अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर ताजमहल के पीछे गूंजा ‘योग’ का स्वर, ताजमहल की छाया में आध्यात्मिक स्पंदन
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. विश्व धरोहर ताजमहल ने इस बार योग दिवस का साक्षी बनकर अपने गर्व को और प्रगाढ़ किया। ‘ओम’ की पवित्र ध्वनि गूंजी। ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ की अनुगूंज से वातावरण में चेतना की लहर उठी। ताजमहल के पीछे स्थित ग्यारह सीढ़ी पार्क में जैसे एक दिव्यता उतर आई हो। उपस्थित साधकों की दृष्टि जहां ताज की शांति में लीन थी, वहीं सूर्य की रश्मियाँ उस संगमरमरी प्रतीक को स्वर्णाभ आभा से स्नान करा रही थीं। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे स्वयं ताजमहल भी योग के इस महासंगम पर मुस्करा उठा हो।
संयुक्त तत्वावधान में भव्य आयोजन
यह भव्य योग शिविर इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन एवं आर्ट ऑफ लिविंग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। शुक्रवार की शाम को यह आयोजन अपने आप में अनूठा रहा, क्योंकि आमतौर पर योग कार्यक्रम प्रातःकाल होते हैं। किंतु इस आयोजन ने आगरा के योग प्रेमियों को सूर्यास्त के सौंदर्य के साथ आत्मिक संतुलन की अनुभूति कराई।

योगासन, प्राणायाम और ध्यान का समावेश
योग शिविर में आर्ट ऑफ लिविंग के प्रशिक्षित योग शिक्षकों ने उपस्थितजनों को विविध योगासन, प्राणायाम एवं ध्यान की तकनीकों से अवगत कराया। योगाभ्यास के माध्यम से तन, मन और आत्मा के त्रिवेणी मिलन का अनुभव कराया गया। वातावरण में पवित्रता थी, और साधकों में एक नवीन ऊर्जा।
पूरन डावर का प्रेरणादायक संदेश
इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के चेयरमैन श्री पूरन डावर ने इस अवसर पर कहा—
“योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, यह जीवन की एक सकारात्मक, सुसंयमित और सशक्त दिशा है। हमें इसे दैनिक जीवन में आत्मसात करना चाहिए।”
उनका वक्तव्य न केवल प्रेरक था, बल्कि जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण की गहराई को भी दर्शाता था।

डॉ. सुशील गुप्ता का विचारशील वक्तव्य
आर्ट ऑफ लिविंग के एपेक्स सदस्य (पश्चिम उत्तर प्रदेश) डॉ. सुशील गुप्ता ने कहा—
“यह शिविर जनजागरण से कहीं आगे जाकर सामाजिक समरसता, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक बन गया है।”
उनके अनुसार यह आयोजन समाज को आत्मबोध और एकता का भाव देने वाला रहा।
योग की महत्ता पर चर्चा
राज्य शिक्षक समन्वयक डॉ. रश्मि मिश्रा एवं वरिष्ठ योग शिक्षिका रुचिरा ढल ने योग के शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक प्रभावों पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने योग को दैनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।

उत्साहजनक सहभागिता और दिव्यता
शिविर में बड़ी संख्या में शहरवासियों ने भाग लिया। ताजमहल की पृष्ठभूमि ने योग साधना को दिव्यता और गौरव प्रदान किया। कार्यक्रम में इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन के महासचिव अजय शर्मा एवं संयोजक बृजेश शर्मा ने अतिथियों का हृदय से स्वागत किया।
विचारशील एवं प्रतिष्ठित अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति
इस पावन अवसर पर विशिष्ट जनों की उपस्थिति ने आयोजन को और गरिमा प्रदान की। मोहित जैन, कवि पवन आगरी, जितेंद्र फौजदार, ब्रजेश सुतेल, पल्लवी महाजन, अदिति कात्यायन, डॉ. मुकेश गोयल, राजेश अग्रवाल, दुष्यंत गर्ग, अविनाश वर्मा, नीता सरीन, ममता रैली, सुशील यादव, वृंदा अग्रवाल, प्रीति अग्रवाल, पत्रकार डॉक्टर भानु प्रताप सिंह, विष्णु शर्मा जैसे नामचीन व्यक्तित्व उपस्थित रहे।

संपादकीय: योग का यह स्वर एक नई दिशा है
ताजमहल की आभा और योग की महिमा का संगम न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि यह आत्मिक उन्नयन की यात्रा का प्रतीक भी बन गया। यह आयोजन दर्शाता है कि यदि सोच निर्मल हो, तो पौरुष और परंपरा के संगम से चेतना का सृजन संभव है।
इनक्रेडिबल इंडिया फाउंडेशन ने जिस सूझ-बूझ और सांस्कृतिक संवेदना से इस कार्यक्रम का नेतृत्व किया, वह सराहना योग्य है। पूरन डावर जैसे प्रेरक नेतृत्वकर्ता ने न केवल आयोजन को शक्ति दी, बल्कि उसका वैचारिक मार्गदर्शन भी किया। आर्ट ऑफ लिविंग की शिक्षिका मंडली और डॉ. सुशील गुप्ता का योगदान अद्वितीय रहा।
यह योग शिविर मात्र एक दिन का आयोजन नहीं, बल्कि आत्मविकास और सामाजिक सौहार्द्र की दिशा में उठाया गया एक सशक्त कदम है। ऐसे आयोजनों से “इन्क्रेडिबल इंडिया” की संकल्पना और अधिक

सार्थक होती है।