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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. अभिभावक संस्था प्रोग्रेसिव एसोसिएशन ऑफ पेरेंट्स (टीम पापा) के संरक्षक संस्थापक मनोज शर्मा के नेतृत्व में, विद्यालयों में कमीशन खोरी बंद करने के लिये एक ज्ञापन आगरा जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी के नाम अपर जिलाधकारी नगर को दिया गया। ज्ञापन में साफ कहा गया है कि निजी विद्यालयों की लुटेरी दुकानें नहीं चलने दी जाएंगी। इसके लिए ऐतिहासिक आंदोलन होगा।
ज्ञापन में कहा गया है कि निजी विद्यालयों द्वारा जानबूझ कर ऐसा पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है जिसकी पुस्तकें खुले बाजार में उपलब्ध न हो। जानबूझ कर ऐसी ड्रेस तय की जाती है, जो खुले बाजार में उपलब्ध न हो। कुछ विद्यालयों ने तो जूता भी ब्रांडेड किया हुआ है। हैरत की बात यह है उस आर्टिकल नंबर के जूते भी विद्यालय की निश्चित दुकान पर ही मिलते हैं। विद्यालय हर वर्ष पाठ्यक्रम और ड्रेस में बदलाव कर देते हैं। जूते भी कभी फीता वाले तो कभी बिना फीते वाले लागू किए जाते हैं।
निजी विद्यालयों की मनमानी रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 12 सितंबर, 2018 को अधिसूचना जारी की है। अधिसूचना के पन्ना नम्बर 5 के अध्याय 2 के बिंदु संख्या 10 के अनुसार, किसी छात्र को पुस्तकें, जूता, मौजा व यूनिफ़ॉर्म आदि किसी विशिष्ट दुकान से क्रय करने के लिये बाध्य नहीं किया जाएगा।
बिंदु संख्या 11 के अनुसार, विद्यालय द्वारा निरंतर पाँच शैक्षिक वर्ष के भीतर विद्यालय पोशाक में परिवर्तन नहीं किया जायेगा। यदि परिवर्तन अपेक्षित हो तो इसमें परिवर्तन जनपदीय शुल्क नियामक समिति के पूर्व अनुमोदन से समुचित औचित्य के साथ किया जा सकता है।
टीम पापा का कहना है, सरकार के आदेशों का पालन अधिकांश विद्यालयों द्वारा नहीं किया जाता है। शिक्षा विभाग इसे लागू करवाने के प्रति कभी गम्भीर नहीं दिखा।
टीम पापा द्वारा कोरोना काल में एक बुक बैंक, इस उद्देश्य के साथ खोली गई थी जिससे छात्रों की किताबों को एक दूसरे से बदल कर अभिभवकों का आर्थिक बोझ कम किया जा सके। उस वर्ष विद्यालयों का पाठ्यक्रम न बदलने के चलते अनेक अभिभावकों ने बुक बैंक का लाभ लिया था। किंतु अगले ही वर्ष विद्यालयों ने कमीशन लाभ हेतु अपने पाठ्यक्रम में परिवर्तन कर के हमारी बुक बैंक को निष्क्रिय होने के लिए मजबूर कर दिया।
टीम पापा के संस्थापक मनोज शर्मा ने जिलाधिकारी से मांग की है कि बिंदु संख्या 10 व 11 का अनुपालन कड़ाई से कराया जाए। सभी जानते हैं 50 से 60% प्रतिशत कमीशन का खेल अभिभावकों की जेब काट रहा है।
अबकी बार संस्था का संकल्प है सरकार के आदेश के तहत ही किताब, कॉपी, जूते मोजे, या विद्यालयों के परिधान की निश्चित कमीशन देकर अभिभावकों को लुटवाने वाली दुकानों को नहीं चलने दिया जाएगा।
शिक्षा विभाग शिकायत नम्बर तत्काल जारी करे, जिसमें शिकायत कर्ता की पहचान को छुपाते हुये, आदेश उल्लंघन करने वालों पर सचल दल द्वारा छापा मार कर दण्डात्मक कार्रवाई करे।
अगर विद्यालयों की मनमानी न रोकी गई तो ऐतिहासिक आंदोलन होगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी निजी विद्यालयों, शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन की होगी।
ज्ञापन देने वालों में मनोज शर्मा के साथ अरुण मिश्रा, शोभित जेटली, अमर सिंह सेंगर, प्रवीन सक्सेना, अरुण भाटिया, दीपक वर्मा, विक्की गुप्ता, मिंटू शर्मा आदि मौजूद रहे।
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