निर्यातक प्रोत्साहन में पावर बूस्टर साबित हो रहा है डिजिटलाइजेशन : डॉ. अजय सहाय
विशेषज्ञ बोले सरकार और उद्यमियों के आपसी तालमेल से मिलेगी निर्यात को रफ्तार
आगरा। केंद्र सरकार भारत से निर्यात बढ़ाने पर जोर दे रही है और निर्यात में वृद्धि करने की दिशा में निर्यातकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कुछ ऐसे ही विचार मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के डायरेक्टर जनरल एंड सीईओ डॉ. अजय सहाय ने व्यक्त किए। मौका था फियो उत्तर प्रदेश चेप्टर द्वारा शुक्रवार को होटल लेमन ट्री में आयोजित आगरा एक्सपोर्ट कांक्लेव एवं ओपन हाउस मीट का।
कॉन्क्लेव का दीप प्रज्वलित कर शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. अजय सहाय, विशिष्ट अतिथि वाणिज्य मंत्रालय भारत सरकार के निदेशक आरके सोनी (आईटीएस), एग्जिम बैंक ऑफ इंडिया के मुंबई प्रधान कार्यालय की महाप्रबंधक तृप्ति महात्रे, फियो मैनेजिंग कमेटी सदस्य गोपाल गुप्ता, एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर, हेंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अस्थाना, एफमेक के संस्थापक अध्यक्ष दलजीत सिंह, फीयो के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
इसके बाद फियो मैनेजिंग कमेटी के सदस्य, गोपाल गुप्ता ने अपने स्वागत संबोधन में कहा, “आगरा जनपद का कुल निर्यात गत वर्ष 7 हजार करोड़ रुपये रहा। सरकार द्वारा निर्यातकों के साथ इस प्रकार के मंचों के माध्यम से संवाद स्थापित करना इस आंकड़े को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है।”
इसके बाद मुख्य अतिथि फियो के महानिदेशक एवं सीईओ डॉ. अजय सहाय ने अपने उद्बोधन में कहा कि, “भारत के निर्यात क्षेत्र ने हाल के वर्षों में रेखांकित किए जाने योग्य वृद्धि देखी है, जो सरकारी पहलों, कुशल कार्यबल और उत्पादों एवं सेवाओं की विविधता के कारण संभव हुआ है। हालांकि, वैश्विक चुनौतियाँ जैसे कि भू-राजनीतिक तनाव, आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान और बढ़ती लॉजिस्टिक और शिपिंग लागत, हमारे निर्यात क्षेत्र के लिए जटिल परिस्थितियाँ पैदा कर रही हैं। हमारे निर्यात क्षेत्र के लिए स्पष्ट रणनीति यह होनी चाहिए कि हम डिजिटलाइजेशन की पावर का अधिकतम लाभ उठाएं। ई-कॉमर्स, डिजिटल भुगतान, और डेटा विश्लेषण को अपनाकर हम नए बाजारों तक पहुँच सकते हैं, दक्षता में सुधार कर सकते हैं और लागत को घटा सकते हैं।”
“हमारे निर्यात क्षेत्र के सामने कई महत्वपूर्ण चुनौतियाँ हैं, जिनमें टैरिफ वार और ट्रांसपोर्ट की दरों में वृद्धि आज की प्रमुख चुनौतियों में शामिल हैं। हालांकि चुनौतियों के साथ कुछ अवसर भी हमें मिल रहे हैं जिनको हमें समझना होगा। इसके साथ ही, संरक्षणवाद में वृद्धि, श्रम और पर्यावरण से संबंधित गैर-व्यापार मुद्दे, व्यापार नीतियों और योजनाओं पर अनिश्चितताएँ, कौशल विकास, पुनः कौशल और उन्नति की कमी, और वैश्विक प्रतिष्ठा वाली शिपिंग लाइनों की उपलब्धता की कमी भी प्रमुख समस्याएँ हैं। इसके अलावा, अनुसंधान एवं विकास के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं है, जो कि निर्यात क्षेत्र की प्रगति में बाधक बनता है।”
“हालाँकि, भारत के लिए निर्यात में कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं, जैसे कि रुपे-इनोवाइसिंग और स्थानीय मुद्रा व्यापार, जो हमें वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करते हैं। इसके साथ ही, डिजिटल एक्सपोर्ट हब के माध्यम से आपूर्ति पक्ष की समस्याओं को हल करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। हमारे निर्यात क्षेत्र को इस समय बढ़ने और अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बनाए रखने के लिए समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हमें इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करना होगा, ताकि हम निर्यात के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जा सकें।”
एग्जिम बैंक ऑफ इंडिया के मुंबई प्रधान कार्यालय की महाप्रबंधक तृप्ति महात्रे ने निर्यातकों से जुड़ी बैंक की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में एफमेक अध्यक्ष पूरन डावर ने अपने संबोधन में बताया कि किसी भी देश के आर्थिक विकास में निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। निर्यात की दृष्टि से भारत का निर्यात प्रदर्शन लगातार बढ़ रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश की अहम भूमिका है और निर्यात का भविष्य भी सुनहरा दिख रहा है, जिससे देश को आर्थिक गति मिलेगी। भारत सरकार अगले कुछ वर्षों में 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के उद्देश्य से अपने विभागों में नीतिगत सुधार कर रही है और निर्यातकों को और अधिक सहूलतें कैसे दी जाएं, इस पर भी जोर दिया जा रहा है। जिसमें उत्तर प्रदेश का 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य निर्धारित है।
संयुक्त महानिदेशक विदेश व्यापार आर के सोनी ने विदेश व्यापार नीति के अंतर्गत डीजीएफटी भारत सरकार द्वारा निर्यात में प्रदान की जा रही विभिन्न योजनाओं के बारे में बताया एवं जिला निर्यात हब योजना के अंतर्गत निर्यात बढ़ाने व नए बाजार उपलब्ध कराने, ब्रांडिंग, अन्य विषयों पर चर्चा की, जिसे निर्यातकों ने उपयोगी कहा एवं सवाल जवाब भी किए।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे सहायक निदेशक फियो आलोक श्रीवास्तव ने निर्यातकों को दी जा रही निर्यात संबंधित सुविधाओं से अवगत कराया, निर्यात प्रक्रिया, दस्तावेज, कस्टम प्रोसीजर, व निर्यात संबंधित सुविधाओं के बारे में बताया और उनके सवालों के जवाब भी दिए, जिससे निर्यातक संतुष्ट हुए। श्री आलोक ने यह भी बताया कि भारत ने 10 मार्च 2024 को स्विट्ज़रलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड, लिंक्सटिन (India EFTA) के साथ मुक्त व्यापार समझौते कर लिए हैं, जिससे नए बाजार निर्यात की दृष्टि से निर्यातकों को मिलेंगे। यूरोप, इंग्लैंड, कनाडा से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के अंतिम चरण पर बात की जा रही है, जिससे निर्यातकों को नए अवसर व बाजार तलाशने में मदद मिलेगी। इन एग्रीमेंट्स से प्रदेश के निर्यातकों के लिए नए वैश्विक बाजार खुल जाएंगे। अलीगढ़ जनपद का कुल निर्यात लगभग 7 हजार करोड़ रुपये रहा वित्तीय वर्ष 2023-24 में। वित्तीय वर्ष 2024-25 के पहले तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ग्रोथ देखने को मिली है, जिससे निर्यात में उत्पादों की मांग बढ़ेगी।
ईसीजीसी के शाखा प्रबंधक आशीष वर्मा ने अपने संबोधन में भारत के व्यापार के वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करने और सुविधा प्रदान करने के लिए, खरीदारों, बैंकरों और देशों की योग्यता पर समय पर जानकारी प्रदान करके भारतीय निर्यातकों को उनके क्रेडिट जोखिमों के प्रबंधन में सहायता करने की बात की। भारतीय निर्यातकों को अप्रत्याशित नुकसान से बचाने के लिए पॉलिसी के रूप में लागत प्रभावी क्रेडिट बीमा कवर प्रदान किया जाता है। एसबीआई एजीएम एसएमई पुनीत शर्मा एवं एमएसएमई – डीआई आगरा के सहायक निदेशक सुशील यादव ने अपने एमएसएमई विभाग द्वारा निर्यातक प्रोत्साहन से जुड़ी योजनाओं पर जानकारी दी।
कार्यक्रम में रोमसंस ग्रुप के एमडी किशोर खन्ना, राजेश सहगल, प्रदीप वासन, राजीव वासन, ललित अरोरा, श्याम बंसल, गुलशन लांबा, अनिरुद्ध तिवारी, सीएलई के आर के शुक्ला आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
-up18News
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