आगरा। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता राजा महेंद्र अरिदमन सिंह ने उन खबरों पर चिंता जताई है, जिसमें चंबल के पानी को अन्यत्र ले जाने की कोशिशें शामिल हैं। उन्होंने कहा है कि ऐसा होता है तो राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना बंद हो जाएगी और समूची बाह तहसील के किसान तबाह हो जाएंगे। वे ऐसा नहीं होने देंगे। परियोजना को मिलने वाला 450 क्यूसेक पानी पर बाह का हक नहीं जाने देंगे।
पूर्व मंत्री ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि 1979 में उनके पिताजी राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह ने तत्कालीन जनता पार्टी की सरकार में मंत्री रहते हुए यह परियोजना मंजूर कराई थी। विपक्ष की सरकार में इस पर काम नहीं हुआ। 1997 में जब मैं मंत्री बना, इसकी जबरदस्त पैरोकारी कराकर फिर से डीपीआर बनवाई और इस परियोजना को पुनः स्वीकृत कराया।
तत्कालीन सिंचाई मंत्री ओम प्रकाश ने व्यक्तिगत रुचि लेकर इसे पूर्ण करवाया था। सिंचाई मंत्री के प्रयास से 18 महीने में ही चंबल डाल परियोजना शुरू हो गई थी। इसकी तर्ज पर मुरैना और धौलपुर में भी लिफ्ट इरीगेशन शुरू की गई। इन सबके कारण चंबल का पानी धीरे-धीरे में अपस्ट्रीम तो बढ़ गया, लेकिन डाउनस्ट्रीम में शनै: शनै: पानी घट रहा है। पानी घटने के कारण नेशनल चंबल सेंचुरी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
चंबल नहर में बंद हुई तो बाह बर्बाद हो जाएगा
राजा अरिदमन सिंह ने कहा कि चंबल के पानी में वाटर शेयरिंग के हिसाब से उत्तर प्रदेश का 10% हिस्सा है। उसमें से लिफ्ट इरीगेशन (चार पंपों के इस्तेमाल) से सात फीसदी यानी 450 क्यूसेक पानी बाह में सिंचाई व पेयजल आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। इसी कारण वहां का भूगर्भ जल अन्य ब्लॉकों से बेहतर है। अगर हमारे बाह के लिए प्रयुक्त होने वाला चंबल का यह पानी अन्यत्र ले जाया जायेगा तो चंबल डाल परियोजना बंदी के कगार पर आ जाएगी। किसान परेशान होंगे। जनता पेयजल के लिए तरस जाएगी। ऐसी स्थिति पैदा हुई तो मजबूरन हमें इसका विरोध करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि सेंट्रल वॉटर कमीशन में भी यह मुद्दा पहुंचेगा तो वहां भी नदियों के जल की उचित साझेदारी के मुद्दे पर आपत्ति होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि बेशक चंबल का पानी अन्यत्र जाए पर चंबल सेंचुरी पर संकट न आए। हमको बाह के हिस्से का 450 क्यूसेक पानी बरकरार चाहिए।
वर्षा काल में लिफ्ट इरीगेशन संभव नहीं
राजा अरिदमन सिंह का कहना है कि वर्षा काल में चंबल का पानी मटमैला होने से लिफ्ट इरीगेशन का संचालन संभव नहीं हो पाता। इसी प्रकार गर्मियों में जलस्तर 110-111 मीटर के लगभग रह जाता है। इतने जलस्तर पर भी लिफ्ट इरीगेशन प्रणाली को नहीं चलाया जा सकता। कुल मिलाकर अक्टूबर के महीने से मार्च के समापन और अप्रैल की शुरुआत तक ही इसका संचालन संभव है।
सांसद से भी की अपेक्षा
पूर्व मंत्री का कहना है कि सांसद राजकुमार चाहर की भी जिम्मेदारी है कि वे राजा महेंद्र रिपुदमन सिंह चंबल डाल परियोजना को बंद न होने दें और सेंचुरी भी प्रभावित न हो। अगर चंबल के पानी की अधिक निकासी होगी तो सेंचुरी और परियोजना दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
तालाबों के पुनर्जीवन के लिए प्रयास जारी
राजा अरिदमन सिंह ने बताया कि वे आगरा क्षेत्र में 2825 तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए भी विगत 5-6 वर्षों से लगातार प्रयास कर रहे हैं। इसके कुछ सुखद परिणाम भी आए हैं, वहीं पूरे जनपद में सरकार द्वारा अमृत सरोवर भी बनाए जा रहे हैं।
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