Justice Narendra Kumar Jain honoured

संविधान में अल्पसंख्यकों को परिभाषित नहीं किया गयाः न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन

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केरल शिक्षा नीति में 50 प्रतिशत से कम जनसंख्या वाले धर्म के लोग अल्पसंख्यक

मूल अधिकारों में अल्पसंख्यक के अधिकार वर्णित, प्रकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित

मंगलायतन विवि अलीगढ़ में राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन, 30 शोधपत्र प्रस्तुत

Aligarh, Uttar Pradesh, India. मंगलायतन विश्वविद्यालय अलीगढ़ में इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च सेंटर द्वारा शुक्रवार को ’’मानवाधिकार और अल्पसंख्यकः भारत में इसकी चुनौतियां’’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नेशनल कमीशन फॉर माइनारिटी एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (एनसीएमईआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने कहा कि संविधान में अल्पसंख्यक को परिभाषित नहीं किया गया है। राज्य सरकार अल्पसंख्यकों को परिभाषित कर सकती है।

मुख्य अतिथि का कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा, कुलसचिव ब्रिग्रेडियर समरवीर सिंह, मानवीय संकाय के डीन प्रो. जयंती लाल जैन, विभागाध्यक्ष डा. हैदर अली ने स्वागत किया। मुख्य सभागार में कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। सरस्वती वंदना व कुल गीत की प्रस्तुति दी गई। मानवीय संकाय के डीन ने कार्यक्रम के आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत की। कुलसचिव ब्रिगेडियर समरवीर सिंह ने अतिथि व वक्ताओं का परिचय कराया।

Justice Narendra Kumar Jain
मंविवि में राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन।

मुख्य अतिथि जस्टिज एनके जैन ने कहा कि मूल अधिकारों में अल्पसंख्यक के अधिकारों को वर्णित किया गया है, जो मानव अधिकार का हिस्सा हैं। भारत में अल्पसंख्यक में 6 धर्मों को गिना जाता है, लेकिन संविधान में अल्पसंख्यक को परिभाषित नहीं किया गया है, इसको लेकर संविधान निर्माताओं में मतभेद था इसलिए उन्होंने इसे छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि केरल शिक्षा नीति में 50 प्रतिशत से कम जनसंख्या वाले धर्म के लोगों को अल्पसंख्यक बताया है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया जो अभी तक लंबित पड़ा है। अल्पसंख्यक को परिभाषित करने को लेकर एक मत नहीं बन पाया है इसलिए वर्तमान में अल्पसंख्यक को परिभाषित करने का अधिकार राज्य के पास है।

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मंविवि कार्यक्रम में मंचासीन मुख्य अतिथि, कुलपति, कुलसचिव, डीन व विभागाध्यक्ष

कुलपति प्रो. केवीएसएम कृष्णा ने कहा कि मानव अधिकार प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं हैं, मानव अधिकार सही मायनों में प्राप्त करने के साथ दूसरों को भी उन अधिकारों को प्राप्त करने देना है। अगर आप पूर्णरूप से निपुण हैं तो आप इसे अपने जीवन में आत्मसात करेंगे, अन्यथा आप दूसरों के अधिकारों का हनन करेंगे।

कार्यक्रम को प्रो. अरविंद तिवारी ने ऑनलाइन और प्रो. सैय्यद अली नबाज जैदी व डॉ. अखिल कुमार ने भी संबोधित किया। दो सत्रों में आयोजित कार्यक्रम में 55 शोधकर्ताओं द्वारा पंजीकरण कराया, जिसमें 30 ने शोधपत्र प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के आयोजन में परीक्षा नियंत्रक प्रो. दिनेश शर्मा, वित्त अधिकारी मनोज गुप्ता, कार्यक्रम सचिव डॉ. विकास शर्मा, डॉ. ममता रानी, जितेन्द्र यादव, एओ गोपाल सिंह राजपूत, प्रो. सिद्धार्थ जैन, तरुण शर्मा, अली अख्तर, तलत अंजुम का सहयोग रहा। इस अवसर पर बोर्ड सदस्य विकास त्रिपाठी, प्रो. उल्लास गुरुदास, प्रो. अशोक पुरोहित, प्रो. मनोज पटेरिया, प्रो. राजीव शर्मा, प्रो. एके शर्मा, प्रो. अनुराग शाक्या, प्रो. अंकुर अग्रवाल, प्रो. सौरभ कुमार, प्रो. देवप्रकाश दहिया आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन छात्रा आशी व सलोनी ने किया।

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मंविवि में राष्ट्रीय संगोष्ठी में मौजूद प्राध्यापक व विद्यार्थी।
Dr. Bhanu Pratap Singh