Corruption

क्या भारत से भ्रष्टाचार खत्म हो पाएगा, पढ़िए क्यों करते हैं लोग Corruption

INTERNATIONAL NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL लेख

भ्रष्टाचार एक ऐसी बीमारी जिससे खाकपति से लेकर अरबपति तक पीड़ित है। भ्रष्टाचार सरकारी व्यवस्थाओं की जटिलता, आदमी का समय बचाना, लोभी होना, आसान तरक्की करना आदि कारण से होता है| हर व्यक्ति भ्रष्टाचार से किसी ना किसी रूप से प्रताड़ित होता है। उसको देखते हुए दिसंबर 2003 में अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का पहला कदम यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन पारित करके संयुक्त राष्ट्र द्वारा फ़ैसला लिया गया था। इसको  31 अक्टूबर 2003 को तैयार किया गया था। संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों के बीच में एक संधि है, जिस पर 9 दिसंबर को हस्ताक्षर किया गया और यह 14 दिसंबर 2005 से प्रभावी हुआ था| इस संधि का उद्देश्य कानूनी रूप से भ्रष्टाचार को कम करने के लिए देश के सदस्यों को बांधना व कानून और व्यवस्था को लागू करना था। समझौते में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार कम करना था। तकनीकी सहायता और जानकारी का आदान-प्रदान करना।

हम सभी जानते हैं कि संपूर्ण विश्व में भ्रष्टाचार सामाजिक और आर्थिक विकास को न केवल कमजोर करता है बल्कि अन्य लोगों को भी भ्रष्टाचार की राह पर जाने के लिए प्रोत्साहित करता है। आज के समय में भ्रष्टाचार से न कोई देश, न कोई क्षेत्र, नाकोई समुदाय, चाहे सरकारी हो या प्राइवेट या राजनीतिक  संस्था नहीं बचा है। भ्रष्टाचार की वजह से किसी भी संस्था व सरकारी नीतियों का परिणाम सोच के अनुरूप नहीं आ पाते। इसी वजह से समाज का और देश का विकास प्रभावित हो जाता है|

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2030 भ्रष्टाचार के खिलाफ वैश्विक लड़ाई लड़ने के लिए एक गोल तय किया है। इसी के तहत पूरे विश्व में लोगों के बीच में भ्रष्टाचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ इससे कैसे लड़ा जा सकता है, इस बारे में जागरूक करते हैं। हमारे देश भारत ने भी 9 दिसंबर 2006 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन पर हस्ताक्षर करके पहला अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार दिवस मनाया। जो भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज करते हैं और उनके विवरणों को भी गोपनीय रखा जाता है| यह लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए भी एक अच्छा कदम है।

सरकार व सामाजिक संस्थाओं द्वारा लाख प्रयत्न करने के बावजूद भी आज हम भारत को भ्रष्टाचार से न तो मुक्त कर पा रहे हैं न कम कर पा रहे हैं| किसी जमाने में सभी राजनीतिक पार्टियों का भ्रष्टाचार खत्म करने का एक मुद्दा होता था| आज भ्रष्टाचार का मुद्दा अगर होता भी है तो केवल चुनाव मेनिफेस्टो में ही लिखा रह जाता है। राजनीतिक पार्टियों की इच्छा शक्ति न होने के कारण अब यह जिम्मेदारी भारत की सभी सामाजिक संस्थाओं, और प्रबुद्ध व्यक्तियों की है। उन्हें आगे आकर भ्रष्टाचार को खत्म करने की पहल करनी होगी, तभी हम समाज और देश को विकास की राह पर ले जा सकेंगे।

rajiv gupta
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राजीव गुप्ता जनस्नेही

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