वेंडिंग जोन बनाने वालों को कौन समझाए कि प्रकृति संरक्षण में पार्क की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है
नगर निगम कार्यालय के पार्क या आगरा विकास प्राधिकरण कार्यालय के सामने क्यों नहीं बनाते वेंडिंग जोन
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India.ऐतिहासिक पालीवाल पार्क की बर्बादी की पटकथा लिखी जा चुकी है। जैसे-जैसे पालीवाल पार्क में वेंडर जोन की प्रक्रिया शुरू होगी, वैसे-वैसे पालीवाल पार्क बर्बाद होता जाएगा। साफ तौर पर कहा जा सकता है कि अब कोई माई का लाल ऐतिहासिक पालीवाल पार्क को बर्बाद होने से रोक नहीं सकता है। प्रकृति प्रेमी हल्ला मचा रहे हैं। दुखी हो रहे हैं। अफसरों को दरख्वास्त भेज रहे हैं। आगरा के दोनों सांसदों, एक महापौर, 10 विधायकों, 100 पार्षदों तक बात पहुंचा रहे हैं।
पालीवाल पार्क का इतिहास
आगे बढ़ने से पूर्व हम पालीवाल पार्क के बारे में जान लें। पालीवाल पार्क आगरा शहर के बीचों बीच स्थित लगभग 70 एकड़ में फैला एक जंगलनुमा पार्क है। अंग्रेजी शासन काल में यह हैविट पार्क के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहले वित्त मंत्री और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीकृष्ण दत्त पालीवाल के नाम पर इसका नामकरण किया गया।
पुराने पेड़ एवं वन्यजीवों की शरणस्थली
पालीवाल पार्क में बहुत पुराने पेड़ एवं वन्यजीवों की शरणस्थली भी है। पक्षियों की लगभग 50 प्रजातियां इस पार्क में मौजूद हैं। जिनमें होर्नबिल, कॉपर स्मिथ बारबेट, ब्राउन हेडेड बारबेट, कबूतर, मोर, बैबलर, मैना, मैगपाई रोबिन, ब्लैक काइट, पोंड हैरोन, स्पोटिड आउल, ईग्रिट की प्रजातियां सैकड़ों की संख्या में मौजूद हैं। इसके अलावा पालीवाल पार्क नेवलों और गिलहरियों की प्रजनन स्थली है। कुछ असामाजिक तत्व ब्रुश बनाने के लिए गिलहरियों की पूँछ काटकर ले जाते थे। इस काम को प्रकृति प्रेमी प्रदीप खंडेलवाल ने रोका।
क्यों है महत्ता
पालीवाल पार्क विजय नगर और गांधी नगर के आवासीय क्षेत्रों को शहर के वित्तीय केंद्र यानी संजय प्लेस से जोड़ता है। उत्तर में गांधी नगर है, पश्चिम में वजीरपुरा/संजय प्लेस है, पूर्व में विजय नगर है और दक्षिण में घटिया आजम खां है। पालीवाल पार्क डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (पूर्व में आगरा विश्वविद्यालय) है। पालीवाल पार्क में जॉन्स पब्लिक लाइब्रेरी है जिसका संचालन नगर निगम करता है। यह पार्क सेंट पीटर्स कॉलेज, सेंट पैट्रिक जूनियर कॉलेज और मुफीद-ए- आम इंटर कॉलेज सहित शैक्षणिक संस्थानों से घिरा हुआ है।
झील में नौकायन
पालीवाल पार्क में गांधी नगर की ओर मोड़ पर एक छोटी सी झील है। यह बिलकुल प्राकृतिक दिखाई देती है। यहां कभी नौकायन की सुविधा थी। यह झील कभी बच्चों के आकर्षण का केन्द्र हुआ करती थी। शाम के समय लोग यहां बच्चों को लेकर आते थे और नौकायन का आनंद उठाते थे। यह झील अब गंदगी से भरी हुई है। कोई देखने वाला नहीं है।
वेंडर जोन, चौपाटी, फूड प्लेस बनाने की योजना
नौकायन तो भाड़ में चला गया, अब वेंडर जोन या चौपाटी या फूड प्लेस बनाने की योजना है। मतलब पालीवाल पार्क को सेंट जॉन्स चौराहा की तरह विकसित किया जाना है। यहां रात्रि में लोग सपरिवार आएंगे, चाट-पकौड़ी खाएंगे और भ्रमण करेंगे। बड़ी आकर्षक योजना है। सुनने में अच्छी लगती है। सड़क किनारे रोजगार करने वाले एक ही स्थान पर आ जाएंगे। स्वच्छता के साथ रोजगार करेंगे।
अपने पार्कों को बर्बाद करे नगर निगम
पालीवाल पार्क को बचाने की मुहिम चला रहे प्रकृति प्रेमी प्रदीप खंडेलवाल कहते हैं कि चौपटी बनेगी तो दुकानों का निर्माण होगा। यह निर्माण होते ही पालीवाल पार्क अपना स्वरूप खो देगा। पालीवाल पार्क राजकीय उद्यान विभाग के अधीन है। नगर निगम यहां वेंडर जोन बनाना चाहता है। नगर निगम को चाहिए कि अपने या आगरा विकास प्राधिकरण के पार्कों को बर्बाद करे, पालीवाल पार्क को नहीं। नगर निगम चाहे तो अपने कार्यालय के पार्क में भी वेंडिंग जोन बन सकता है। आगरा विकास प्राधिकरण कार्यालय के बाहर यह काम किया जा सकता है। प्रकृति प्रेमियों के लिए पालीवाल पार्क को बख्श दो।
किसी भी नियम से पार्क में निर्माण नहीं हो सकता
श्री खंडेलवाल कहते हैं कि पार्क में आखिरकार किस नियम के तहत दुकानों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है? किसी भी पार्क में वेंडिंग जोन नहीं बन सकता। न तो स्ट्रीट वेंडिंग एक्ट के तहत, न पार्क प्ले ग्राउंड के तहत और न ही ओपन लैंड एक्ट के तहत। कोई कानून अनुमति नहीं देता है। स्ट्रीट वेंडिंग जोन कहीं भी बनाओ पर पालीवाल पार्क पर रहम करो।
विरोध जरूरी हैः राजीव गुप्ता
प्रकृति प्रेमी राजीव गुप्ता का कहना है- पार्क को समाप्त करने की कीमत पर आगरा को सूरत मॉडल या कॉरपोरेट गुजरात मॉडल नहीं चाहिए। वेंडिंग जोन में दुकानें क्यों बनाई जानी है। यह तो प्रकृति प्रेमियों के साथ धोखाधड़ी है। इसका विरोध आज नहीं हुआ तो कुछ दिन बाद एमजी रोड पर एलिवेटेड मेट्रो की तरह विरोध करना पड़े, लेकिन तब तक पार्क बर्बाद हो जाएगा। फिर हमारे हाथ कुछ भी न आएगा।
कोर्ट जाने की तैयारी
श्री खंडेलवाल ने कहा- कृपया पार्क को पार्क ही रहने दो। हरियाली को बना रहने दो, अन्यता एक दिन बहुत पछताओगे। उद्यान प्रेमियों जागो। पालीवाल पार्क को बचाने का मतलब है पर्यावरण का संरक्षण और संवर्धन। आंदोलन करना पड़े तो करें। उद्यान को बर्बाद न होने दें। आगरा के दोनों सांसद, एक महापौर, 10 विधायक, 100 पार्षदों को चाहिए कि पालीवाल पार्क को स्ट्रीट वेंडिंग जोन के नाम पर बर्बाद न करें। अगर हमारी बात न सुनी तो हम उच्च न्यायालय जाएंगे और स्थगनादेश लेकर आएंगे। पूरी तैयारी कर ली गई है।
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