वैदिक सूत्रम आगरा के चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने नववर्ष 2023 के महत्वपूर्ण रहस्यमयी तथ्यों का भविष्यवाणी की है। उन्होंने कहा कि नववर्ष 2023 का आगमन 01 जनवरी को आध्यात्मिकता के कारक छाया ग्रह केतु के अश्वनी नक्षत्र में हो रहा है, और इसके साथ ही नववर्ष 2023 का मूलांक 7 का स्वामी भी वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार छाया ग्रह केतु ही है। कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि वर्ष 2023 का सम्पूर्ण वर्ष छाया ग्रह केतु के अधीन ही रहेगा, जिसके परिणामस्वरूप कुछ अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाएं सम्पूर्ण विश्व में देखने को मिल सकती हैं। वर्तमान में ये प्राकृतिक आपदाएं नववर्ष 2023 के आरम्भ होने के एक हफ्ते पहले ही कई यूरोपीय देशों में कहर ढा रही हैं।
कह सकते हैं कि वर्ष 2023 में दुनिया में बहुत कुछ उथलपुथल होने की प्रबल संभावना है। वर्ष 2023 छाया ग्रह केतु का वर्ष होगा, केतु का मूल स्वभाव देवताओं के सेनापति मंगल ग्रह की तरह होता है, छाया ग्रह केतु जो कि मोक्ष, आध्यात्मिकता एवं ध्वजा का कारक एक रहस्यमयी मायावी छाया ग्रह है, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2023 में छुपे हुए पापियों, धार्मिक पाखंडियों, योग गुरुओं, जो कि योग, ध्यान एवं धर्म का सहारा लेकर अपने निजी भौतिकतावादी आडंबरों का निर्माण करते हैं, के लिए संकट की स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इसके साथ ही वर्ष 2023 में भौतिकतावादी की दुनिया में डूबे आडम्बरियों का विनाश भी होना है। सम्पूर्ण विश्व में प्राकृतिक आपदाओं, भयानक विनाशक युद्धों एवम महामारियों होने की प्रबल संभावना 30 अक्टूबर 2023 तक है। 22 अप्रैल 2023 से लेकर 30 अक्टूबर 2023 तक गुरु-चाण्डाल योग का प्रभाव भी सम्पूर्ण विश्व में उथल-पुथल करेगा।
इसके साथ ही वर्ष 2023 में 17 जनवरी से ब्रह्माण्ड के न्यायाधीश शनि देव भी अपनी दूसरी स्वराशि कुम्भ पर ढाई वर्षों के लिए गोचर में स्थान परिवर्तन करेंगे, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2025 तक सम्पूर्ण विश्व में युग परिवर्तन देखने को मिलेगा।
भारत देश को 17 जनवरी 2023 से आने वाले ढाई वर्षों तक विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि 17 जनवरी 2023 से स्वतन्त्र भारत की कर्क राशि पर शनि ग्रह की अष्टम ढैय्या का प्रकोप रहेगा, जिसके परिणामस्वरूप भारत देश को अपने ही देश में छिपे हुए गुप्त अराजक तत्वों, अपने पड़ोसी एवं मित्र देशों से भी विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है, विशेषकर 30 अक्टूबर 2023 तक।
एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि नववर्ष 2023 छाया ग्रह केतु से पूर्ण रूप से प्रभावित वर्ष होगा। वैदिक हिन्दू ज्योतिष में छाया ग्रह केतु अच्छी व बुरी आध्यात्मिकता एवं परा-प्राकृतिक प्रभावों के कार्मिक संग्रह का द्योतक है। छाया ग्रह केतु श्री हरि विष्णु के मत्स्य अवतार से संबंधित है। छाया ग्रह केतु भावना भौतिकीकरण के शोधन के आध्यात्मिक प्रक्रिया का प्रतीक है और हानिकर और लाभदायक, दोनों ही ओर इसका प्रभाव माना जाता है, क्योंकि ये जहां एक ओर दुःख एवं हानि देता है, वहीं दूसरी ओर एक व्यक्ति को देवता तक बना सकता है। यह व्यक्ति को आध्यात्मिकता की ओर मोड़ने के लिये भौतिक हानि तक करा सकता है। यह छाया ग्रह केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ और अन्य मानसिक गुणों का कारक भी है। वैदिक हिन्दू ज्योतिष के अनुसार माना जाता है कि छाया ग्रह केतु समर्पित भाव से आध्यात्मिक पथ पर चलने वाले भक्त के परिवार को मानसिक संतुष्टि वाली समृद्धि दिलाता है। हिन्दू ज्योतिष के अनुसार मनुष्य के शरीर में छाया ग्रह केतु अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करता है।
कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि छाया ग्रह केतु स्वभाव से मंगल की भांति ही एक क्रूर ग्रह है तथा मंगल के प्रतिनिधित्व में आने वाले कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व केतु भी करता है। आध्यात्मिक पथ पर समर्पित भाव से सभी प्रकार के आडंबरों से रहित केतु के अधीन आने वाले व्यक्ति जीवन में अच्छी ऊंचाइयों पर पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश आध्यात्मिक ऊंचाईयों पर होते हैं। नववर्ष 2023 में छाया ग्रह केतु के प्रभाव के कारण सम्पूर्ण विश्व में देवासुर संग्राम की स्थिति बनती नजर आएगी अर्थात जिस पर वास्तविक देवकृपा होगी वो देवासुर संग्राम में अपना झंडा फहराने में कामयाब होता नजर आएगा।
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