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डॉ. बीना लवानिया की सक्रियता से कई भाजपा नेताओं के पेट में मरोड़, करने लगे जोड़-तोड़, वर्कर्स को पटाने की होड़, देखें तस्वीरें

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उनके निवास पर संघ-बीजेपी पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं का आवागमन बढ़ा

विधानसभा चुनाव लड़ने की चर्चा के बीच खफा भाजपाई मेलजोल बढ़ा रहे

खतरा देख कई नेताओं का व्यवहार हुआ मधुर, वर्कर्स के फोन भी उठाने लगे

Agra, Uttar Pradesh, India. डॉ. बीना लवानिया को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए कुछ ही समय हुआ है। भाजपा महानगर ने उनका जोरदार स्वागत किया। फिर उन्हें तमाम कार्यक्रमों का बुलावा आने लगा। भाजपा ने उन्हें बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान बृज क्षेत्र का संयोजक बना दिया। अब वे खुलकर काम कर रही हैं। तमाम कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के बतौर शिरकत कर रही हैं। भाजपा और संघ के पदाधिकारी और कार्यकर्ता उनके घर जा रहे हैं। वे स्वयं भी भेंट कर रही हैं। मीडिया में ठीकठाक कवरेज मिल रहा है। यह देख नेताओं के पेट में मरोड़ उठ रही है। कुछ नेता तो उन्हें अपना प्रतिद्वंद्वी मान रहे हैं। आखिर क्यों? इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए आपको यह समाचार अंत तक पढ़ना होगा।

कौन हैं डॉ. बीना लवानिया

हमें जो जानकारी मिली है, उसके अनुसार डॉ. बीना लवानिया पीएचडी धारक हैं। प्रसिद्ध एममिटी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थीं लेकिन उनका मन तो सेवा कार्य में था। इसलिए प्रोफेसरी से त्यागपत्र देकर समाजसेवा के लिए समर्पित हो गईं। उनके पति संजय लवानिया आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी हैं। वे भी बड़े कमाल के हैं। नक्सलियों की संपत्ति अटैच करने जैसा जानलेवा काम कर चुके हैं। जीएसटी के तमाम बड़े केस उन्होंने अंजाम तक पहुंचाए हैं। भारत सरकार की ओर से 24-25 देशों की यात्रा कर चुके हैं। प्रतापनगर में निवास है। डॉ. बीना लवानिया को तमाम मुद्दों की गहन जानकारी है।

भाजपा में शामिल होने के बाद अभिवादन स्वीकार करतीं डॉ. बीना लवानियाष साथ में स्वतंत्रदेव सिंह।

दिल्ली में क्या किया

डॉ. बीना लवानिया भारत के दिल दिल्ली में सेवा के बड़े कार्य कर रही हैं। ‘वेस्ट टू आर्ट’ नाम से प्रोजेक्ट चला रखा है। यह स्वच्छ भारत मिशन से जुड़ा है। इस प्रोजेक्ट में मेटल स्क्रैप (धातु का कबाड़ा) से मनमोहक कलाकृतियां बनाई जाती हैं। पीपीपी (Public Private Partnership – पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) आधार पर दिल्ली में नगर निगम के साथ मिलकर 2018-19 में वेस्ट टू वंडर पार्क बनाया, जिसमें ताजमहल, पीसा की मीनार, स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी सहित सात अजूबों की प्रतिकृति, मीनाक्षी मंदिर शामिल है। इन्हें देखकर दर्शक अवाक रह जाते हैं। मेटल स्क्रैप से ही वाराणसी का एक घाट तैयार किया है, जो आकर्षण का केन्द्र है।

आगरा में क्या किया

डॉ. बीना लवानिया आगरा में 21 फरवरी, 2021 को लीडर्स आगरा संस्था के सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के बतौर मंच पर आईं। यह कार्यक्रम एमडी जैन इंटर कॉलेज में हुआ था। लोग पूछ रहे थे डॉ. बीना लवानिया कौन हैं, इन्हें क्यों बुलाया है? कार्यक्रम के बाद उन्हें आगरा इतना भाया कि सेवा के लिए केन्द्र बना लिया। उन्होंने आगरा में स्वास्थ्य शिविर लगाए। महिलाओं को सेनेटरी पैड वितरित किए। फिर कोरोना आ गया। वे चुपचाप ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, फूड पैकेट्स उपलब्ध कराती रहीं।

ब्राह्मण परिषद की ओर से डॉक्टर बीना लवानिया का स्वागत करते डॉ. राधेश्याम पारीक।

भाजपा में शामिल

इसी दौरान कई भाजपाई उनके संपर्क में आए। उन्हें किसी ने सलाह दी कि समाजसेवा में बहुत अधिक काम करना है तो राजनीति में आओ। अभी तो आप सिर्फ क्षेत्र विशेष मे काम कर पा रही हैं, राजनीति में आईं तो पूरे प्रदेश या पूरे देश में बहुत काम कर सकती हैं। यह बात उन्हें जँच गई। इसके बाद चार अगस्त, 2021 को वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं। लखनऊ में भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने उन्हें स्वयं सदस्यता दिलाई। फिर भाजपा के जयपुर हाउस स्थित बृज क्षेत्र कार्यालय में उनका भाजपा महानगर अध्यक्ष भानु महाजन के नेतृत्व में जोरदार स्वागत किया गया। इसके साथ ही वे सेवा को ध्येय बनाकर राजनीति के कंटकाकीर्ण पथ की अनुगामी बन गई हैं।

भाजपा नेताओं के कान खड़े

कुछ ही समय में डॉ. बीना लवानिया तमाम सामाजिक और जातीय कार्यक्रमों की अतिथि हो गईं। तमाम हस्तियों के साथ मंच साझा करने लगीं। कहीं उद्घाटन तो कहीं कार्यक्रम का समापन करने लगीं। राजनेता के साथ उसकी जाति छाया की तरह चलती है। इस कारण ब्राह्मण समाज ने सम्मान भी कर लिया। भाजपा कार्यकर्ता उनके साथ चलने लगे। डॉ. बीना लवानिया का बढ़ता प्रभाव देख कई भाजपा नेताओं के कान खड़े हो गए। कुछ भयभीत हो गए। इसी कारण उन्हें क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम के समापन समारोह में जाने देने से रोकने का प्रयास किया गया। उन्हें लेकर पार्टी में कई तरह का फुसफुसाहट होने लगी। एक तो महिला ऊपर से टिकट की दावेदार, इस कारण कुछ नेताओं के सामने डबल समस्या है। राजनीति में महिला को आगे न बढ़ने देने की पुरानी बीमारी है। हो सकता है इस बार इस बीमारी का इलाज डॉ. बीना लवानिया कर दें। इस मामले में ‘रानी’ की बात अलग है क्योंकि बाह में पार्टी के पास कोई विकल्प नहीं है।

डॉ. बीना लवानिया और उनके द्वारा चलाए जा रहे अभियान के तहत मैटल स्क्रैप से दिल्ली में बनाई गई कलाकति

चुनाव लड़ने के लिए सीट सुझा रहे कार्यकर्ता

टिकट देना भाजपा नेतृत्व का काम है लेकिन उनके प्रति भाजपा कार्यकर्ताओं की भावना ऐसा उफान मार रही है कि टिकट भी फाइनल कर दिया है। सब कह रहे हैं कि पार्टी उन्हें आगरा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ाएगी। इस सीट से योगेन्द्र उपाध्याय विधायक हैं जो भाजपा विधामंडल दल के मुख्य सचेतक भी हैं। उन्हें राजनीति का चतुर खिलाड़ी माना जाता है लेकिन जिस गति से डॉ. बीना लवानिया की स्वीकारोक्ति बढ़ रही है, वह किसी के लिए भी चिन्ता का विषय हो सकती है। आलम यह है कि उनके घर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के तमाम पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं का आवागमन लगा रहता है। वे पूरे उत्साह के साथ सबका स्वागत करती हैं। उनके कुछ कहने से पहले ही पदाधिकारी कहने लगते हैं कि चुनाव की तैयारी करो। आगरा दक्षिण को नम्बर वन पर सुझाते हैं। अगर कोई अड़चन आई तो खेरागढ़ विधानसभा सीट को विकल्प के तौर पर बताते हैं। खेरागढ़ से महेश गोयल विधायक हैं। आमतौर पर नेताजी अपने लिए सीट मांगते हैं और यहां कार्यकर्ता ही सीट ‘ऑफर’ कर रहे हैं। जिन्हें टिकट देना है, उनके मन में क्या है, यह कोई नहीं जानता है।

बीना लवानिया के आने से कार्यकर्ताओं को लाभ
सवाल यह है कि आखिरकार डॉ. बीना लवानिया के आगरा में डेरा डालने से ऐसा क्या हो गया कि उन्हें ‘नेता’ के रूप में स्वीकार कर लिया गया। एक कार्यकर्ता ने बताया कि ‘बीना जी’ के आने से यह लाभ तो हुआ है कि  तमाम विधायकों और नेताओं का व्यवहार मधुर हो गया है। पहले फोन नहीं उठाते थे और अब एक ही घंटी पर रिसीव करते हैं। प्रेमपूर्वक बात करते हैं। कोई काम बताओ तो हरकत में आ जाते हैं। मिस्ड कॉल का जवाब मिलता है। आशा है आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि डॉ. बीना लवानिया के आने से कुछ नेताओं के पेट में मरोड़ क्यों उठ रही है?

Dr. Bhanu Pratap Singh