- यूपी के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा, हर सफल मंत्री के पीछे एक ब्यूरोक्रेट जैसे दुर्गाशंकर मिश्र
- विवेकानंद और मोदी के विचारों को साकार रूप देने का काम शारदा विश्वविद्यालय कर रहा
- शारदा विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. पीके गुप्ता ने विद्यार्थियों को दी महत्वपूर्ण नौ सीखें
- राष्ट्र की उन्नति के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना यूनिवर्सिटी का उद्देश्यः वाईके गुप्ता
डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव, कुशल प्रशासनिक अधिकारी और शिक्षा मंत्री को सफल बनाने वाले दुर्गाशंकर मिश्र ने शारदा विश्वविद्यालय आगरा के दीक्षारंभ 2024 में 800 छात्रों को चुनौती दी। ऐसी चुनौती जिसका स्वागत करतल ध्वनि के साथ किया गया। उन्होंने कहा कि जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान, जय अनुसंधान के साथ बच्चा जुड़ेगा और वह विकसित भारत में योगदान देगा। विकसित भारत तो होना ही है। मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि विवेकानंद और मोदी के विचारों को साकार रूप देने का काम शारदा विश्वविद्यालय कर रहा है।
आई.एएस. अधिकारी दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि दीक्षारंभ 2024 के 800 छात्रों को चुनौती कि आप पायनिर बने। आप विश्वविद्यालय की नई संस्कृति को स्थापित करने जा रहे हो। आप जैसा करोगे, आने वाली पीढ़िया वही करेंगी। शिक्षक भी नई संस्कृति पैदा करने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, मैं यही चुनौती आपके हाथ में देता हूँ कि ऐसी संस्कृति बनाइए जो प्रधानमंत्री ने सपना देखा है, उनका जो विजन है, देश को 2047 में विकसित करना का, उस कार्य को पूरा करने में हर कोई जुट जाए। देश- दुनिया में तिरंगा ऊँचा करने के लिए संलग्न हो जाए और यह बहुत मुश्किल नहीं है।
श्री मिश्र ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जो सोचता है, वह जीतता है। हम उन ऋषियों की संतान हैं, जिन्होंने सोचा तो अंतरिक्ष की देख लिया। वशिष्ठ मुनि, विश्वामित्र मुनि, भारद्वाज ऋषि. कण्व ऋषि की संतान हैं हम। हजारों साल पहले जब दुनिया में कुछ नहीं था, तब हमारे मुनि वेद और पुराण लिख रहे थे। हमारे रक्त में उन्हीं का डीएनए है।
दुर्गाशंकर मिश्र के उद्बोधन की मुख्य बातें
- शिक्षा का मतलब ज्ञान, कौशल होता है लेकिन दीक्षा संस्कार होता है। शिक्षा बुद्धि और मन से प्रप्त करते हैं और दीक्षा आत्मा से प्राप्त करते हैं। हमें केवल ज्ञान प्राप्त नहीं करना है, बल्कि ज्ञान को कैसे हासिल करें कि हमारी आत्मा और चरित्र ऐसा बन जाए कि आप असीमित हो जाएं। सभी कमियां दूर करके आगे बढ़ते रहें। हमारे देश के सनातन की यह ताकत है।
- आज मैं अपने आपको 1978 में ले जा रहा हूँ। हम आईआईटी कानपुर में ऐसे ही पहुंचे थे। स्कूल से स्कूल तक दूसरे लोगों पर आश्रित रहते हैं। कॉलेज में पहुंचते हैं तो अपने बल पर आगे बढ़ने के लिए नए जगत में प्रवेश करते हैं। वहां आपको अच्छे संस्कार की आवश्यकता है ताकि अपने सपने साकार करने के लए आगे बढ़ सकें।
- पूर्व राष्ट्रपति कलाम कहते थे कि सपने वे हैं जो आपको सोने नहीं देते हैं। इसलिए आप ऐसे सपने देखें जो आपको सोने न दें।
- 1978 में भारत कैसा था? आज 2024 हमारे देश का स्वर्णिम काल है, जिसे अमृतकाल कहते हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त, 2022 को लाल किले की प्राचीर से कहा था कि यह अमृतकाल की प्रथम वेला है और इस वेला में हमारा पूरा देश पंचप्रण के माध्यम से बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा। जब देश की आजादी की 100वीं जयंती 2027 में मना रहे होंगे तो विकसित देश होगा।
- अब हमारा लक्ष्य विकसित भारत का है, जिसका संकल्प लेकर पूर देश तेजी से बढ़ रहा है। यह संकल्प कोई सपना नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का विजन है, जिसे आप सारे लोग महसूस कर रहे हैं।
- दो वर्ष के भीतर और उसके पीछे 10 साल में पूरे देश का विकास हुआ है। देश जिस तेजी से बढ़ रहा है, उससे तय है कि विकसित भारत का सकल्प पूरा होना जे रहा है।
- आज दुनिया में हम दुनिया की 5वीं अर्थव्यवस्था हैं। जल्दी ही तीसरी अर्थव्यवस्था होंगे। 4 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। दुनिया के अर्थशास्त्रियों के अनुमान हैं कि 2047 तक 32-40 ट्रिलियर डॉलर की अर्थव्यवस्था भारत की बनेगी।
- 1978 में हम ऐसा सोच भी नहीं सकते थे। तब हम स्वयं के बारे में सोचते थे, देश के बारे में नहीं सोचते थे। आज हर भारतीय यह सोचता है क हम विकसित भारत का अंग हो रहे हैं।
- 1000 वर्ष पहले हम विकसित भारत हुआ करते थे। दुनिया की 25 फीसदी अर्थव्यवस्था भारत में थी। एक हजार साल की गुलामी ने हमें अपने आपको भुला दिया है। हम अपने आपको भूल गए। अपनी ताकत को भूल गए। वह ताकत प्रधानमंत्री ने खोल दी है।
- जब पूरी दनिया जब कोविड-19 की विभीषिका से जूझ रही थी, अर्थव्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गई थी, तब हमारा देश आत्मनिर्भार भारत के रूप में आगे बढ़ रहा था। आज भी जब अन्य देशों की अर्थव्यवस्था गिरी पड़ी हैं तब हमारा देश 8.5 परसेंट की अर्थव्यवस्था के साथ आगे बढ़ रहा है। सबसे तेजी के साथ हमारा देश बढ़ रहा है।
- आईएमएफ और विश्व बैंक के डाटा के अनुसार दुनिया का सबसे अधिक ग्रोथ भारत में हो रहा है। आप उस अर्थव्यवस्था के अंग हो, सोचो। इसलिए वे सपने देखने हैं, जिन सपनों को देखने के लिए प्रधानमंत्री ने पंचप्रण दिए हैं।
- पहला प्रण- विकसित भारत का संकल्प।
- 14. तीसरा प्रणः विरासत को सम्म्मान देना। हम कौन थे, यह भूल गए। हमारी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देंगे तो उसकी शक्ति को लेकर आगे बढ़ सकते हैं।
- 15. चतुर्थ प्रणः इनक्लुसिव विकास। हर जाति-धर्म के गरीब से गरीब इंसान को सम्मानजनक जिंदगी देना है। आपने देखा कि करोडों मकान बन गए, बिजली मिल गई।
- 16. पंचम प्रणः कर्तव्य भावना। हम कैसे विकसित भारत के साथ स्वयं को जोड़ सकते हैं।
- 17. आप सोचते हैं कि विकसित भारत का काम मुख्य सचिव, मंत्री या कुलपित का है, हमार क्या काम है, तो आपका काम है अच्छे से पढ़ो। आपके पास समय है अधिकाधिक ज्ञानार्जन का, इनोवेशन का, स्टार्टअप का, एंटरप्रिन्योरशिप का। आपको सोचना है कि हम क्या कर सकते हैं। आप कम्युनिकी कनेक्ट के माध्यम से कनेक्ट करो कि यहां लोग कैसे रहते हैं और इनकी बेहतरी के लिए क्या कर सकते हैं। बच्चे को कैसे बेहतर शिक्षा दे सकते हैं, हेल्थ सिस्टम को और कैसे बेहतर कर सकते हैं।
- वित्त मंत्री ने बजट भाषण में एग्री स्टेक की बात की थी। यह ठीक यूपीआई की तरह होगा। आज मैं गर्व से कह सकता हूँ कि क्रॉप सर्वे में उत्तर प्रदेश नम्बर वन है। किसान क्रेडिट कार्ड 15 मिनट के अंदर बन सकता है। प्रत्येक एग्री प्लॉट के बारे में सोच सकते हैं। जान जाएंगे कि प्लॉट में क्या बोना है, क्या आवश्यकता है।
- जमीन तैयार हो गई है। इस पर करने की अनंत संभावनाएं हैं। आप देखें कि कैसे किसान को और समृद्ध कर सकते हैं।
- आपने शारदा विश्वविद्यालय में ड्रोन टेक्नोलोजी की स्थापना की है। बधाई है। प्रधानंमत्री ने ड्रोन दीदी की कल्पना दी, जो ड्रोन चलाती हैं। ड्रोन के माध्यम से अनेक फायदे हो सकते हैं।
- आज जमाना तकनीक का है। नए इनोवेशन का है। तकनीक की हमारी लाइफ में एंट्री हुई है। तकनीक को व्यावहारिक रूप में लाया जा रहा है। पढ़ने के साथ नई चीजें करें, जिससे इनोवेशन आएगा। ये करने के लिए आपको कठिन परिश्रम करना होगा। 95 परसेंट नंबर लाने से नहीं होता है। कठिन परिश्रम के लिए सामान्य दिनचर्या से अलग सोचना होगा।
- यहां पर एनसीसी है। मैं स्वयं एनसीसी का कैडिट रहा। उससे भी बहुत किस्म के संस्कार आते हैं।
- मैं छोटे से गांव से निकला। पेड़ के नीचे पढ़ना शुरू किया। आईआईटी कानपुर में बनाया गया कीर्तिमान आज तक किसी ने तोड़ा नहीं है। बेस्ट आलराउंडर रहा हूँ। क्योंकि मैं हर गतिविधि में भाग लेता था। मैं कानपुर से लखनऊ दौड़कर गया। साइकिल यात्रा की। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेता था। इससे आपका दिमाग और तेज चलता है।
- सिर्फ पढ़ते रहने से पूर्ण विकास नहीं होता है। मैंने बहुत से लोगों को देखा है जो सिर्फ पढ़ते थे और उनका एकांगी विकास हुआ है। अगर आपमें लोगों की भावना समझने की ताकत है, तो उस ओर जाओ।
- नई शिक्षा नीति आपको बहुमुखी विकास का मौका देती है। आप इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग के साथ अन्य चीजें पढ़ सकते हो, यहां के साथ अन्य विश्वविद्यालय में जाकर पढ़ सकते हो।
- नई शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान तंत्र आया है। दुनिया हमारे ज्ञान पर शोध कर रही है। आयुर्वेद, योग का पूरी दुनिया में प्चार हुआ ह। एम्स में आयुष की पढ़ाई होती है। 1916 में बीएचयू में भारतीय ज्ञान तंत्र को जोड़ा था मदन मोहन मालवीय ने। गणित, विज्ञान, समुद्र, अंतरिक्ष आदि के बारे में भारत में ज्ञान का अपूर्व भंडार भरा हुआ है, केवल देखने की आवश्यकता है। पंतजलि में मैंने ज्ञान का भंडार देखा। नई चीज खोजने की भावना लाइए। एक बार चस्का लग गया तो नई चीजें निकलनी शुरू हो जांगी।
- देश में 29 शहरों में मेट्रो चल रही है। 900 किलोमीटर लंबाई है। एक करोड़ यात्री प्रतिदिन मेट्रो से चलते हैं। पहले हम मेट्रो कोच बाहर से मँगाते थे, आज निर्यात करते हैं। यह विकसित भारत है।
- एक्सप्रेस-वे का जाल बिछ गया है। जल मार्ग, वायु मार्ग बन रहे हैं।
- पिछले डेढ़ साल में 30 नए निजी विश्वविद्यालयों की स्वीकृति मिली है, जिसमें 15 चालू हो गए हैं। यह नॉलेज सिस्टम में वृद्धि है।
- सरकार की अनेक सुविधाएं डिजिटल माध्यम से मिल रही हैं। विकसित भारत का संकल्प है कि दुनिया की हर तकनीक हमारे पास हो।
- पैरालंपिक में 7 गोल्ड समेत 29 मेडल मिले हैं। आगे आने वाले वर्षों में तीन गुना बढ़ेगा। यह विकसित भारत है।
- आप विकसित भारत के स्वर्णिम काल के छात्र हो। उस समय आप प्राइम आयु में होंगे। जब देश विकसित बन जाए तब सोचना कि इसमें हमारा क्या योगदान है। इसकी शुरुआत दीक्षारंभ से हो रही है।
- आपमें अगर पंचप्रण के संस्कार आ गए तो विकसित भारत में अपूर्व योगदान करेंगे।
- नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय में दुनिया भार के लोग शिक्षा प्राप्त करने आया करते थे। आज उसी ओर भारत बढ़ रहा है।
शारदा विश्वविद्यालय आगरा के दीक्षारंभ समारोह को संबोधित करते मंत्री योगेंद्र उपाध्याय।हर सफल मंत्री के पीछे एक ब्यूरोक्रेट
उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने कहा कि जैसे हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है, उसी तरह से हर सफल मंत्री के पीछे एक ब्यूरोक्रेट होता है जैसे मिश्र जी (दुर्गाशंकर मिश्र)।
योगेंद्र उपाध्याय के उद्बोधन की खास बातें
- स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा वह है जो ज्ञान के साथ संस्कार और स्वावलंबी बनाए। यहां आकर महसूस हुआ कि स्वामी विवेकानंद के विचार यहां सार्थक हो रहे हैं। हम पहले लॉर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धित से शिक्षा ले रहे थे। 900 वर्ष की गुलामी के बाद भारत आजाद हुआ था। इस कारण हम स्व को भूल गए थे।
- कोविड काल में सिद्ध किया कि डिजास्टर में मैनेजमेंट का मास्टर है तो दुनिया में मोदी है। ऐसे विपत्तिकाल में नई शिक्षा नीति दी।
- अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति के उत्थान क बात नहीं होगी तो देश के विकास की बात करना बेमानी है। मोदी ने शिक्षा को संस्कार, रोजगार और तकनीक से जोड़ा है। विवेकानंद और मोदी के विचारों को साकार रूप देने का काम शारदा विश्वविद्यालय कर रहा है।
- शिक्षा बदल रही है। देश बदल रहा है। उत्तर प्रदेश बदल रहा है। योगी-1 में शिक्षा को पटरी पर लाय गया। योगी-2 में शिक्षा की ट्रेन तेजी से दौड़ रही है।
- कर रहे हैं हमारे नेता, हमारा नाम हो रहा है।
- उत्तर प्रदेश में शिक्षा के विकास में मिश्र जी का बड़ा योगदान है। योगी जी की इच्छा थी, मैंने तो महायज्ञ में थोड़ी सी आहुति दी है।
- यह देश का दुर्भाग्य है कि नकल का अधिकार देने के नाम पर वोट मांगे एक राजनीतिक दल ने।
- एक समय था जब पेरिस में भारतीयों को उपेक्षा की दृष्टि से देखा जाता था। जब मैं इनवेस्टर्स मीटिंग के लिए गया तो हर ओर उत्सुकता थी। पेरिस में यूपी की धमक योगी के नाम की है। भारत को मोदी के नाम से जानते हैं।
- जो जिम्मेदारी समाज ने हमको दी है, उसे ईमानदारी समर्पण और निष्ठा से पालन करें, यही राष्ट्रभक्ति की परिभाषा है।
- विकसित भारत बनाने की बहुत बड़ी चुनौती है, जिसे हम बना रहे हैं। आने वाली पीढ़ी को अपना योगदान बताने के लिए कुछ होना चाहिए।
- शारदा विश्वविद्यालय भारत आने वाली पीढ़ी को विकसित भारत बनाने की ओर ले जाएगा।
शारदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ. पीके गुप्ता की सीख
- आप लोग हिम्मत न हारें।
- सच्चाई और ईमानदारी से रहें। जीवन में सच के साथ चलना है।
- शॉर्टकट न अपनाएं।
- विशवास रखिए कि आपके टीचर और माता-पिता बेस्ट कर रहे हैं।
- सबको साइंटिस्ट के रूप में विकसित होना है।
- दो माह के लिए एनजीओ के रूप मे गांव भेजें। वहां लोगों की भावनाओं को तकलीफों को समझें। फिर उन्हें हल करने के बारे में सोचें। जब आप जॉब में होंगे तो समझ आएगा कि सर्वे, डाटा कलेक्शन, प्रोसेस और आउटकम कैसे होता है।
- बिना अच्छा इंसान बने आफ सफल नहीं हो सकते हैं।
- अपना लक्ष्य तय करें और उसे पाने के लिए योजना बनाएं।
- दुनिया में कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं है। दुनिया के जितने बिलेनियर हैं, वे ऐसे ही सोचते थे।
विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का ध्यान
कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) जयंती रंजन ने विश्वविद्यालय में उपस्थित हुए सभी अतिथियों का आभार एवं अभिनंदन करते हुए विद्यार्थियों को शारदा विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा की नई यात्रा शुरू करने के लिए बधाई दी। उन्होंने बताया कि शारदा विश्वविद्यालय का पाठ्यक्रम सभी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। विद्यार्थियों को मूल विषयों के अतिरिक्त विकसित भारत, सतत विकास पर आधारित कोर्स एवं विदेशी भाषा का ज्ञान भी कराया जाएगा। शारदा विश्वविद्यालय नए विचारों के निर्माण एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने और समाज के विकास में योगदान देने का महत्वपूर्ण केंद्र होगा।
वाईके गुप्ता ने नवाचार को अपनाने की प्रेरणा दी
प्रो-चांसलर वाई.के.गुप्ता ने उपस्थित सभी अतिथियों, गणमान्य व्यक्तियों, विद्यार्थियों, शिक्षकों और स्टाफ को नए सत्र की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए सभी नवागत विद्यार्थियों को रचनात्मकता और नवाचार को अपनाने के लिए प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की उन्नति के लिए और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना शारदा विश्वविद्यालय का उद्देश्य है। शारदा विश्वविद्यालय नोएडा के कुलपति प्रो. सिबाराम खारा ने भी विचार रखे।
उल्लेखनीय उपस्थिति
शारदा ग्रुप की ट्रस्टी श्रीमती सीमा गुप्ता एवं श्रीमती भावना गुप्ता, प्रोफेसर परमानंद प्रो वी.सी. शारदा विश्वविद्यालय नोएडा, विवेक गुप्ता कुलसचिव शारदा विश्वविद्यालय नोएडा, प्रोफेसर वी.के. शर्मा ईवीपी, शारदा ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस, प्रोफेसर आर.एस पवित्र, सहित सभी संकाय अध्यक्ष, विभागाध्यक्ष एवं शिक्षागण उपस्थित रहे।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रोफेसर एम.एच. वाणी ने स्वागत किया। अतिथियों को स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।
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