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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. मुकेश चन्द्र अग्रवाल ने शिक्षा विभाग की व्यवस्था सुधारने के लिए मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने विभागीय भ्रष्टाचार, अनियमितता और मनमानी पर कड़ा रुख अपनाते हुए दो निर्णायक कार्रवाइयों को अंजाम दिया है। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में वरिष्ठ सहायक श्रीमती मुन्नी देवी को पटल दे हटाकर कर जांच शुरू कराई है। जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय की कार्यप्रणाली पर भी शिकंजा कसा गया है।
मुन्नी देवी पर भ्रष्टाचार का शिकंजा
उप शिक्षा निदेशक (मा०) आगरा मंडल ने अपने पत्रांक 1227 / 2025-26, दिनांक 27 जून 2025 में यह स्पष्ट किया है कि श्रीमती मुन्नी देवी, वरिष्ठ सहायक के कार्य व आचरण में लगातार अनियमितता और भ्रष्ट आचरण की शिकायतें मिल रही थीं। शिक्षक संघों और आमजन द्वारा प्रस्तुत शिकायतों के आधार पर उनके विरुद्ध विभागीय जांच बैठा दी गई है। उन्हें तत्काल प्रभाव से मण्डलीय मनोविज्ञान केन्द्र, आगरा में सम्बद्ध कर दिया गया है और उनके स्थान पर कार्यभार किसी अन्य सहायक को सौंपने के निर्देश जारी किए गए हैं। जांच अधिकारी के रूप में श्रीमती ऐश्वर्या लक्ष्मी, मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) को नामित किया गया है जो 15 दिनों में विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।
डीआईओएस कार्यालय की पोल खुली
संयुक्त शिक्षा निदेशक ने 25 जून 2025 को प्रातः 11 बजे जिला विद्यालय निरीक्षक, मण्डलीय मनोविज्ञान केन्द्र और राजकीय इंटर कॉलेज का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान पाया गया कि डीआईओएस छुट्टी पर हैं, लेकिन कई कर्मचारी बिना सूचना के अनुपस्थित हैं। श्री संजय सिंह भदौरिया, श्री संजीव दुबे और श्री अतुल कुमार जैसे वरिष्ठ अधिकारी बिना पूर्व स्वीकृति के गायब पाए गए, जिन पर वेतन कटौती के निर्देश जारी हुए हैं।
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नियमों की खुली अवहेलना
निरीक्षण में यह भी सामने आया कि कई पूर्व सेवानिवृत्त या स्थानांतरित कर्मचारी जैसे श्री योगेश शर्मा एवं श्री पुनित रायजादा बिना अधिकारिक अनुमति के कार्यालय में उपस्थित रहते हैं और उन्हें महत्वपूर्ण पटल भी सौंपे गए हैं। इस पर डॉ. अग्रवाल ने सख्ती से आदेश दिए कि उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक या आपराधिक कार्यवाही की जाए।
कार्यालय व्यवस्था को पटरी पर लाने के निर्देश
उपस्थिति पंजिकाओं की जांच में सामने आया कि कई परिचारक तक हस्ताक्षर नहीं कर रहे थे। इन सभी को प्रतिदिन उपस्थिति दर्ज करने और समय पर आने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की अंकतालिकाओं के वितरण की व्यवस्था को भी परखा गया और उसे नियमानुसार संपादित करने के निर्देश जारी हुए।
संपादकीय: ईमानदारी की नई सुबह
शिक्षा विभाग, जहां चरित्र निर्माण की नींव रखी जाती है, वहां भ्रष्टाचार और लापरवाही असहनीय है। ऐसे में डॉ. मुकेश चंद्र अग्रवाल जैसे निष्ठावान और निडर अधिकारी का नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है। उनकी स्पष्टवादिता, पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता और हर स्तर पर जवाबदेही तय करने की कार्यशैली विभाग में एक नई संस्कृति की शुरुआत कर रही है। ऐसे अफसर ही व्यवस्था को पुनर्जीवित करते हैं और जनता का विश्वास लौटाते हैं। डॉ. अग्रवाल को हमारा शत-शत नमन।
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