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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. जब से नंद नंदन गर्ग आगरा लौटकर आए हैं, तब से संस्कार भारती के मासिक कार्यक्रम शुरू हो गए हैं। उन्होंने अरुणोदय के नाम से मासिक काव्यगोष्ठी की शुरुआत कराई है। इसमें नए कवियों को बुलाया जाता है। यह बात अलग है कि नए कवि आते नहीं हैं। ऐसे में वरिष्ठ कवियों से ही काम चलाया जा रहा है।
मुझे याद है कि नंद नंदन गर्ग ने आगरा में श्रीकृष्ण बाल स्वरूप सज्जा प्रतियोगिता शुरू कराई थी। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर होने वाला यह कार्यक्रम आज भी चल रहा है। बैंक ने उनका स्थानांतरण आगरा से बाहर दिया।
वे संघ विचारधारा के पोषक हैं। इसलिए सोच रहे थे कि कुछ दिन बाद आगरा स्थानांतरण करा लेंगे। प्रयास भी किया परंतु सफलता नहीं मिली। मैंने एक बार इस बारे में चर्चा की तो उन्हें कोई अफसोस नहीं हुआ। कहने लगे कि हम विचार के लिए काम करते हैं, व्यक्तिगत नहीं। बैंककर्मी का तबादला केंद्र सरकार के हाथ में होता है, केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार होने के बाद भी स्थानांतरण नहीं हुआ, है न ताज्जुब की बात।
शायद नंद नंदन गर्ग जैसे समर्पित लोगों के बल पर ही संगठन चलते रहते हैं। यह बात अलग है कि ऐसे लोगों के सेवा भाव का मोलभाव कुछ और लोग करके सत्ता की मलाई चाटते रहते हैं।
बैंक से अवकाश प्राप्त करने के बाद वे आगरा आ गए हैं। फिर से अपने अभियान में लग गए हैं। इस समय संस्कार भारती के वरिष्ठ प्रांतीय उपाध्यक्ष हैं। कई कार्यक्रमों की धुरी होते हैं। इसके बाद भी अपना फोटो खिंचवाने में संकोच करते हैं। वही अरुणोदय काव्यगोष्ठी को संयोजन करते हैं।
नंद नंदन गर्ग ने इस बार नया प्रयोग किया। संस्कार भारती, आगरा पश्चिम “प्रताप”, आगरा महानगर, बृज प्रांत के बैनर तले नवरात्रों के उपलक्ष्य में मां दुर्गा को समर्पित ग्यारहवीं अरुणोदय काव्य गोष्ठी कराई। यह कार्यक्रम 24 सितम्बर, 2024 को श्रीराम मन्दिर, जयपुर हाउस, आगरा में हुआ।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि और साहित्यकार डॉ. राजेन्द्र मिलन, संस्कार भारती आगरा पश्चिम के उपाध्यक्ष सुरेश चन्द्र अग्रवाल, प्रख्यात साहित्यकार रविन्द्र वर्मा ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर संस्कार भारती के अखिल भारतीय अधिकारी और प्रचारक बांके लाल गौड़ ने आवाह्न किया कि रचनाकारों को क्षणिक आवेश के बजाय कालजयी रचनाओं का सृजन करना चाहिए। कालजयी रचनाएं कवि को तो अमरता प्रदान करती ही हैं, साथ ही रचनाकर्म और माध्यम की भाषा को भी युगों युगों तक जीवन्त कर देती हैं।
डॉ. राजेन्द्र मिलन की कविता करतल ध्वनि के साथ सुनी गई,
शक्ति स्वरूपा नवरात्रि का आओ पर्व मनाएं।
9 दिन तक पूजा अर्चन कर जीवन धन्य बनाएं।
देवी शैलपुत्री शक्ति साहस प्रदान करती हैं।
वृषभ सवारी कर धन वैभव उमंग भरती हैं।
ब्रह्मचारिणी की पूजा से दीर्घायु होती है।
चंद्रघंटा मां बैठ बाघ मन सबका मोहती है।
अष्ट भुजाएं मां कुष्मांडा रोगों से मुक्त कराती।
मां स्कंदा मृत्युलोक में परम शांति दिलवाती।
चार भुजाओं की कात्यायनी सिंह सवारी करतीं।
धर्म अर्थ काम मोक्ष से मन की दुविधा हरतीं।
कालरात्रि मां बैठ गधे पर शुभ फल देने वाली।
राक्षसी तामसी नकारा सब चिंताएं हरने वाली।
महागौरी मां कन्याओं को इच्छित वर दिलवाती।
सिद्धिदात्री मां पूजा से सिद्धियां प्राप्त हो जाती।
कवि रविन्द्र वर्मा की कविता खूब सुनी गई,
हे मात आओ भक्त की, स्वीकार कर लो प्रार्थना।
नवरात्रि में आये शरण, करते सभी आराधना।।
तू शक्तिरूपा देवि है, बल खड्गधारी चण्डिका।
है शैलजा अम्बे महाकाली भवानी मुण्डिका।।
माँ शारदे तू चँद्रघण्टा
वैष्णवी महिमा घनी।
कात्यायिनी हे अन्नपूर्णा
शुभ महालक्ष्मी बनी।।
आतंक अत्याचार को,
हर दो करें हम अर्चना ।
हे मात आओ भक्त की,
स्वीकार कर लो प्रार्थना ।।
वरिष्ठ कवि डॉ. ब्रज बिहारी लाल बिरजू ने कहा,
मंदिर के द्वार पर लगी सांकल सी ज़िन्दगी।
पनिहारिनों के मुंह ढंकी आंचल सी ज़िन्दगी।।
कवि प्रभु दत्त उपाध्याय ने पढ़ा,
घटना घटी राजधानी में देश है शर्मसार।
लम्बी चादर तान कर सोई है सरकार
वरिष्ठ कवयित्री सुभदा पांडेय ने काव्यपाठ किया
नदियां न जानें कहाँ जाने को उतावली।
जल्दी- जल्दी नहा रही हैं नदी में
डुबकी लेते हुए खो जाती हैं शैवालों के भंवर में।
निकलतीं हैं दूर कहीं करमोई के सागों बीच।
नदियां समृद्ध और आपूर्त हैं छोर तक।
कहीं कोई बेल भंवर खाती बहती
हरा- नीला रंग गदलाया
और मिट्टी से समावेशित धोती है धारा
हहर- हहर करता ढलान को पाट
साहसी लहरें बहा रही हैं सब कुछ जब
जैसे बहता हो जीवन पल- प्रतिपल।
कवि रामेंद्र कुमार शर्मा “रवि” ने पानी का महत्व बताया
व्यर्थ न कर पानी को मानव,
पानी जीवन का आधार।
जीवित है जल से ही जीवन,
बिन पानी सूना संसार।
संस्कार भारती ब्रज प्रान्त के साहित्य प्रमुख डॉ. केशव कुमार शर्मा ने सरस्वती वन्दना की। डॉ. केशव शर्मा को तालियों से सुना गया,
चलो बनाएं ऐसा घर,
जहां किसी से हो न डर।
द्वेष दंभ के बंधन टूटे,
हिल मिल कटता रहे सफर।।
कवि राजीव क्वात्रा आगरावासी ने काव्यपाठ किया,
मंदिर में जाके तूने फूल ना चढ़ाये और
मूरत के चरणों में शीश ना झुकाया
फिर काहे तू दुनिया में आया काहे हिन्दू धर्म अपनाया
काव्य गोष्ठी में कवि उमा शंकर पराशर आचार्य, वरिष्ठ कवि जितेन्द्र जिद्दी, आचार्य निर्मल (मथुरा) आदि ने भी काव्यपाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन कवि डॉ. केशव शर्मा और ओम स्वरूप गर्ग, महामंत्री आगरा महानगर ने किया। ध्येय गीत का गायन छीतरमल गर्ग ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संस्कार भारती आगरा महानगर के कोषाध्यक्ष राजीव सिंघल ने किया।
सर्वश्री दीपक गर्ग, प्रदीप सिंघल, अभिषेक गर्ग ने व्यवस्थाएं संभालीं। इस अवसर पर मदन लाल अग्रवाल, दीप्ति कुलश्रेष्ठ, मृदुल कुलश्रेष्ठ, प्राचार्य उत्तम सिंह, शहातोष गौतम आदि उपस्थित रहे।
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