जाति की जंजीरें: आज़ादी के बाद भी मानसिक गुलामी
आस्था पेशाब तक पिला देती है, जाति पानी तक नहीं पीने देती। प्रियंका सौरभ कैसे लोग अंधभक्ति में बाबा की पेशाब को “प्रसाद” मानकर पी सकते हैं, लेकिन जाति के नाम पर दलित व्यक्ति के छूने मात्र से पानी अपवित्र मान लिया जाता है। इन समस्याओं की जड़ें धर्म, राजनीति, शिक्षा और मीडिया की भूमिका […]
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