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सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों का हो कैशलेस इलाज,  सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता किशन चंद जैन  की याचिका पर केन्द्र सरकार से मांगा जवाब

PRESS RELEASE

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Agra,Uttar Pradesh, India.सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों को यदि समय पर इलाज नहीं मिल पाता है तो उनकी मृत्यु की संभावनाएं प्रबल होती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए संसद द्वारा मोटर वाहन संशोधन अधिनियम-2019 की धारा 162 में यह नयी व्यवस्था की गयी कि सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों का अस्पताल में कैशलेस इलाज के लिये केन्द्र सरकार योजना बनायेगी, लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा अभी तक इस सम्बन्ध में कोई योजना नहीं बनायी गयी है।

वर्ष 2022 में इस प्रयोजन हेतु फण्ड के नियम भी 1 अप्रैल 2022 से लागू हो चुके हैं। इसको लेकर अधिवक्ता किशन चंद जैन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में आई0ए0 सं0 202442 वर्ष 2023 याचिका लगायी गयी जिसकी सुनवाई अभी हाल में दिनांक 25 जनवरी को हुई। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका एवं न्यायमूर्ति उज्जल भुअन की पीठ द्वारा केन्द्र सरकार से 3 सप्ताह के अन्दर जवाब मांगा है और याचिका की सुनवाई हेतु दिनांक 04 अप्रैल नियत की गई है।
अधिवक्ता जैन ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रेस इनफोरमेशन ब्यूरो की वर्ष 2020 की रिलीज में यह कहा गया था कि वे मोटर वाहनों से होने वाले हादसों में घायलों का कैशलेस इलाज के लिये योजना बना रहे हैं जिससे गोल्डन ऑवर्स में इलाज सम्भव हो  सके। सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत कैशलेस इलाज की योजना को बनाने और उसे लागू करने के सम्बन्ध में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से पूछा गया तो 19 अप्रैल 2023 को यह सूचना दी कि योजना फाइनल होने जा रही है। इसके उपरान्त 23 अगस्त 2023 की सूचना में भी इसी प्रकार की बात कही गयी लेकिन योजना अभी तक नहीं बन सकी है जिसके कारण सड़क हादसों में घायल होने वालों के समक्ष इलाज की एक गम्भीर चुनौती होती है और बड़ी संख्या में हादसों में घायल व्यक्ति इलाज के अभाव में मर जाते हैं। केन्द्र सरकार के द्वारा जो योजना बनायी जानी है उनमें वह सभी हादसे सम्मिलित होंगे जो किसी भी प्रकार के वाहन से हों चाहें उनका बीमा हो अथवा नहीं या फिर हिट एण्ड रन के मामले हों। कैशलेस इलाज में जो भी राशि खर्च होगी वह हादसे में घायल हुए व्यक्ति को जब मुआवजा मिलेगा, उसमें वह समायोजित हो जायेगी।
सुनवाई के दौरान अघिवक्ता जैन ने इस मुद्दे की गम्भीरता की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया तो न्यायालय उनकी बात से सहमत थे। याचिका में यह मांग की गयी है कि केन्द्र सरकार सड़क हादसों में घायलों के कैशलेस ट्रीटमेन्ट के लिए योजना बनाये और योजना का प्रचार-प्रसार हो ताकि लोग उसका लाभ ले सकें और योजना का कार्यान्वयन पारदर्शिता के साथ हो।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में सड़क हादसों की संख्या 4,61,312 थी जिनमें 1,68,491 व्यक्तियों की मृत्यु हो गयी और 4,43,366 व्यक्ति घायल हो गये। हादसों में होने वाली मृत्यु की संख्या अब तक की सबसे अधिक थी और हाईवे और एक्सप्रेसवे बनने के बाद हादसों की गम्भीरता भी उल्लेखनीय है जहां प्रत्ये 100 सड़क हादसों में 36.5 व्यक्तियों की मौत हो जाती है जिसके कारण अधिक ट्रोमा सेन्टर्स की आवश्यकता है और कैशलेस इलाज भी जरूरी है ताकि धन का अभाव इलाज में रूकावट न बने और घायल व्यक्ति को अच्छे इलाज से बचाया जा सके। घायलों के इलाज की कैशलेस योजना लागू होने पर लाखों व्यक्ति इस योजना से लाभान्वित हो सकेंगे।

अधिवक्ता जैन द्वारा राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य सरकारों के राजमार्गों आदि की इलैक्ट्रोनिक निगरानी के लिए दायर याचिका की सुनवाई 25 जनवरी को ही हुई और उसमें भी केन्द्र सरकार से 3 सप्ताह के अन्दर जवाब दाखिल के लिये आदेश किये गये हैं।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh