लखनऊ: यूपी विधानसभा उपचुनाव 2024 को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। कांग्रेस ने सभी 10 सीटों पर चुनाव न लड़ने का निर्णय लिया है और वह सपा को समर्थन देगी। पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल बनाए रखने के लिए यह कदम उठाना जरूरी है। कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य भाजपा को हराना है।
सूत्रों के अनुसार, सपा और कांग्रेस का गठबंधन बना रहेगा, लेकिन कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव में एक भी प्रत्याशी नहीं उतारेगी। खासकर खैर और गाजियाबाद सीटों पर भाजपा से मुकाबला करना कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण दिख रहा है। इसी वजह से कांग्रेस इन दोनों सीटों को भी सपा को सौंपने की सोच रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि उपचुनाव में हार से कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट सकता है। इस समय संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं की सक्रियता बढ़ाए रखने की आवश्यकता है। कांग्रेस का स्पष्ट उद्देश्य भाजपा को हराना है और इसके लिए वह सभी सीटों पर सपा के प्रत्याशियों को जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाएगी।
प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यह संदेश केंद्रीय नेतृत्व को भेज दिया है। पिछले हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी, जबकि लोकसभा चुनाव में सपा ने 80 में से केवल 17 सीटें कांग्रेस को दी थीं। कांग्रेस ने इनमें से सात सीटें जीतकर अपनी साख बचाई थी, और अब वह प्रदेश में संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रही है।
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने उपचुनाव के लिए पांच सीटों पर दावेदारी का प्रस्ताव केंद्रीय नेतृत्व को दिया था। सपा ने अपने हिस्से की सात सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं, जिससे यह साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में सपा का पलड़ा भारी है।
कांग्रेस ने खैर और गाजियाबाद की सीटों को बदलने का प्रयास किया, लेकिन यह बात नहीं बनी। इसके बाद कांग्रेस ने सभी सीटों से अपनी दावेदारी छोड़ने का फैसला किया है।
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