जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी निलंबित

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Mathura (Uttar Pradesh, India) मथुरा जनता के लिए भ्रष्टाचार में किसी अधिकारी पर कार्रवाही खुशफहमी लेकर आती है। लेकिन रिकार्ड बताता है कि यह ज्यादा दिन नहीं टिकती है। प्रदेश भर में बहुचर्चित रहे शिक्षक भर्ती घोटाले, अधिकांश निलंबित अधिकारी कर्मचारी बहाल हो चुके हैं। निलंबन के बाद बहाली पर उनकी सर्विस रिकार्ड में कोई खराबी नहीं आती है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया है

नये मामले में मथुरा जिले के निजी आईटीआई संस्थानों में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति में घपले के मामले में बुधवार को जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही 23 करोड़ रुपये के इस भ्रष्टाचार में दोषी पाए गए सभी अधिकारियों व कर्मचारियों और संबंधित संस्थाओं पर रिपोर्ट दर्ज कराने के आदेश दिए गए हैं। दोषी आईटीआई संस्थानों को शुल्क प्रतिपूर्ति और छात्रवृत्ति के लिए ब्लैक लिस्ट भी किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस कार्रवाई से जिले में हड़कंप मचा है। 25 नवम्बर 2020 को मुख्यमंत्री ने मथुरा के डिप्टी कमिश्नर लेबर इंप्लयमेंट को भी स्थानांतरण के बाद दूसरे जनपद में चार्ज नहीं लेने पर निलंबित कर दिया था। स्थानांतर के बाद चार्ज नहीं लेने के पीछे लोगों की तमाम आशंकाएं होती हैं।

तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिक्षक संघों के रूख के बाद संज्ञान लिया था
14 फरवरी 2020 को मथुरा में एक डॉक्टर के अपहरण और फिरौती मामले में पुलिस द्वारा की गई वसूली के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई थी। पुलिस ने मामले में केस दर्ज कर थाने के पूर्व एसएचओ को सस्पेंड कर दिया था। साथ ही सीओ को भी पद से हटा दिया गया था। 11 फरवरी 2019 में तत्कालीन एससएसपी सत्यार्थ अनुरूद्ध पंकज ने एक एसएचओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया था। छाता कस्बे के एक एटीएम से 38 लाख रूपये की चेारी हुई थी। पीआरवी घटना स्थल से महज 200 मीटर की दूरी पर खडी थी। तत्कालीन छाता कोतवाली निरीक्षक दुर्गेश कुमार और चार अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया था

यहां तक 11 अक्टूबर 2014 में दुर्गाशक्ति आईएसए के पति अभिषेक सिंह पर एक बुजुर्ग टीचर के साथ बदसलूकी करने के मामले में निलंबित कार्रवाई की गई थी। आरोप था कि अभिषेक सिंह ने एक बुजुर्ग शिक्षक से बदशलूकी की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शिक्षक संघों के रूख के बाद संज्ञान लिया था।

लाइन हाजिर, स्पष्टीकरण बचाने का टोटका भर
पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया जाना और प्रशासनिक कर्मचारियों और अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगने को लेकर यह अवधारणा बन चुकी है कि आरोपी और तथाकथित दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों को बचाने का विभागीय टोटका बन चुका है। हालांकि जिन मामलों में यह कार्रवाही होती है उसमें पीडित पक्ष की पीडा कहीं बडी होती है।  
एक एसआई सहित दो पुलिसकर्मी लाइन जाहिर
एसएसपी ने एक सब इंस्पेक्टर सहित फरह और हाई वे थाने से दो पुलिसकर्मियां को लाइन हाजिर कर दिया है। पुलिस अधिकारी की इस कार्रवाई से विभाग में एक बार फिर हड़कंप मच गया है। एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर ने हाईवे थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर राजकुमार को एक केस की जांच में लापरवाही बरतने के आरोप में लाइन जाहिर किया गया है। साथ ही जांच के निर्देश दिए गए हैं। वहीं फरह थाना में तैनात हैड कांस्टेबल रविन्द्र कुमार को लाइन हाजिर किया गया है। थाने में प्रधान लेखक के रुप में तैनात रविन्द्र पर कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप है। एसएसपी ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh