सुप्रीम कोर्ट का आदेशः आगरा से गुजर रही यमुना नदी के सिल्ट, स्लज और गन्दगी
पूछा, जिम्मेदारी किसकी, केन्द्र सरकार, राज्य सरकार या विकास प्राधिकरण की
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. वरिष्ठ अधिवक्ता और आगरा डवलपमेंट फाउंडेशन के सचिव केसी जैन ने अपना काम कर दिया है। सरकारी शेर कब करेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता है। फिलहाल तक तो कुछ नहीं किया है। सरकारी शेर तो यमुना को दिन प्रतिदिन गंदा ही करवा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की कि आगरा शहर से गुजर रही यमुना नदी में सिल्ट, स्लज और गन्दगी यदि नहीं हटायी गयी है तो उसे तुरन्त हटाया जाये। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं उज्जवल भुआन की बेंच ने वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को सुनने के उपरान्त याचिका सं0 171142 वर्ष 2019 पर पारित किया है।
यमुना की सफाई के आदेश से हर कोई प्रसन्न है। मुझे याद है कि राधास्वामी मत के गुरु प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर लगातार यमुना की डिसिल्टिंग की बात उठाते रहे थे। वे राधास्वामी में समा गए लेकिन यमुना अपने हाल पर रोती रही।
वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल नित्य यमुना आरती करवा रहे हैं। उनकी पूजा का का प्रतिफल भी सुप्रीम कोर्ट का आदेश हो सकता है।
आगरा और यमुना के प्रति संवेदनशील हर व्यक्ति चाहता है कि यमुना की सतत सफाई हो। यमुना में जलस्तर बना रहेगा तो ताजमहल की नींव सुरक्षित रहेगी। ताजमहल के डाउनस्ट्रीम में कभी बैराज तो कभी चेक डैम तो कभी रबर डैम। अक्टूबर 2017 में योगी आदित्यनाथ ने डैम का शिलान्यास किया था, मौके पर कुछ भी नहीं है। अगर यह बन जाता तो यमुना के अप स्ट्रीम में जलस्तर बना रहता। 36 साल हो गए हैं, यमुना पर बैराज नहीं बन रहा है। चार बार शिलान्यास के बाद भी यह हाल है। अब आशा जगी है कि यमुना अपने मूल स्वरूप में वापस आ जाएगी।
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन आगरा चैप्टर, आगरा आयरन फाउंडर्स संगठन, राष्ट्रीय कोल्ड स्टोरेज फेडरेशन ने केसी जैन को कमला नगर में आमंत्रित किया। उनका अभिनंदन किया। सम्मान से अभिभूत केसी जैन ने बताया कि वह निरंतर आगरा के लिए प्रयास करते रहेंगे। जो कार्य अधूरे रह गए हैं उनको वह पूरा करने में पूर्ण सहयोग करेंगे। इस मौके पर अमर मित्तल, सुनील सिंघल, राजेश गोयल, सीताराम अग्रवाल, मनोज बंसल, नरेंद्र सिंह, शलभ शर्मा, अशोक गोयल, अंशुल अग्रवाल, विवेक मित्तल, सतीश अग्रवाल, रितेश गोयल आदि उपस्थित थे।
न्यायालय ने अधिवक्ता जैन से यह भी पूछा कि क्या यमुना नदी की डिसिल्टिंग पूर्व में हुई, जिसके जवाब में यह बताया गया कि यमुना की सफाई के लिए कदम नहीं उठाया गया है। न्यायालय को यह भी बताया गया कि आर्कियोलॉजीकल सर्वे ऑफ इण्डिया द्वारा अपनी रिपोर्ट में यमुना की डिसिल्टिंग की सिफारिश की गयी है। जिलाधिकारी आगरा द्वारा बनायी गयी कमेटी ने भी डिसिल्टिंग के लिए कहा था।
न्यायमित्र एडीएन राव एवं अतिरिक्ति सॉलिसिटर जनरल सुश्री एश्वर्या भाटी को सुनने के उपरान्त न्यायालय ने यह आदेश किया कि यदि आगरा शहर से गुजर रही यमुना नदी से सिल्ट, स्लज व गन्दगी को हटाने के कदम आज तक नहीं लिये गये हैं तो तुरन्त लिये जायें। यदि सम्बन्धित एजेन्सी किसी विशेषज्ञ एजेन्सी की सहायता लेना चाहते हैं तो केन्द्र सरकार ले सकती है और यमुना को सिल्ट, स्लज और गन्दगी से मुक्त रखना होगा। केन्द्र सरकार को इस सम्बन्ध में कदम उठाने होंगे और यमुना से सिल्ट, स्लज और गन्दगी को हटाने की कार्यवाही निरन्तर होनी चाहिए।
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि केन्द्र सरकार इस सम्बन्ध में शपथ पत्र प्रस्तुत करे। ऐसा शपथ पत्र उत्तर प्रदेश सरकार व आगरा विकास प्राधिकरण द्वारा भी प्रस्तुत करने होंगे। तीनों संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से उन्हें बताना होगा कि नियमित रूप से यमुना की सफाई करने की जिम्मेदारी किस संस्था की होगी। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि यह शपथ पत्र जून के अन्त तक दाखिल करने होंगे और उसके लिए कोई भी अतिरिक्त समय नहीं दिया जायेगा। अब यह मामला 11 जुलाई 2024 को न्यायालय द्वारा सुना जायेगा।
अधिवक्ता जैन द्वारा सुनवाई के दौरान यह भी बताया गया कि वर्ष 2015 से हर वर्ष यमुना में पैदा होने वाले कीड़े ताजमहल के मार्बल की दीवारों पर गन्दगी छोड़ते हैं।
एडीएफ के द्वारा जो याचिका दाखिल की गयी थी उसमें यह मांग की गयी थी कि आगरा शहर की यमुना नदी से लगभग 5-6 मीटर गहराई तक जमा सिल्ट व गन्दगी को हटाया जाये और यमुना की तलहटी को उसकी पूर्व स्वाभाविक स्थिति में लाया जाये तथा यमुना की नियमित रूप से गन्दगी को हटाया जाये। यदि आवश्यक हो तो किसी विशेषज्ञ संस्था से ड्रेजिंग व डीसिल्टिंग का पर्यावरण तथा यमुना नदी के किनारे स्थित स्मारकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा का अध्ययन करा लिया जाये। इस याचिका पर नोटिस पक्षकारों को 11 दिसम्बर 2019 को जारी किये गये थे और जल शक्ति मंत्रालय व उत्तर प्रदेश शासन की ओर से अपना जवाब वर्ष 2020 में दाखिल किया जा चुका है।
याचिका के साथ जिलाधिकारी आगरा की जांच आख्या 27 मई 2016 प्रस्तुत की है जिसमें यमुना की डिसिल्टिंग को आवश्यक बताया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी अपनी रिपोर्ट में यमुना डिसिल्टिंग की सिफारिश की गयी है। यही नहीं उत्तर प्रदेश शासन की ओर से प्रस्तुत जवाब में यह स्वीकार किया गया है कि यमुना की ओर ताज महल की उत्तरी दीवारों पर कीड़े आते हैं और हरे/काले धब्बों को मारबल सतह पर छोड़ देते हैं जो वर्ष में 3-4 बार होता है। एएसआई की उत्तरी जोन की साइंस ब्रान्च द्वारा उसकी समय-समय पर सफाई की जाती है लेकिन ताजमहल की मार्बल सतह को बार-बार सफाई करने से ताज महल की मार्बल सतह क्रमशः खराब हो सकती हैं। यह कीड़े गन्दे पानी में फास्फोरस के कारण उत्पन्न होते हैं, इसलिये यमुना नदी में गिरने वाले नालों को टेप करने की आवश्यकता है। राज्य सरकार ने अपने जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि यमुना अब काफी उथली हो चुकी है और उसका प्रवाह घट गया है। जवाब में यह भी स्वीकार किया है कि यमुना का गन्दा पानी ताजमहल की नींव में पहुँच सकता है।
अधिवक्ता जैन ने यह भी बताया कि यमुना में अजैविक पदार्थ जमा है जिसके कारण भूगर्भ जल रिचार्ज नहीं हो रहा है। जहां एक ओर यमुना में बैराज की मांग काफी लम्बे समय से चल रही है लेकिन यदि यमुना की तलहटी में जमे अजैविक गन्दगी को नहीं हटाते हैं तो न तो यमुना गहरी हो पायेगी और न ही बैराज में पानी अधिक इकट्ठा हो सकेगा।
नेशनल चैम्बर के पूर्व अध्यक्ष राजेश गोयल एवं सीताराम अग्रवाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आज के आदेश पर हर्ष प्रकट किया और कहा कि यमुना की डिसिल्टिंग और सफाई आगरा के लिए एक नया संदेश लेकर आयेगी और यमुना के पुर्नजन्म की आशा बलवती हो सकेगी।
एडीएफ के अध्यक्ष पूरन डावर ने भी आशा प्रकट की कि केन्द्र सरकार व राज्य सरकार जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार यमुना की डिसिल्टिंग व सफाई का कार्य शुरू कर देंगे और यह सफाई नियमित रूप से होगी।
टीटीजेड के सदस्य उमेश शर्मा द्वारा भी लम्बे समय से चली आ रही इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट के सकारात्मक आदेश का स्वागत किया।
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