कहा जाता है कि इस दिन नर्क की आत्माओं को नर्क में कष्ट नहीं उठाना पड़ता क्योंकि मृत्यु के देवता यम अपनी बहन के घर भोजन करने जाते हैं। इस दिन बहन अपने भाई की आरती उतारती है और उसकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती है। इस लेख के माध्यम से हम प्राचीन काल से चले आ रहे इस पर्व के बारे में शास्त्रीय जानकारी प्राप्त करेंगे।
इस वर्ष कार्तिक शुक्ल द्वितीया (6 नवम्बर 2021) को भाई दूज है। इस दिन यम अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे; इसलिए इसका नाम ‘यमद्वितीय’ पड़ा। इस दिन का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है। अकाल मृत्यु न हो इसलिए धनतेरस, रूप चौदस और यमद्वितीया के दिन मृत्यु के देवता, यमधर्म की पूजा की जाती है। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने जाते हैं इससे नरक मे यातना भोग रहे जीवों को एक दिन के लिए राहत मिलती है। यह दिन मां के गर्भ से जन्मे जीवों को एक दूसरे के प्रति अपने स्नेह को व्यक्त करने का दिन है। इस दिन जो बहन श्री यमाई देवी से अपने भाई के लिए कुछ मांगती है, वह उसके भाव के अनुसार भाई को मिलता है। परिणामतः बहन के भाई के साथ लेन-देन का हिसाब कुछ हद तक समाप्त हो जाता है। इस दिन स्त्री की दिव्यता जागृत होती है और उसके भाई को लाभ होता है। यदि कोई भाई पूर्णकालिक साधना करता है, तो उसे आध्यात्मिक लाभ होता है, और यदि वह साधक नहीं है, तो उसे व्यावहारिक लाभ होता है। यदि भाई व्यावहारिक जीवन सम्भाल कर साधना कर रहा है तो उसे 50-50 प्रतिशत आध्यात्मिक और व्यावहारिक लाभ मिलता है।
बहन द्वारा भाई की आरती उतारने से भाई पर होने वाले परिणाम : यदि भाई संत स्तर का हो तो उसकी आरती उतारने से उसका आज्ञा चक्र जागृत होता है। भाई यदि अच्छा साधक हो, तो छाती से सिर तक आरती घुमाने से उसके स्तर के अनुसार उसके छह चक्रों में से एक चक्र जागृत होता है।
त्योहार मनाने की विधि : यमतर्पण, यमदीपदान और यम की प्रार्थना करना – अकाल मृत्यु निवारण के लिए ‘श्री यमधर्मप्रीत्यर्थ यमतर्पण करिश्ये’ ऐसा संकल्प करके यम के चौदह नामों से तर्पण करें। यह अनुष्ठान पंचांग में दिया होता है। इस दिन ही यम को दीप दान करना चाहिए। यम मृत्यु और धर्म के देवता हैं। ‘हर व्यक्ती की मृत्यु होती है’, यह जागरूकता निरंतर होनी चाहिए; क्योंकि इससे न तो मनुष्य से बुरे काम होंगे और न ही धन की बर्बादी होगी। यम को दीप दान कर के प्रार्थना करें, ‘हे यम, इस दीये की तरह, हम सतर्क हैं, जागरूक हैं। हम आपको यह दीपक, जागरूकता और प्रकाश के प्रतीक के रूप मे अर्पित कर रहे हैं, इसे स्वीकार करें। हम नहीं जानते कि आप कब आओगे; इसलिए हम अपना हिसाब-किताब समय पर रखते हैं, ताकि वह अधूरा ही छूट जाने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता न हो; क्योंकि हम जानते हैं कि आप अचानक कभी भी आ सकते हैं।’ – परम पूज्य परशराम माधव पांडे महाराज
बहन द्वारा भाई की आरती उतारना : इस दिन भाई को बहन के घर जाना चाहिए और बहन को भाई की आरती उतारनी चाहिए। यदि किसी स्त्री का कोई भाई नहीं हो, तो उसे उसने अन्य किसी परपुरुष को भाई मानना चाहिए। यदि यह संभव न हो तो भाई के रूप में चंद्रमा को मानकर उसकी आरती उतारना चाहिए। इस दिन किसी भी पुरुष ने अपने घर में पत्नी के हाथ का खाना नहीं खाना चाहिए। उसे अपनी बहन के घर जाना चाहिए और उसे भेंट स्वरूप वस्त्र, आभूषण दे कर बहन के घर भोजन करना चाहिए। यदि आपकी कोई सगी बहन नहीं हो तो किसी भी बहन या अन्य कोई स्त्री को बहन मान कर उसके यहाँ भोजन करना चाहिए।
भाई दूज के दिन बहनों को आत्मरक्षा के लिए सक्षम करें – आज कई बहनों का बलात्कार होता है, उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है। एकतरफा प्यार में कई लोगों की हत्याएं भी हुईं। यह समाज का मृतवत यानि क्षात्रधर्म हीन मानसिकता का प्रतीक है। हमें अपने आप के क्षात्रतेज को जगाकर और शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनकर अपनी बहनों की रक्षा करनी चाहिए। साथ ही, बहनों को आत्मरक्षा में खुद को सक्षम बनने के लिए प्रोत्साहित और प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है। यही उनके लिए भाई दूज का असली उपहार होगा। दिवाली के मौके पर अगर हम समाज, राष्ट्र और धर्म के लिए कुछ करने की पूरी कोशिश करेंगे तो यह त्योहार सही मायने में मनाया जाएगा।’
कु. कृतिका खत्री
सनातन संस्था, दिल्ली
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