आगरा की महापौर बोलीं- देश-प्रदेश में नगर निगम की छवि धूमिल हुई, नगर आयुक्त जिम्मेदार फर्मों को ब्लैक लिस्ट करें, अर्थदंड वसूलें

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यमुना में बिना टैप किए नाले गिरने पर 58.38 करोड़ रुपये का जुर्माना

आगरा: सुप्रीम कोर्ट द्वारा यमुना में बिना टैप किए नाले गिरने पर नगर निगम पर 58.38 करोड़ रुपये का जुर्माना लगने पर महापौर हेमलता दिवाकर कुशवाह ने नगरायुक्त अंकित खंडेलवाल को पत्र लिखकर मामले की व्यापक समीक्षा करने को कहा है। महापौर ने समीक्षा में दोषी पाई गई फर्मों को ब्लैक लिस्टेड करने और उनसे अर्थदंड वसूलने के भी निर्देश दिए।

महापौर ने पत्र में दैनिक समाचार पत्रों का हवाला देते हुए नगरायुक्त को लिखा कि एनजीटी द्वारा यमुना नदी में प्रदूषण, सीवर ट्रीटमेन्ट प्लान्ट, नालों की टैपिंग एवं नगरीय सीवर अव्यवस्था के कारण नगर निगम पर उक्त अर्थदण्ड अधिरोपित्त किया गया था, जिसको मुक्त कराये जाने हेतु सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गयी, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय द्वारा एनजीटी द्वारा किये गये अर्थदण्ड को बरकरार रखा गया और वसूली करने के आदेश दिये गये।

उन्होंने कहा कि नालों की टेपिंग, नगर की सीवरेज व्यवस्था को दुरुस्त किये जाने, एसटीपी के सुगम संचालन आदि के लिए जिन-जिन फर्मों द्वारा कार्य किया जा रहा था, उन्हें समय- समय पर लिखित एवं मौखिक निर्देश दिये गये। परन्तु उक्त बिन्दुओं को गम्भीरता से न लिये जाने के कारण नगर निगम को भारी अर्थदण्ड को चुकाना पड़ेगा। इस प्रकार के कृत्यों से नगर निगम की प्रदेश एवं देश में छवि धूमिल हुई है तथा शहरी सीवरेज व्यवस्था / नालों की सफाई से जुड़ी फर्मों की घोर उदासीनता एवं नगर निगम/जलकल के अधिकारियों की अकुशलता एवं उदासीनता सामने आयी है।

महापौर ने पत्र में लिखा कि नगर निगम स्तर पर व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है। समीक्षा के दौरान इस कार्य में जिन-जिन फर्मों की ओर से घोर लापरवाही हुई है. उन फर्मों को चिन्हित करते हुए उक्त अधिरोपित अर्थदण्ड की उनसे वसूली की जाये और उनको काली सूची में दर्ज किया जाये साथ ही उक्त कार्यों से जुड़े ऐसे अधिकारीगण जिनके द्वारा इन कार्यों में व्यापक रूचि नहीं ली गयी और उनकी उदासीनता के कारण नगर निगम को जो वित्तीय क्षति हुई है, उन अधिकारियों को भी चिन्हित करते हुए उनके विरूद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु शासन को संस्तुति की जाये।




Dr. Bhanu Pratap Singh