पुरानी पेंशन की पुकार: आगरा में प्राथमिक शिक्षकों का आक्रोशित स्वर, अपना हक लेकर रहेंगे

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. मई मास की प्रथम तिथि को, आगरा की पावन धरा पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने एक अभूतपूर्व प्रदर्शन का मंच सजाया। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समक्ष, जिला संयोजक चौधरी सुरजीत सिंह के नेतृत्व में शिक्षकगण, मातृ शक्ति सहित सैकड़ों हृदयों ने एक स्वर में पुरानी पेंशन की बहाली सहित चौदह सूत्रीय मांगों के लिए हुंकार भरी। यह प्रदर्शन केवल मांगों का समवेत नाद नहीं, अपितु शिक्षक समुदाय की गरिमा और उनके भविष्य की रक्षा हेतु एक सशक्त आह्वान था। मुख्यमंत्री के नाम एक भावपूर्ण ज्ञापन एसीएम तृतीय नीलम तिवारी को सौंपा गया, जिसमें शिक्षकों के हृदय की व्यथा को शब्दों में पिरोया गया।

शिक्षक समुदाय की एकजुटता का प्रतीक

प्राथमिक शिक्षक संघ के ध्वज तले यह प्रदर्शन एकता और संकल्प का द्योतक बना। चौधरी सुरजीत सिंह ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में बीएसए कार्यालय की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाते हुए कहा कि शिक्षकों के अधिकारों की अवहेलना अब सहन नहीं की जाएगी। सह संयोजक बृजेश शुक्ला ने इसे केवल मांगों का प्रश्न नहीं, अपितु शिक्षक समुदाय के स्वाभिमान और सम्मान की लड़ाई निरूपित किया। उनकी वाणी में वह तेज था, जो अन्याय के विरुद्ध विद्रोह का प्रतीक बन गया।

धरना देते प्राथमिक शिक्षक।

चौदह सूत्रीय मांगों का संनाद

शिक्षक संघ ने चौदह सूत्रीय मांगों को अपनी प्राणवायु बनाकर प्रस्तुत किया, जो इस प्रकार हैं:

पुरानी पेंशन का अधिकार: 01 अप्रैल 2005 के पश्चात नियुक्त शिक्षकों को भी पुरानी पेंशन योजना का अमृतपान कराया जाए। विशेषकर विशिष्ट बीटीसी 2004, टीसी 2001 व 2004 के उन शिक्षकों को, जिनके भर्ती विज्ञापन 2005 से पूर्व प्रकाशित हुए, इस योजना से आच्छादित किया जाए।

विद्यालय समय का संशोधन: ग्रीष्म की तपन को दृष्टिगत रखते हुए विद्यालयों का संचालन प्रभात सात बजे से मध्याह्न बारह बजे तक किया जाए, ताकि बालकों और शिक्षकों का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।

पदोन्नति और प्रोन्नत वेतनमान: वर्ष 2015 से रुकी पदोन्नति और 2005 से लंबित प्रोन्नत वेतनमान की प्रक्रिया को एक मास के भीतर प्रारंभ किया जाए।

प्राथमिक शिक्षक अपना हक लेकर रहेंगे

पारस्परिक स्थानांतरण का सौभाग्य: प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को एक-दूसरे के मध्य पारस्परिक स्थानांतरण का अवसर प्रदान किया जाए।

सामान्य स्थानांतरण का मार्ग: अंतरजनपदीय और अंतर्जनपदीय सामान्य स्थानांतरण हेतु शीघ्र शासनादेश जारी हो, जो शिक्षकों की व्यथा का निदान बने।

स्थानांतरण में सेवा की गरिमा: अंतरजनपदीय स्थानांतरण में शिक्षक की सेवा अवधि को 50% भारांक प्रदान किया जाए, और आकांक्षी जनपदों के शिक्षकों को भी यह अवसर प्राप्त हो।

मानव संपदा पोर्टल का सुधार: पोर्टल के मॉड्यूल को सुचारु कर भविष्य निधि, अनापत्ति प्रमाण पत्र, प्रोन्नत/चयन वेतनमान और अनुशासनिक कार्यवाहियों का निस्तारण सरल बनाया जाए।

पोर्टल त्रुटियों का सरलीकरण: मानव संपदा पोर्टल पर व्यक्तिगत विवरण और अवकाश संबंधी त्रुटियों के संशोधन का अधिकार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सौंपा जाए।

आधार कार्ड की जटिलता का समाधान: बिना आधार कार्ड के नामांकित छात्रों के विवरण सत्यापन हेतु प्रधानाध्यापकों को आधार कार्ड निर्माण की प्रक्रिया सरल करने का आदेश हो।

खंड शिक्षा अधिकारी की स्थायी नियुक्ति: उन विकास खंडों में, जहां खंड शिक्षा अधिकारी का अभाव है, स्थायी नियुक्ति कर आईडी जनरेशन की समस्या का समाधान हो।

सामूहिक बीमा की प्रतिपूर्ति: 01 अप्रैल 2014 के पश्चात समाप्त सामूहिक बीमा की कटौती राशि शिक्षकों को लौटाई जाए और बीमित राशि दस लाख रुपये निर्धारित हो।

दिव्यांग वाहन भत्ता का संशोधन: बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों हेतु संशोधित वाहन भत्ता लागू करने का शासनादेश शीघ्र जारी हो।

कैशलेस चिकित्सा का वरदान: समस्त शिक्षकों को कैशलेस चिकित्सा सुविधा का लाभ प्रदान किया जाए।नियमविरुद्ध कार्यवाहियों पर अंकुश: शिक्षकों पर अनुचित अनुशासनिक कार्यवाहियों को तत्काल रोका जाए।

धरना में महिला शिक्षक भी बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।

नेतृत्व और संनाद का संगम

कार्यक्रम का संचालन हरिओम यादव ने अपनी मधुर वाणी से किया, जो उपस्थित जनमानस के हृदय को स्पर्श कर गया। व्यवस्था का दायित्व विजयपाल नरवार और बलवीर सिंह ने  संभाला।

इस अवसर पर सुखवीर चाहर, केके इंदौलिया, दिगंबर सिंह, प्रदीप यादव, मांगीलाल, परमवीर, अमृत पाल, लक्ष्मण सिंह, डॉ. सोनवीर, अभय चौधरी, अनंगपाल तोमर, पवन परमार, सतेंद्र राजावत, भोला सिंह यादव, गजराज गुर्जर, लोकेंद्र शर्मा, डॉ. जगपाल, बलदेव सिकरवार, ऊषा चाहर, सीता वर्मा, मंजीत चाहर, अशोक शर्मा, डॉ. योगेश चाहर, राशिद अहमद, केके चाहर, प्रदीप भदौरिया, पुनीत अरोड़ा, ममता यादव, वीरेंद्र सोलंकी, अरुण प्रसाद, सुनील राणा, प्रशांत राजपूत, अवनेश कुमार, मनोज उपाध्याय, हेमंत सिंह, भरत सिंह, अजीत नौहवार, सोमेंद्र सिंह कुशवाह, दिलावर, चतर सिंह, महेंद्र बघेल, आलोक दुबे, बनवारी, जितेंद्र चौधरी, सुनील रावत, योगेंद्र सिकरवार, ममता रानी, विवेक प्रताप, श्याम सुंदर भाटिया, मीनू परिहार, निधि, नीतू सिंह, कमल नयन सहित सैकड़ों शिक्षक उपस्थित रहे, जिनके उत्साह ने इस प्रदर्शन को एक ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया।

प्रशासनिक अव्यवस्था पर प्रहार

शिक्षकों ने बीएसए कार्यालय की कार्यशैली पर तीक्ष्ण प्रहार किया। चौधरी सुरजीत सिंह ने कहा कि प्रशासन की उदासीनता शिक्षकों के धैर्य की सीमा को लांघ रही है। मानव संपदा पोर्टल की त्रुटियों और स्थानांतरण प्रक्रिया में विलंब ने शिक्षकों के आक्रोश को और भड़का दिया। उनकी वाणी में वह पीड़ा थी, जो लंबे समय से उपेक्षित हृदयों की करुणा को व्यक्त करती थी।

अपने हक के लिए शिक्षक कुछ भी करने को तैयार हैं।

ज्ञापन और संकल्प की हुंकार

प्रदर्शन के समापन पर मुख्यमंत्री के नाम एक भावपूर्ण ज्ञापन नीलम तिवारी को सौंपा गया। शिक्षक नेताओं ने संकल्प लिया कि यदि उनकी मांगें शीघ्र पूरी न हुईं, तो यह आंदोलन और तीव्र होगा। चौधरी सुरजीत सिंह ने कहा, “शिक्षक अब मौन नहीं रहेंगे। हमारा हक हमारा सम्मान है, और इसे हम हर हाल में प्राप्त करेंगे।”

संपादकीय टिप्पणी

आगरा का यह शिक्षक आंदोलन केवल मांगों का समवेत स्वर नहीं, अपितु उस व्यवस्था के विरुद्ध एक सशक्त विद्रोह है, जो समाज के मनीषियों को उनके अधिकारों से वंचित रखती है। पुरानी पेंशन, स्थानांतरण, और कैशलेस चिकित्सा जैसी मांगें शिक्षकों के जीवन की आधारशिला हैं। यह लज्जास्पद है कि राष्ट्र के भविष्य को संवारने वाले शिक्षकों को अपनी गरिमा के लिए सड़कों पर उतरना पड़ रहा है। सरकार को इस पुकार को सुनना होगा, अन्यथा यह आक्रोश एक प्रचंड ज्वाला बन सकता है, जो शिक्षा तंत्र और सामाजिक ढांचे को झकझोर देगा। शिक्षकों का सम्मान और उनकी मांगों का समाधान आज समय का सबसे पुनीत कर्तव्य है। 

Dr Bhanu Pratap Singh

 

Dr. Bhanu Pratap Singh