sports news

मथुरा का भदावल अब आदर्श खेल गांव, डॉ. कनिष्क पांडे द्वारा विकसित खेल विधि ‘पेटेंट आइडिया’ होगी लागू, ‘र’ से ‘रस्साकशी’ भी सीखेंगे बच्चे, जानिए और क्या होगा

Education/job REGIONAL SPORTS

Mathura, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश में मथुरा जनपद की छाता तहसील में एक गाँव है भदावल। यह वृन्दावन से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गांव आदर्श खेल गांव के रूप में विकसित किया जाएगा। देश के अग्रणी बिजेनस स्कूल आई.एम.टी. गाजियाबाद आदर्श खेल गाँव के अनुभव को सेठ आनन्दराम जयपुरिया स्कूल, वसुन्धरा, गाजियाबाद के साथ साझा करेंगे। गाँव में हुए एक वृहत् कार्यक्रम में आदर्श खेल गाँव की नींव रखी गई। शुभारम्भ देश के जाने माने पूर्व हॉकी खिलाड़ी एवं ओलंपियन अशोक ध्यानचंद ने किया। अशोक ध्यानचंद को सर्वश्रेष्ठ खेल प्रदर्शन के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

 

रस्साकशी के साथ शुरुआत

आदर्श खेल गांव की शुरुआत रस्साकशी खेल के साथ की गई। इसमें विभिन्न आयु वर्ग की लड़के और लड़कियों की कई टीमों के 120 खिलाड़ियों ने भाग लिया। जीतने वाली टीम के खिलाड़ियों को ट्रॉफी एवं प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। उन्हें प्रतिदिन खेलने के लिए प्रेरित किया गया। जिसमें एक विजेता टीम लड़कियों की और एक विजेता टीम लड़कों की रही। साथ ही प्रतियोगिता के समापन उपरान्त गाँव के बच्चों को खेल प्रवेशिका, Know Sports, खेल कलैण्डर आदि वितरित किये, ताकि बच्चे अधिक से अधिक खेलों को समझ सकें।

adarsh khel gaon bhadawal
adarsh khel gaon bhadawal का शुभारंभ

राष्ट्रीय पटल पर आएगा भदावल गांव

सेठ आनन्दराम जयपुरिया स्कूल, गाजियाबाद की निदेशक डॉ. मंजू राणा ने बताया कि हम बच्चों के लिए एक स्वस्थ माहौल की संकल्पना करते हैं। यह तभी साकार होगा जब सभी आयुवर्ग के बच्चे बचपन से ही एक साथ खेले-कूदें। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने इस गाँव को आदर्श खेल गाँव बनाकर देश के राष्ट्रीय पटल पर लाना चाहते हैं। जो बच्चे अच्छा प्रदर्शन करेंगे, उनके पढ़ने और खेलने का प्रदर्शन हमारे विद्यालय की ओर से होगा, ताकि ये बच्चे और अधिक मेहनत से देश का नाम रोशन कर सकें।

खेल संस्कृति विकसित की जाएगी

खेल अनुसंधान केन्द्र, आई.एम.टी., गाजियाबाद के हैड डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने बताया कि शोध के आधार पर प्रमाणित हुआ है कि खेल से जीवन में मूल्यों का विकास होता है। हमारी संस्था ने मेरे द्वारा विकसित खेल विधि ‘पेटेन्टड आइडिया’ को जमीनी स्तर पर लाने के लिए मुजफ्फरनगर जिले के बहादरपुर और खैड़ी विरान गांव में लागू किया। इसकी अपार सफलता से हमें और आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। आज हम जयपुरिया ग्रुप से आदर्श खेल गांव विकसित करने में सहयोग करने की उम्मीद करते हैं। जल्द ही भदावल को देश के सभी लोग जानने लगेंगे। यहां के बच्चे राष्ट्रीय पटल पर अपनी प्रतिभा को दिखाएंगे। इस गांव में खेल की सारी मूलभूत सुविधाओं को विकसित किया जायेगा। हर आयु वर्ग के व्यक्तियों को किसी न किसी खेल से जोड़कर एक ऐसी खेल संस्कृति विकसित की जाएगी जोकि एक मिसाल कायम करे। आज से इस यात्रा की शुरुआत की जा रही है, जो अनवरत जारी रहेगी। गाँव के बच्चों को प्रशिक्षण देने के लिए आज से गाँव में एक प्रशिक्षक भी नियुक्त किया जा रहा है।

adarsh khel gaon
मथुरा के भदाव में adarsh khel gaon के शुभारंभ के मौोके पर संबोधित करते अतिथि

विजेता और पराजित प्रधान प्रत्याशी एकजुट

डॉ. कनिष्क पाण्डेय ने बताया कि आदर्श खेल गाँव में जीते हुए प्रधान व पूर्व प्रधान ने सहमति जताई है कि खेल भावना के अनुरूप आपसी वैमनस्य को भूलकर गाँव में खेल विकास के लिए एक मंच पर इकट्ठे होंगे। पूर्व प्रधान ने बताया कि जीत हार जीवन का एक हिस्सा है और खेल में यह बेहतर तरीके से सिखाया जाता है। इसलिए हम कृष्ण नगरी के दोनों प्रधानों ने यह तय किया है कि आदर्श खेल गाँव में मतभेदों और मनभेदों के लिए कोई जगह नहीं होगी। वर्तमान प्रधान ने बताया कि जिस प्रकार से खेल में जीता हुआ खिलाड़ी और हारा हुआ खिलाड़ी दोनों एक ही होटल में रहते हैं तथा एक ही टेबल पर खाना खाते हैं और आपस में किसी बैर भाव को नहीं रखते, इसी भावना के अनुरुप हम लोगों ने भी यह तय किया है कि गाँव के विकास के लिए हम लोग एक साथ काम करेंगे।

120 साल बाद भी ओलंपिक में सिर्फ 35 पदक मिले

इस अवसर के मुख्य अतिथि देश में खेलों के सिरमौर मेजर ध्यानचंद के पुत्र अशोक ध्यानचंद ने डॉ. कनिष्क पाण्डेय के इस मिशन को एक जुनूनी मिशन बताया। उन्होंने कहा- हमें धीरे-धीरे यह विश्वास हो चुका है कि जिस मुहिम का बिगुल कनिष्क ने बजाया है उसकी आवाज अब देश के कोने-कोने तक पहुंचेगी और ढेरों युवा खिलाड़ी उभरेंगे। हॉकी के जादूगर के रूप में विख्यात मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यान चंद ने कहा कि हमारे देश ने सन 1900 में ओलंपिक में भाग लेना शुरू किया था। करीब 120 साल बाद हमारे देश के पास मात्र 35 मेडल हैं। 135 करोड़ की आबादी होने के बाद भी हम ओलंपिक जैसी प्रतिस्पर्धाओं में कंपलीट क्यों नहीं कर पाते हैं। इसका कारण यह है कि देश में खेल संस्कृति नहीं है। देश में खेल साक्षरता नहीं हैं। इसी कमी को पूरा करने के लिए यह आदर्श खेल गांव शुरू किया है। इसमें हर एक बच्चे को खेलने का मौका दिया जाएगा। हर एक बच्चे को विकसित होने का मौका दिया जाएगा। हमारा ध्यान शिक्षा पर भी रहेगा लेकिन मुख्य फोकस खेल पर ही है ताकि किसी भी बच्चे में अगर क्षमता है तो बाहर आ सके।

adarsh khel gaon mathura
मथुरा के भदाव में adarsh khel gaon के शुभारंभ के मौोके पर संबोधित करते अतिथि

छोटे बच्चे खेलों में आगे आएं

उन्होंने कहा कि छोटे छोटे बच्चों को खेल में आना चाहिए। खेल में बहुत सारी नौकरियां हैं। बहुत सारा पैसा है। आदर्श खेल गांव में आसपास के क्षेत्र के खिलाडि़यों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। वहीं खेलों के प्रति युवाओं में सकारात्मक सोच बढ़े उसके लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे खिलाड़ी निखर कर आएं और ओलंपिक जैसे खेलों में हिस्सा लेकर देश का नाम रोशन कर सकें। आदर्श खेल गांव की योजना 16 जनवरी 2020 को शुरू की गई थी। अशोक ध्यानचंद ने बताया कि गांव में देश की आत्मा बसती है। हमारा प्रयास गांवों में उन चीजों का अभाव दूर करने का है, जिससे बच्चे अपने देश के लिए गांव के लिए मेडल जीतें। गांव के लोग गर्व महसूस कर सकें। यह बेहद उदाहरणीय कार्य है। जहां खेल होता है वहां बच्चा खुशी जाहिर करता है। खेल को आगे बढाना है। यूपी में कई गांव खेल गांव के रूप में विकसित हो चुके हैं। यहां के बच्चों का उत्साह दिखाता है कि ये बच्चे राज्य और देश का नाम रोशन करेंगे।

जयपुरिया ग्रुप और डॉ. कनिष्क पाण्डेय को सराहा

अंतरराष्ट्रीय हैण्डबॉल खिलाड़ी नवीन कुमार पूनियां ने जयपुरिया ग्रुप और डॉ. कनिष्क पाण्डेय की इस बात के लिए सराहना की कि वो देश का दूसरा आदर्श खेल गांव एक ऐसी जगह स्थापित करने जा रहे हैं जहां से खेलों का बहुत पुराना और गहरा नाता है। यह श्री कृष्ण की भूमि है और श्री कृष्ण को खेल से कितना लगाव था यह किसी को बताने की जरुरत नहीं है। हम यह उम्मीद करते हैं कि इस गांव के बच्चे श्री कृष्ण की परम्परा को आगे बढाएंगे और खेल में भाग लेकर एक समरस भाव सीखेंगे।

 

कैसा होगा आदर्श खेल गाँव

  1. ’क’ से कबूतर की तर्ज पर ’क’ से कबड्डी और ‘र’ से ‘रस्साकशी’ भी सीखेंगे बच्चे।
  2. शाम 04.00 बजे से 06.00 बजे तक नहीं चलेंगे कम्प्यूटर व टी.वी.। होगा सिर्फ खेल।
  3. गाँव में खुलेगी स्पोर्ट्स आइटम शॉप।
  4. केवल स्पोर्ट्स चैनल देखने के लिए लगाया जाएगा टी.वी.।
  5. गाँव में होगा मोटिवेटर।
  6. आंगन से लेकर खेल मैदान तक खेलने वालों को दिया जाएगा मेडल।
  7. ओलम्पिक खेलों के प्रमोशन एवं प्रशिक्षण पर रहेगा जोर।
  8. इस आदर्श खेल गांव की सफलता को धीरे-धीरे देश के कई और गांवों तक दोहराने के प्रयास किये जाएंगे।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh