सीमा से सटे इलाकों में चीन तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है। उसकी सरपरस्ती में पाकिस्तान की हिम्मत भी बीच-बीच में जोर मारती रहती है। बॉर्डर पर दोनों पड़ोसियों की नापाक हरकतें बढ़ती चली जा रही हैं। ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा की रणनीति में अहम बदलाव की तैयारी है। प्लान यह है कि बॉर्डर से सटे राज्यों में अब मल्टी-पर्पज रोड टनल्स बनाई जाएं। इन सुरंगों में मेन टनल से इतर साइड टनल बनाई जाएंगी।
एक रिपोर्ट के अनुसार इन साइड टनल्स में सेना जरूरी गोला-बारूद से लेकर मिसाइल तक स्टोर करेगी। चीन बॉर्डर एरियाज में बाम्ब-प्रूफ अंडरग्राउंड शेल्टर्स तैयार कर रहा है। भारतीय सेना उसकी किसी भी चालाकी से निपटने को तैयार है। सुरंग के भीतर सुरंग बनाकर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को उसी के खेल में मात दी जाएगी। बॉर्डर एरियाज में अपग्रेडेशन का काम तेजी से चल रहा है। उम्मीद है कि जून 2023 तक बालीपुरा-चारदुआर-तवांग एक्सिस पर दो टनल्स- सेला और नेचिफू टनल्स खुल जाएंगी।
रणनीतिकारों ने पूर्वी लद्दाख में LAC पर तनाव बढ़ने के साथ ही ऐसा करने की सोची थी। उसी वक्त सेला और नेचिफू में सुरंग के साथ साइड टनल बनाने पर विचार हुआ था। हालांकि सड़क का अलाइनमेंट ऐसा है कि यह संभव नहीं हो सका। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भविष्य के युद्ध बड़े पैमाने पर इन्फ्रैंट्री मूवमेंट से नहीं, बल्कि स्टैंड-ऑफ वेपंस से लड़े जाएंगे। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि सेना का गोला-बारूद और मिसाइलें दुश्मन की नजर में न पड़ें। भारतीय सेना इसी वजह से पूर्वी लद्दाख में LAC पर अब RCC पाइप्स का इस्तेमाल करने लगी है। सैनिक एक-दूसरे से जुड़े ट्यूब्स से हथियार और गोला-बारूद लाते-ले जाते हैं और दुश्मन की नजर में नहीं आते।
बॉर्डर पर चीन की हिमाकत, उसी अंदाज में भारतीय सेना का जवाब
चीन की सेना ल्हासा के गोंगर एयरबेस पर बम-प्रूफ अंडरग्राउंड शेल्टर्स बना रही है। यहां पर लड़ाकू विमान और मिसाइल्स रखे जाएंगे। पूर्वी लद्दाख में देमचोक के पास गर-गुनसा बेस पर भी तैयारी चल रही है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड कर रही PLA ने अरुणाचल प्रदेश से लगे निंगची एयरपोर्ट पर भी किलेबंदी की है। चीनी सेना स्थायी सैन्य बैरक बना रही है, ऑप्टिकल फाइबर और इलेक्ट्रिसिटी का नेटवर्क बिछाया जा रहा है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने अपने बटालियन कमांडर्स को मौके पर ही टैक्टिकल फैसले लेने की छूट दे रखी है। तेजी से तैनाती की बकायदा एक रणनीति तैयार की गई है।
चीन से लगती करीब 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा (LAC) पर कड़ाके की सर्दी पड़ रही है। एचटी की रिपोर्ट बताती है कि चीनी सेना अपने सैनिकों की तैनाती में कटौती कर रही है। अक्टूबर में तीन अतिरिक्त ब्रिगेड्स तैनात की गई थीं जो अब विड्रॉल मोड में हैं। हालांकि सिलीगुड़ी कॉरिडोर के पास और निंगची के दक्षिण में एक्स्ट्रा ब्रिगेड अब भी तैनात है।
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