाएंसेस से बेवजह जनता जनार्दन को ऐसी चीजों में उलझाए रखा, उसमें से मुक्ति दिलाने का काम हुआ है। सामान्य व्यक्ति इसके बोझ में दब जाता है। लोगों की जिंदगी में से जितना जल्द सरकार निकल जाए, उतना लोगों का जीवन अच्छा होगा। रोजमर्रा की जिंदगी में हर कदम पर सरकार टांग क्यों अड़ाए। सरकार का प्रभाव उसकी जिंदगी को ही प्रभावित कर दे, ऐसा लोकतंत्र नहीं हो सकता है।
स्पेस की दिशा में महत्वपूर्ण काम हुए
जल-थल-नभ सदियों से इन पर चर्चा चली है। आज समुद्री शक्ति और स्पेस की शक्ति और साइबर की शक्ति। इनका मुकाबला करने की जरूरत उठ खड़ी हुई है। यहां हमें सामर्थ्य पैदा करना है और नकारात्मक शक्तियों का सामाना करना है। स्पेस की दिशा में ऐसा काम हुआ है।
21वीं सदी में हमारी बेसिक नीड्स पूरी तरह बदल रही है
21वीं सदी में हमारी बेसिक नीड्स पूरी तरह बदल रही है, कल तक जिसका मूल्य नहीं था वो आने वाले समय में अमूल्य बन गया है। जैसे डेटा, हमने डेटा प्रोटक्शन बिल लाकर पूरी भावी पीढ़ी को सुरक्षित कर दिया है। वो भविष्य को बनाने के लिए सही इस्तेमाल करेंगे। डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोडक्शन एक्ट बनाया। डाटा का उपयोग कैसे हो, उसकी भी गाइडलाइन उसमें हैं। जिस डेटा को लोग गोल्ड माइन कहते हैं, वो सामर्थ्य भारत को प्राप्त होगा। सिर्फ हमारे रेलवे पैसेंजर्स का डेटा दुनिया के लिए संशोधन का विषय बन सकता है।
पेपरलीक जैसी समस्या के लिए कठोर कानून बनाए हैं
5 साल में युवाओं के लिए कानून बने। पेपरलीक जैसी समस्या के लिए कठोर कानून बनाए हैं। युवाओं को व्यवस्था के प्रति गुस्सा था, उसे एड्रेस करने का सभी सांसदों ने महत्वपूर्ण फैसला किया है। ये बात सही है कि कोई भी मानव जाति अनुसंधान के बिना नहीं चल सकती है। मानव जाति का लाखों साल का इतिहास गवाह है कि हर काल में अनुसंधान होते रहे हैं, जीवन का विस्तार होता गया है। सदन ने विधिवत रूप से कानूनी व्यवस्था खड़ी कर अनुसंधान को प्रोत्साहन देने का काम किया। नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के परिणाम दूरगामी होंगे।
आने वाले 25 साल महत्वपूर्ण, देश इच्छित परिणाम हासिल करेगा
आने वाले 25 साल महत्वपूर्ण हैं। राजनीति अपनी जगह है, राजनीतिक लोगों की आशाएं अलग हैं। देश की आकांक्षा, संकल्प बना चुका है। 25 साल वो हैं, जब देश इच्छित परिणाम हासिल करेगा।
1930 में दांडी यात्रा शुरू थी, तब ये घटना छोटी थी। 1947 तक 25 साल के कालखंड ने हर व्यक्ति के दिल में जज्बा पैदा करर दिया था कि मैं आजाद हूंगा। आज देश में वो जज्बा दिख रहा है कि 25 साल में विकसित भारत बनकर दिखाएंगे। हममें से कोई ऐसा नहीं होगा, जिसका सपना यही होगा। कुछ लोगों ने इसे संकल्प बना लिया है, जो नहीं जुड़ पाएंगे और जीवित होंगे, वो इसका फल तो जरूर खाएंगे।
मुस्लिम बहनों को तीन तलाक से मुक्ति इसी सदन ने दिया
कितने उतार-चढ़ाव से मुस्लिम बहनें इंतजार कर रही थीं तीन तलाक का। इससे मुक्ति और नारी सम्मान का कार्य 17वीं लोकसभा ने किया। सभी सांसदों के विचार कुछ भी रहे हों, लेकिन ये कहेंगे कि न्याय करने के मौके पर हम मौजूद थे। वो बहनें हमें आशीर्वाद दे रही हैं।
जब भी इस नए सदन की चर्चा होगी, तो नारी शक्ति अधिनियम का जिक्र होगा
हम 75 साल तक अंग्रेजों की दंड सहिंता में जी रहे थे। गर्व से कह सकते हैं कि आने वाली पीढ़ियां न्याय संहिता में जिएंगी।
नया सदन भव्य है, उसका प्रारंभ एक ऐसे काम से हुआ है, जो भारत की मूलभूत मान्यताओं को बल देता है। वो नारी शक्ति वंदन अधिनियम है। जब भी इस नए सदन की चर्चा होगी, तो नारी शक्ति अधिनियम का जिक्र होगा ही। सदन की पवित्रता का अहसास तभी शुरू हो गया था।
इसी सदन ने 370 हटाया
इस कार्यकाल में बहुत री-फॉर्म हुए, जो गेम चेंजर हैं। 21वीं सदी के भारत की मजबूत नींव उन सारी बातों में नजर आती है। बड़े बदलाव की तरफ बढ़ रहे हैं। सदन ने अपनी हिस्सेदारी जताई। हम कह सकते हैं कि हमारी अनेक पीढ़ियां, जिन बातों का इंतजार करती थीं, ऐसे बहुत से काम इस 17वीं लोकसभा के माध्यम से पूरे हुए।
पीढ़ियों का इंतजार खत्म हुआ। अनेक पीढ़ियों ने एक संविधान का सपना देखा था, हर पल एक दरार दिखती थी, रुकावट चुभती थी। इसी सदन ने 370 हटाकर संविधान के पूर्ण रूप को, पूर्ण प्रकाश के साथ प्रगटीकरण किया। संविधान के 75 वर्ष हुए, जिन महापुरुषों ने संविधान को बनाया, उनकी आत्मा हमें आशीर्वाद देती होगी।
-एजेंसी
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