145वीं आईपीयू असेंबली में हरिवंश ने कहा, पीओके को खाली करे पाकिस्तान – Up18 News

145वीं आईपीयू असेंबली में हरिवंश ने कहा, पीओके को खाली करे पाकिस्तान

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राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने गुरुवार को रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित 145वीं आईपीयू असेंबली में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को जमकर लताड़ा है. उन्होंने अपने संबोधन के दौरान पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाते हुए कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण हे कि पाकिस्तान मेरे देश के खिलाफ झूठे दुष्प्रचार करने और आज की महत्वपूर्ण चर्चाओं से ध्यान भटकाने के लिए इस मंच का दुरुपयोग करना चाहा है.’

पीओके में भारतीय क्षेत्र को खाली करे पाकिस्तान

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अपने संबोधन में आगे कहा कि पाकिस्तान को भारत-विरोधी आतंकवाद गतिविधियों को तुरंत बंद कर देना चाहिए और आतंकवाद के अपने बुनियादी ढांचे को ध्वस्त करना चाहिए. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को पीओके (पाक-अधिकृत कश्मीर) में मानवाधिकारों के उल्लंघन को तुरंत रोकना चाहिए. हरिवंश ने कहा कि पीओके की वर्तमान में किसी भी भौतिक बदलाव को प्रभावित करने से बचना चाहिए और अपने अवैध कब्जे के तहत भारतीय क्षेत्रों को खाली करना चाहिए.

आतंकी ढांचे को ध्वस्त करे पाकिस्तान: मीनाक्षी लेखी

बताते चलें कि रवांडा की राजधानी किगाली में आयोजित 145वीं आईपीयू असेंबली में ने केवल राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने पाकिस्तान को कश्मीर मुद्दा उठाने पर खरी-खरी सुनाई, बल्कि कजाकिस्तान के अस्ताना में आयोजित सीआईसीए शिखर सम्मेलन में विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने भी पाकिस्तान पर निशाना साधा है. उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि पाकिस्तान के पास जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. पाकिस्तान वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है. पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने यहां आतंकवाद के बुनियादी ढांचे को ध्वस्त कर दे. हम पाकिस्तान सहित अपने पड़ोसियों के साथ सामान्य संबंध चाहते हैं.

भारत के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा पाकिस्तान

विदेशी राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी ने आगे कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर हमारे देश के खिलाफ झूठे और दुर्भावनापूर्ण प्रचार करने और सदस्य देशों के बीच आज की चर्चा और सहयोग के विषय से ध्यान भटकाने के लिए सीआईसीए मंच का दुरुपयोग करने का विकल्प चुना है.

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की टिप्पणी आज भारत के आंतरिक मामलों, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता में घोर हस्तक्षेप है, जो सितंबर 1999 के सीआईसीए सदस्य राज्यों के बीच सिद्धांतों के मार्गदर्शक संबंधों पर सीआईसीए घोषणा के साथ असंगत है.

Dr. Bhanu Pratap Singh