भाजपा के गढ़ में व्यापारी की पिटाई के बाद गौरव अग्रवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा
Agra (Uttar Pradesh, India)। आज पुलिस की लाठी पर लिखने का मन है। तो सुनिए सीधी सी बात पुलिस की लाठी कमजोर और मजलूम के लिए बनी है । यह मौलाना साद पर नहीं चलेगी, दाऊद पर नहीं चलेगी, मुख्तार अंसारी पर नहीं चलेगी या अतीक अहमद पर नहीं चलेगी फिर चाहे बाबा आ जाये या अम्मा। यह तो साइक्लोजी भर का खेल है । पुलिस के लिए कहावत है पटा (पिटाई करने का यंत्र) वही रहता है बस बदल जाते हैं सरकार परिवर्तन के बाद। चूंकि राजनीतिक दलों का एक वोट बैंक होता है उसके हिसाब से बदल जाते है लेकिन पटा वही होता है, जिस पर एक तरफ लिखा होता है आन मिलो सजना तो दूसरी तरफ लिखा होता है फिर कब आओगे, जो कि देश, काल, स्थिति, परिस्थिति के हिसाब से जमकर बजता है।
मायावती सरकार में एक नारा लगा था माया तेरे राज में.. खा रहे खीर, सात कौम चोरी करे सबेरे पकड़े जाए अहीर। यानी पुलिस का सरकार को इकबाल और सलाम था कि साहब अभी आया वोट बढ़ाकर। फिर सत्ता बदली तो अखिलेश की आयी। उसने अपना वोट बैंक सीधा किया और चुन चुनकर राजनीतिक विरोधी निबटाये। अब बाबा की आयी है लेकिन यहां बेंत सिर्फ अपनों ही पर चल रहा है और उन क्षेत्रों में ज्यादा चल रहा है जहां सरकार को बहुतायत में वोट मिला है या फिर जहां घोर राष्ट्रवादी, हिन्दूवादी या भक्तगणों का आदिकाल से निवास है और वह पीढ़ी दर पीढ़ी गुलामी की जंजीरों में बंधे हुए हैं। इस सरकार में एक मंत्री जी आये। मैंने कहा साहब आपकी सरकार का सारा सितम आपके ही वोट पर है । मंत्री ने दो टूक कहा देखो जहां गुड़ होगा वहीं तो चींटी जाएगी। यानी अगर मंत्री की बात मानी जाए तो जो वोट देने वाला है मार उसी में पड़ेगी क्योंकि वह वोट और देगा कहां। देगा तो हमें और मान लो दूसरे दल को दे भी आएगा तो दूसरा दल उसको मानेगा ही नहीं।
अभी दो दिन पहले की घटना है एक थाने के अंतर्गत एक समुदाय के 50 युवक दो सिपाहियों पर टूट पड़े, जिसमें एक सिपाही भाग गया। फिर बड़ी मुश्किल से जो सिपाही था, उसे उसी इलाके में रहने वाले हिन्दुओं की वजह से बचाया गया। इस संबंध में थाना इंचार्ज से बात की तो वह घटना को पी गया। जबकि प्रत्यक्षदर्शी इस बात को ची- चीख कर कह रहा है। मैंने इस खबर को लिखा और यह तय हुआ कि अगर पुलिस मुझे नोटिस देगी या फिर मुकदमा दर्ज करेगी तो कोर्ट में प्रत्यक्षदर्शी गवाह बनेगा। खैर अब सोचिए जहां पुलिस पिटी वहां कोई मुकदमा नहीं। खुले में गौकशी और भैंस कट रही हैं और सरकार बाबा की है। यही अखिलेश की सरकार होती या मायावती की होती तो यही जयचंद यह कहकर हंगामा करते अरे मुस्लिम प्रेम के चलते अखिलेश गइया कटवा रहा है, लेकिन आज सांप सूंघ गया है और मुंह में दही जम गया है।
मैं दावे के साथ कह सकता हूँ और पुलिस के हर उस क्षत्रिय अधिकारी को मेरी खुली चुनौती है अगर सरकार अखिलेश की हो तो एटा, इटावा, मैनपुरी, फिरोजाबाद में एक बेंत चलाकर दिखा दे, अखिलेश राज में इन जगह की तैनाती काला पानी की सजा मानी जाती थी या फिर कोई ज्वाइन ही नहीं करता था और छुट्टी लेकर चला जाता था । बहिन जी की सरकार में आगरा के जगदीशपुरा और काजीपड़ा में कोई अगर एक बेंत चला दे आजीवन उसकी गुलामी करूंगा। सरकार चूंकि भाजपा की है इसलिए दिए जाओ मिलाकर, जाएंगे कहां, अंत में यही आएंगे क्योंकि यह गुलाम है और इतिहास गवाह है गुलामों की कभी इज्जत नहीं हुई। हमेशा द्वार पर बंधे कुत्ते जैसा हाल हुआ है किसी काल खंड को उठाकर देख लो।
प्रस्तुतिः गौरव अग्रवाल, पत्रकार, आगरा