बढ़ते प्रदूषण के कारण लंग्स कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, पिछले साल भारत में इस कैंसर के लगभग 1 लाख नए मामले सामने आए थे. अगर समय पर इस बीमारी की पहचान न हो तो अंतिम स्टेज में बचने की संभावना केवल औसतन 8.8 महीने की ही रहती है.
यूं भी भारत में लंग्स कैंसर के अधिकतर मामले आखिर स्टेज में ही सामने आते हैं. ऐसे में मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो जाता है. इस कैंसर की जल्दी पहचान के लिए दिल्ली एम्स ने नई पहल शुरू की है.
एम्स नई दिल्ली का पल्मोनरी क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन विभाग ने धूम्रपान करने वालों में शुरुआती चरण में फेफड़ों के कैंसर का पता लगाएगा. इसके लिए इस विभाग ने पायलट अध्ययन शुरू कर दिया है. इसके लिए एम्स अस्पताल का ये विभाग चेस्ट का का निःशुल्क लो डोज सीटी स्कैन करेगा. सीटी-स्कैन कराने वालों को कोई पैसा नहीं देना होगा.
एम्स की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, जो व्यक्ति धूम्रपान करते हैं और 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं, वे इस सुविधा का फायदा उठा सकते हैं. एम्स की ओर से एक नंबर भी जारी किया गया है. इसके लिए +91-9821735337 पर संपर्क कर सकते हैं (सोमवार-शनिवार सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक).
लंग्स कैंसर खतरनाक
बढ़ते प्रदूषण और स्मोकिंग की लत की वजह से भारत में लंग्स कैंसर के मामले हर साल बढ़ रहे हैं. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में साल 2022 में कैंसर के 14 लाख मामले आए हैं. इनमें लंग्स कैंसर के ज्यादा केस मिले हैं. इस कैंसर के मामले बढ़ने का बड़ा कारण स्मोकिंग है.
लंग्स कैंसर के अधिकतर मरीजों को इस बीमारी का काफी देरी से पता चलता है. कुछ मामलों में तो लंग्स में समस्या होने पर कई सालों तक टीबी का ही इलाज कराते रहते हैं. जब स्थिति बिगड़ती है तो किसी बड़े अस्पताल जाते हैं और पता चलता है कि यह लंग्स कैंसर था. यही कारण है कि इस कैंसर के अधिकतर मामले आज भी आखिरी स्टेज में ही सामने आते हैं.
– एजेंसी
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