आगरा में आज अजातशत्रु अटल बिहारी वाजपेई की स्मृति में 12 वर्ष से अटल गीत गंगा का अविरल प्रवाह, अशोक चौबे एडवोकेट को साधुवाद

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शब्दों की अमर सरिता: अटल गीत गंगा का अविराम प्रवाह

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भूमिका: कविता से संस्कार तक

व्यथित गीत की यह पंक्तियाँ केवल शोक नहीं रचतीं, बल्कि स्मृति को साधना में बदल देती हैं।
अटल देह त्यागकर भले ही दृष्टि से ओझल हों, पर उनके शब्द—दीपशिखा की तरह—युगों तक जलते रहेंगे।
यही लौ है, यही प्रवाह है, जिसे हम अटल गीत गंगा कहते हैं।

आज है समारोह

समारोह के संयोजक अशोक चौबे एडवोकेट डीजीसी आगरा ने बताया कि 26 दिसंबर, 2025 को रमाना ग्रांड प्रतापपुरा में शाम 4.30 बजे से कार्यक्रम है। अटल जी के जीवन पर प्रदर्शनी भी लगाई गई है। सभी को आमंत्रण है।

अटल गीत गंगा: विचारों की अनंत धारा

अटल बिहारी वाजपेई जी के गीत, भाषण और कविताएँ किसी एक काल की नहीं, बल्कि युगों की सांस्कृतिक निधि हैं।
यह गंगा केवल बहती नहीं, संस्कार देती है, दिशा दिखाती है।
इसी प्रवाह को जीवंत बनाए रखने का कार्य कर रहा है अटल गीत गंगा परिवार

संकल्प से परंपरा तक: 2012 से आज तक

वर्ष 2012 में अटल जी के जन्मोत्सव को सांस्कृतिक कार्यक्रम और शब्दोत्सव के रूप में मनाने का संकल्प लिया गया।
ग्रांड होटल से प्रारंभ हुई यह यात्रा आज एक सशक्त परंपरा बन चुकी है।
हर वर्ष यह आयोजन स्वयं का कीर्तिमान तोड़ते हुए एक नई ऊँचाई छूता है।

स्थानों की सरिता, भावों की ध्वनि

कभी सूरसदन में यह अटल गीत गंगा मंदाकिनी बनी, कभी जोनल पार्क ताजनगरी के एंफीथिएटर में अलखनंदा,
तो कभी केंद्रीय हिंदी संस्थान के अटल सभागार में विष्णुपगा।
अशोक कॉसमॉस मॉल में नुक्कड़ नाटक के रूप में यह भागीरथी बनी,
कोठी मीना बाजार में पूज्य सुधांशु जी महाराज की कथा के मंच पर अमरतरंगिणी सी तरंगित हुई।

डॉ. एमपीएस वर्ल्ड स्कूल के अतुल्य सभागार में यह जाह्नवी बनी,
सचदेवा मिलेनियम सभागार में सुरसरिता की तरह निःसृत हुई।
जब यह सेल्फी प्वाइंट पहुँची तो उस स्थान का नाम ही अटल उद्यान रख दिया गया।
इस वर्ष यह निर्झरणी दरमाना से होकर एक और कीर्तिमान रचने को अग्रसर है।

विविध प्रतिभाओं का संगम

इस अटल गीत गंगा में कला, साहित्य, संगीत, चिकित्सा, विज्ञान और राजनीति जगत की
अनेक विश्वविख्यात विभूतियों ने सहभागिता की।
यह आयोजन केवल कार्यक्रम नहीं, बल्कि राष्ट्र चेतना का उत्सव बन चुका है।

अटल जी: अजेय भी, अजातशत्रु भी

अटल बिहारी वाजपेई एक ऐसा नाम है जिसे पक्ष और विपक्ष—दोनों ने समान सम्मान दिया।
वे अजेय भी थे और अजातशत्रु भी।
उनके शताब्दी समारोह पर अटल गीत गंगा परिवार की यह प्रस्तुति
भावभीनी श्रद्धांजलि और सच्चा नमन है।

Atal bihari vajpeyi

अटल बिहारी वाजपेई: संक्षिप्त जन्म परिचय

अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर 1924 को
ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में हुआ।
कक्षा दस में अध्ययन के दौरान आगरा में यमुना तट पर,
ताजमहल की पृष्ठभूमि में उन्होंने अपनी पहली कविता प्रस्तुत की।
यहीं से शब्दों की वह गंगा प्रवाहित हुई,
जिसने विश्व को प्रेरणा, चिंतन और सद्भाव का मार्ग दिया।

कविता की अमर प्रतिध्वनि

हैं जब तक ये शब्दों की निर्झर तरंगें,
भावों की शाश्वत कहानी रहेगी।
अटल गीत गंगा भी तब तक बहेगी,
गंगा में जब तक रवानी रहेगी।

संपादकीय

अटल गीत गंगा जैसे विराट सांस्कृतिक आंदोलन के सूत्रधार अशोक चौबे एडवोकेट डीजीसी, आगरा निस्संदेह साधुवाद के पात्र हैं।
उनकी संगठन क्षमता, साहित्य के प्रति समर्पण और राष्ट्रबोध से ओतप्रोत दृष्टि ने इस आयोजन को एक आंदोलन का स्वरूप दिया है।

वे केवल कार्यक्रम संयोजक नहीं,
संस्कारों के संवाहक हैं।
अटल जी के विचारों को पीढ़ियों तक पहुँचाने का यह पुण्य कार्य सदैव स्मरणीय रहेगा।

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डॉ भानु प्रताप सिंह, संपादक

Dr. Bhanu Pratap Singh