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‘आगरा विजय दिवस’ पर जाटों का ऐलानः 17 जून, 1761 को आगरा किला पर कब्जा करने वाले महाराजा सूरजमल की जयंती आगरा किला में मनाएंगे

REGIONAL

पर्यटन विभाग सूरजमल की विशाल प्रतिमा किला पर लगवाए

आगरा फोर्ट के ताले में बंद रतन सिंह की हवेली खोली जाए

एक माह बाद जाट आरक्षण के लिए उत्तर प्रदेश में आंदोलन

दिल्ली में हमारी बेटियों पर अत्याचार, 15 के बाद कार्रवाई

मैं जाट पहले हूँ, एमपी, एमएलए बाद में: चौ. बाबूलाल

कुँवर शैलराज सिंह ने जाट नेताओं को सुनाई खरी-खरी

हिन्दू धर्मरक्षक वीर गोकुला जाट पुस्तक के लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह का सम्मान

Dr. Bhanu Pratap Singh

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Agra, Uttar Pradesh, India. भरतपुर के महाराजा सूरजमल। एक अजेय जाट योद्धा। 80 युद्ध लड़े और हमेशा विजयी रहे। महाराजा सूरजमल के निर्देश पर 3 मई, 1761 को बलराम सिंह के नेतृत्व में 4 हजार सैनिक आगरा पर कब्जा करने के लिए आई। 17 जून, 1761 को आगरा किला पर कब्जा कर लिया। ताजमहल में भूसा भरवा दिया। इस तरह महाराजा सूरजमल ने आगरा किला पर भगवा फहराकर 61 साल बाद वीर गोकुला जाट की हत्या का बदला ले लिया। जाट समाज के लिए 17 जून, 1761 आगरा विजय दिवस है।

अखिल भारतीय जाट महासभा उत्तर प्रदेश ने बोस्टन स्कूल, दहतोरा में आगरा विजय दिवस मनाया। वक्ताओं ने कहा कि शिवाजी आगरा किला में कैद रहे और उनकी प्रतिमा किले के सामने है, महाराष्ट्र सरकार ने शिवाजी जयंती किले में मनाई। महाराजा सूरजमल ने आगरा किला पर कब्जा किया और उनका कोई उल्लेख तक नहीं है। अब यह नहीं चलेगा। कार्यक्रम में हिन्दू धर्मरक्षक वीर गोकुला जाट पुस्तक के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह का साफा पहनाकर सम्मान किया गया।

महासभा के जिलाध्यक्ष कप्तान सिंह चाहर ने प्रस्ताव रखा कि महाराजा सूरजमल की जयंती आगरा किले में मनाई जाए और उत्तर प्रदेश का पर्यटन विभाग विशाल प्रतिमा स्थापित करे। पर्यटन विभाग एत्मादपुर में मुड़ी चौराहा पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा बनवा रहा है। भाजपा विधायक चौ. बाबूलाल ने इसके लिए अनुमति दिलाने का आश्वासन दिया।

आगरा विजय दिवस
आगरा विजय दिवस कार्यक्रम का उद्घाटन करते अतिथि।

जाट महासभा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष और पूर्व विधायक चौ. प्रताप सिंह ने कहा कि आगरा किला के ताले में बंद रतन सिंह की हवेली खोली जाए। उन्होंने कहा कि पानीपत की तीसरी लड़ाई में मराठों ने महाराज सूरजमल की बात नहीं मानी इसलिए हार गए। लड़ाई से जीवित बचे हजारों मराठों को भरतपुर में शरण दी और उन्हें सम्मान महाराष्ट्र पहुंचाया। बहुत से जाट वहीं बस गए। इसी कारण महाराष्ट्र में लाखों जाट हैं।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमारी बेटियों पर अत्याचार हो रहा है। मैं भी जंतर-मंतर पर गया था। अगर 15 जून तक कोई समाधान न निकला तो जाट महासभा बड़ा आंदोलन करेगी। हमारी बेटियों की मांग पूरी होनी चाहिए।

श्री प्रताप चौधरी ने बताया कि संविधान में जाट जाति को आरक्षण नहीं दिया गया है। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, मध्य प्रदेश में केवल राज्य में आरक्षण है। धौलपुर और भरतपुर के जाटों को केन्द्र में आरक्षण नहीं है। उन्होंने घोषणा की कि एक माह बाद पूरे प्रदेश में जाट आरक्षण आंदोलन होगा। उन्होंने जाटों की ताकत को इस पंक्ति में बयां किया-  मौत को ललकारने वाला लाल लहू जाट का होता है।

भाजपा विधायक चौ. बाबूलाल ने कहा– हिन्दुत्व की रक्षा का काम महाराजा सूरजमल ने किया है। सूरजमल के साथ आप जैसे तमाम लोग थे। हमें बुजुर्गों के काम पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने जाटों से कहा- जब जाट एक दूसरे को देखकर खुश नहीं होंगे तो जाट एकता कैसे बनेगी। जाट अपनी शक्ति नहीं दिखाएंगे तो घर बैठे थाली परोसकर कोई देने वाला नहीं है। मेरे गांव पनवारी में 36 कौम एक थीं, आपने सहयोग किया तो समाज का नाम रोशन हुआ।

चौ. बाबूलाल।
आगरा विजय दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते चौ. बाबूलाल।

उन्होंने कहा- मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूँ लेकिन आपके हक और सम्मान की बात आई तो पीछे नहीं हटा हूँ। पार्टी नेतृत्व के सामने जाट आरक्षण का मुद्दा उठाया है। मैं जाट पहले हूँ, एमपी, एमएलए बाद में। किसान परिवार से हूँ और आपके सहयोग से यहां तक पहुंचा हूँ। शक्ति प्रदर्शन नहीं होगा तो कोई पूछने वाला नहीं है। बिरादरी की धमक और हनक अलग होती है।

कप्तान सिंह चाहर ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा– यह कितनी अजीब बात है कि भरतपुर के लोगों को यह जानकारी नहीं है कि महाराजा सूरजमल ने आगरा किला पर कब्जा किया था। उन्होंने हिन्दू धर्मरक्षक वीर गोकुला जाट पुस्तक के लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह के नाम का उल्लेख करते हुए कहा कि समाज के सहयोग से गोकुला जी की विशाल प्रतिमा स्थापित हुई है। शिवाजी किले में कैद रहे और महाराष्ट्र सरकार ने आगरा किला के सामने उनकी प्रतिमा लगा दी। पिछले दिनों लाल किले में शिवाजी महाराज की जयंती मनाई। जिन सूरजमल ने आगरा किला पर कब्जा किया, उनकी जयंती क्यों नहीं मनाई जानी चाहिए। महाराजा सूरजमल की जयंती आगरा किला में मनाई जाए और समाज के हजारों लोग पहुंचेंगे।

कप्तान सिंह चाहर
आगरा विजय दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते कप्तान सिंह चाहर।

अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कुँवर शैलराज सिंह एडवोकेट ने जाट नेताओं को खूब लपेटा। कहा- जाटों की बेटियों का चीरहरण हो रहा है तब चौ. बाबूलाल क्यों चुप हैं, यह हमारी समझ से परे है। जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप चौधरी का भी एक बयान नहीं, एक भी मीटिंग नहीं। कोई कार्रवाई नहीं। आगरा और अलीगढ़ मंडल के लिए इससे अधिक शर्म की बात हो ही नहीं सकती है। हम खुद शर्मिंदा हैं क्योंकि 4-5 महीने से तबियत खराब है। हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि हमारे प्रस्ताव पर यूपी में जाटों को आरक्षण मिला।

उन्होंने चिल्ला कर कहा- महाराणा प्रताप की जयंती पर जय हो, अटल बिहारी वाजेयी की जयंती पर जय हो, दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर जय हो लेकिन कोई भी हमारे पूर्वजों की जयंती पर अपने वॉट्सअप पर एक लाइन लिखता है क्या?  हम राजा (अरिदमन सिंह) के चुनाव प्रचार में गए तो जाटों के गांव में पूछा कि इसने कौन सा युद्ध लड़ा। बिना युद्ध लड़े कोई राजा हो ही नहीं सकता है तो राजा तो महाराजा सूरजमल थे। बाबूलाल मंत्री, सांसद, विधायक रहे। उनसे पूछता हूँ कि शिवाजी तो यहां कैद में रहा था, महाराजा सूरजमल ने कब्जा किया था, उनकी जयंती पर क्या? आगरा यूनिवर्सिटी में चौधरी चरण सिंह पीठ बनी। आज तक पीठ को एक पैसा नहीं मिला, कहते हैं कि हम जाट हैं, जाट हैं, जाट हैं, जाट हैं। जाटों को कोई नहीं पूछ रहा है। अब जाटन का छोरा चपरासी हो जाए तो भागवत और भंडारा में 7 लाख रुपया खर्च कर देगा पर समाज के लिए क्या?

कुँवर शैलराज सिंह एडवोकेट ने कहा कि हिन्दुस्तान की केन्द्रीय यूनिवर्सिटी में फोर्थ क्लास से लेकर प्रोफेसर तक एससी और ओबीसी का नहीं है। निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव बनाए गए लेकिन आज तक एक भी एससी- ओबीसी का आदमी भर्ती नहीं हुआ है। केन्द्र में केवल चार फीसदी एससी और ओबीसी हैं। भारतवर्ष लोकतंत्र से राजतंत्र की ओर जा रहा है, क्योंकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति सब किनारे कर दिए हैं, कोई विपत्ति पड़ गई तो क्या जाट कब्जा करने की स्थिति में है? आप हरियाणा या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाओ और कोई पूछे कि कहां के जाट हैं, आगरा, मथुरा, अलीगढ़ का नाम बताओ तो मुँह बना लेते हैं।

आगरा विजय दिवस
आगरा विजय दिवस कार्यक्रम में उपस्थित श्रोता।

उन्होंने कहा कि जीरो टॉलरेंस है इस समय और कलक्ट्रेट -तहसील में कोई आदमी बिना पैसे के मूत भी नहीं सकता है। राजस्व संहिता 2006 में नियम है कि मुकदमे का निस्तारण छह माह में हो जाना चाहिए लेकिन छह –छह साल से केस चल रहा है। कोई सुनने वाला नहीं है। लोकसभा में 22 जाट सांसद हैं। चौ. अजित सिंह ने आपको आरक्षण दिलवाया और आपने बाप-बेटे की जमानत जब्त करा दी। जाट आरक्षण के संबंध में दिल्ली में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के साथ बैठक हुई। अमित शाह ने 15 दिन में मीटिंग बुलाने की बात कही थी, आज तक कुछ नहीं हुआ। चौ. बाबूलाल को लक्ष्य करते हुए कहा कि इस बार आपकी टिकट कटनी है क्योंकि 75 साल के हो गए हो। मिलनी है तो टिकट मिलेगी। सो बहन बेटियों की इज्जत के लिए अकोला या किरावली में मीटिंग बुलाएं। पनवारी के बाद जाटों से डरते थे, हमने आंदोलन चलाया तो हमसे भी डरते थे, अब कोई नहीं डरता है जाटों से। हमारी बहन बेटियों का जो चीरहरण हो रहा है, इसमें युवाओं और समाज की सरपरस्ती करने वालों ने कोई कार्रवाई नहीं की तो समाज आपको कभी माफ नहीं करेगा।

कुँवर शैलराज सिंह एडवोकेट ने कहा कि हमें इतिहास से हमेशा प्रेरणा लेनी चाहिए। महाराजा सूरजमल हमेशा अमर रहेंगे। महाराजा सूरजमल की पीढ़ी के विश्वेन्द्र सिंह का छोरा उल्टी सीधी बात करता है। अब भरतपुर की ओर देखने से कोई फायदा नहीं है। सदन में प्रस्ताव पारित होना और क्रियान्वयन होना अलग बात है।

जाने-माने इतिहासकार राजकिशोर शर्मा राजे ने बताया कि महाराजा सूरजमल ने 250 वर्ष पूर्व अलीगढ़ को जीतकर रामगढ़ नामकरण किया था। उन्होंने कहा कि महाराजा सूरजमल का मानवतावादी चरित्र उजागर किया जाना चाहिए।

आगरा विजय दिवस
आगरा विजय दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते इतिहासकार राजकिशोर शर्मा राजे।

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. सुरेन्द्र सिंह ने कहा महाराजा सूरजमल ने आगरा किला पर कब्जा करने के लिए 4 हजार नहीं, 400 सैनिक भेजे थे। राजाराम जाट और रामकी चाहर के नेतृत्व में अकबर की कब्र खोदकर हड्डियां जला दी थीं। सिकंदरा में तब की घटना के प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं।

जाटों पर डॉक्यूमेंट्री बनाने वाले शैलेन्द्र सिंह नरवार ने कहा- 1669 में वीर गोकुला जाट  के विद्रोह को इतिहास में कुछ पंक्तियों में समेट दिया गया है। महाराजा सूरजमल आगरा पर शासन किया उन्हें भी बिसरा दिया। डीग के विशाल किले का भी इतिहास में खास जिक्र नहीं है। महाराजा सूरजमल की प्रतिमा स्थापित की जाए।

समाजसेवी और आम आदमी पार्टी की नेता डॉ. हृदेश चौधरी ने सबको खड़ा करके महाराज सूरजमल की शान में नारे लगवाए। कहा- महाराजा सूरजल ने आगरा किला पर कब्जा किया तो वीर गोकुला जाट के बलिदान का बदला लेने की भावना थी। सुनारी चौराहा पर वीर गोकुला जाट की प्रतिमा लगनी चाहिए।

कुशलपाल नादऊ ने कहा कि हम एकजुट रहेंगे तो राजनीति से जो मांगेंगे वह मिलेगा।

अर्जुन सिंह छौंकर ने कहा- आगरा में तीन लाख जाट हैं। अगर पांच फीसदी भी निकल पड़ें तो अवश्य सफल होंगे।

मुकेश डागुर ने कहा– जिन भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा है, वे भी जाट थे। जिस समाज का गौरव नष्ट करना है उसके इतिहास को नष्ट कर दो, यही हमारे साथ हुआ है।

वीरेंद्र सिंह छौंकर ने कहा– बलात्कारी के साथ उसका पूरा समाज है लेकिन हमारी बहन-बेटियों के साथ उनका समाज नहीं। बहनों का पूरा साथ दो।

जितेन्द्र प्रधान अकोला ने कहा– लड़ते रहो अन्यथा पीढ़ियां कोसेंगी।

जगदीश नौहवार (पनवारी) ने कहा अगर जाट एक हो जाएं तो यहां क्या दिल्ली पर भी कब्जा कर सकते हैं।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य चौ. भूरी सिंह ने कहा– महाराज सूरजमल ने मुगलों को घर में घुसकर मारा। जाटों के गांव में अंबेडकर की प्रतिमा लगाई जाती है तो महाराजा सूरजमल की क्यों नहीं। किले में महाराजा सूरजमल की प्रतिमा स्थापित हो।

चौ. मानसिंह प्रमुख ने कहा- यहां का संदेश हर ग्राम पंचायत तक पहुंचाया जाए। जाट समाज शिक्षा पर भी ध्यान दे।

कवि डॉ. अंगद धारिया ने कहा- बोदला से बिचपुरी की ओर जाने वाले मार्ग जो भरतपुर को जोड़ता है, का नाम महाराज सूरजमल मार्ग रखने का प्रस्ताव नगर निगम से पारित कराया है। मधुनगर चौराहा पर महाराजा सूरजमल की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव पारित हो चुका है।

किसान नेता मोहन सिंह चाहर ने कहा संगठन को मजबूत करें क्योंकि संघे शक्ति कलौयुगे। यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय आलू अनुसंधान केन्द्र को ग्वालियर से खींचकर आगरा के सींगना में लाया गया है। किसानों को निर्यात प्रजाति का आलू बीज मिलेगा।

आगरा विजय दिवस
आगरा विजय दिवस के कार्यक्रम में मंचासीन अतिथि।

चौ. गोपीचंद ने कहा– आने वाली पीढ़ी के लिए महाराजा सूरजमल पर संपूर्ण पुस्तक बनानी चाहिए।

लोकगायक महावीर सिंह चाहर ने जाटों की शान में कुछ पंक्तियां पढ़ीं।

अंत में बिल्डर जेएस फौजदार ने संबोधित किया।

संचालक की कुशलता

कार्यक्रम का संचालन रामवीर सिंह नरवार ने किया। समय बचाने के लिए वे कभी वक्ता का कुर्ता खींचते तो कभी उसके बराबर जाकर खड़े हो जाते। कहा जा रहा है कि अगर कार्यक्रम समय पर प्रारंभ हो जाता तो यह नौबत नहीं आती।

मंचासीन अतिथि

कवि सुरेन्द्र सिंह वर्मा एडवोकेट, राजन सिंह प्रधान चौहटना, वीरपाल सिंह प्रधान रामनगर, भूदेव प्रधान, हरदम सिंह पहलवान, सुरेन्द्र चौधरी युवा जिलाध्यक्ष, डॉ. नेत्रपाल सिंह रिठौरी, निशा चौधरी, इंजीनियर डीएस चौधरी, कमल चौधरी आदि मंच पर विराजमान थे।

इन्होंने किया स्वागत

हौला पहलवान दुल्हारा, अर्जुन सिंह छौंकर, शिवसिंह चाहर प्रधान बेरीचाहर, सूबेदार श्यामवीर सिंह गढ़ीमा, मुकेश पहलवान, जितेन्द्र इंदौलिया, भूपेन्द्र इंदौलिया, गजेन्द्र इंदौलिया, राजू प्रधान रसूलपुर, चौ. जगवीर सिंह, डॉ. रूपेश चौधरी, सतीश छौंकर अटूस, सत्यवीर रावत आदि ने स्वागत किया।

समयाभाव में इनका भाषण नहीं हुआ

भूपेन्द्र सिंह राना, चौ. गुलवीर सिंह, चौ, नवल सिंह, भूदेव प्रधान, लोकपाल सिंह चाहर, अवधेश चौधरी, गुड्डा सुनारी, रवीन्द्र सिंह चाहर, गंगाराम दिगरौता, शिशुपाल चौधरी, डॉ. जीएस मलिक का भाषण नहीं हो सका।

आगरा विजय दिवस
आगरा विजय दिवस कार्यक्रम में उपस्थित जाट बंधु

उल्लेखनीय उपस्थिति

गुलवीर सिंह, विद्याराम नरवार, उदय चाहर अकोला, चंद्रमोहन सिंह अकोला, धर्मेन्द्र सिंह चाहर अकोला, रमेश चंद दहतोरा, तेजवीर सिंह अकोला, रघुनाथ सिंह, रिंकू लवानिया अकोला, देवेन्द्र चाहर मास्टर अकोला, गौरीशंकर चाहर रोहता, उदयवीर सिंह बेरीचाहर, सुरेन्द्र चौधरी किरावली, डॉ. अवधेश सोलंकी कागारौल, डॉ. जेपी सिंह पनवारी, हृदय सिंह, पुरुषोत्तम पहलवान, रामवीर सिंह सोलंकी जौनई, जयवीर सिंह लोहकरेरा, हरीशंकर अटूस, देवेन्द्र सिंह, विवेक प्रताप श्रीराम विहार, कुँवर स्वरूप सिंह, कृष्ण कुमार तामसी, कप्तान सिंह जैंगारा, मनोहर सिंह नगला झब्बा, जुगेन्दर सिंह नहचानी, रवीन्द्र चाहर, बसैया बोवला लोकपाल चाहर, विशाल परिहार, धर्मेन्द्र चौधरी पनवारी, मुकेश चौधरी पनवारी, शिशुपाल चौधरी पनवारी, राकेश चौधरी पनवारी, जेपी इंदौलिया अभेदोपुरा, अशोक चाहर मुरकिया, सुधीर कुमार चाहर, शिवराम सिंह, देशराज सिंह सोलंकी अंगूठी, डीपी सिंह चाहर कुठावली, वीरेन्द्र सिंह बाद, राजकुमार रावत बीसलपुर, ओमप्रकाश लोहकरेरा, पवन सोलंकी कागारौल, रामवीर सिंह इंजीनियर, गजेन्द्र सिंह नरवार पूर्व पार्षद, जगवीर सिंह इंदौलिया पूर्व पार्षद, योगेन्द्र सिंह, वीरेन्द्र सिकरवार, हीरेन्द्र नरवार, रोहित चौधरी देवरी रोड, गुलशन सिंह अछनेरा, भूरी सिंह सोलंकी अंगूठी, थान सिंह अछनेरा, चौ. सुनील कुमार, डॉ. जगपाल चौधरी, चौ. करतार सिंह कचौरा, विजेन्द्र सिंह तोमर अछनेरा, रामवीर सिंह चाहर सोनिगा, बृजेश चौधरी, अनिल कुमार परिहार, गिरेन्द्र चौधरी मथुरा, मेम्बर सिंह सादाबाद, चौ.सचिन पचहरा सादाबाद, राम चौधरी पनवारी, गौरव सिंह सरपंच, दीवन सिंह अछनेरा, भूपेन्द्र सिंह, अशोक कुमार टूंडला, श्यामवीर रावत बीसलपुर, वीरेन्द्र सिंह बाद, कीर्ति सिंह चौधरी सुनारी, सत्यवीर सिंह रावत आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Dr. Bhanu Pratap Singh