बद्रीनाथ मंदिर

बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पूर्व कीजिए श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी के दर्शन, अंदर देखिए दुर्लभ चित्र

RELIGION/ CULTURE

भगवान बद्री नारायण मंदिर (Badrinarayana Temple, Badrinath, Uttarakhand) के कपाट 19 नवम्बर 2022 को अपराह्न 3 बजकर 15 मिनट पर 6 माह के लिए बंद कर दिए जाएंगे। हर वर्ष शीतकाल में कपाट बंद किए जाते हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड में वर्ष 2022 की चारधाम यात्रा का पूर्ण समापन हो जाएगा। बद्रीनाथ को बदरीनाथ भी लिखा जाता है। बद्रीनाथ मंदिर उत्तराखंड के बद्रीनाथ में है।

 

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि विजयादशमी पर्व के दिन बद्रीनाथ मंदिर में परंपरागत पूजा-पाठ के बाद पंचाग गणना कर कपाट बंद करने का मुहूर्त निकाला जाता है। जिसके अनुसार 19 नवंबर को अपराह्न तीन बजकर 15 मिनट पर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए 6 माह के लिए बंद कर दिए जाएंगे। चार धामों में से केवल बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद करने की ही तिथि निकाली जाती है और अन्य तीनों धामों की तिथि दिवाली के त्योहार से निर्धारित होती है।

 

पंडित गौतम ने बताया कि बद्रीनाथ धाम उत्तराखंड में अलकनंदा नदी के दाएं तट पर स्थित है। इसका मुख्य द्वार का मुख नदी की तरफ है। धार्मिक आस्था का प्रतीक यह धाम वर्ष में 6 माह बंद एवं 6 माह खुला रहता है। क्योंकि सर्दियों में भयंकर बर्फबारी की वजह से पहाड़ी रास्ते लगभग बंद हो जाते हैं। और वहां से आना-जाना कट जाता है। यह जगह केवल धार्मिक श्रद्धालुओं के लिए ही नहीं बल्कि, सैलानियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए भी धार्मिक आस्था एवम आकर्षण का केंद्र है। बद्रीनाथ का यह प्रसिद्ध मंदिर नर और नारायण नामक दो पहाड़ियों के बीच में स्थित है। बद्रीनाथ भगवान विष्णु का धाम है। जिसे बद्रीनारायण के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर समुद्र तट से लगभग 3150 मीटर ऊंचाई पर स्थित है और यह मंदिर करीब 15 मीटर ऊंचा है।

 

वैदिक सूत्रम चेयरमैन एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया बद्रीनाथ धाम में गर्भगृह स्थल में श्री हरि विष्णु की शालिग्राम शिला से बनी मूर्ति के दुर्लभ दर्शन इस न्यूज़ फ़ोटो में अवश्य करें। गर्भ गृह में मंदिर की फ़ोटो को लेना असम्भव है। उन्होंने वर्ष 2019 में 31 मई को बद्रीनाथ धाम में वीआईपी दर्शन के बाद वहां के मुख्य पुजारी से विन्रम आग्रह पर इस श्री हरि विष्णु की दुर्लभ प्रतिमा के फ़ोटो को अपने मोबाइल फोन से लिए थे।

badrinath temple
बद्रीनाथ धाम में श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी का फोटो

कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम चारों धामों में उत्तर क्षेत्र का प्रमुख तीर्थ स्थल है, केदारनाथ को जहां भगवान शंकर का विश्राम करने का स्थान माना गया है वहीं बद्रीनाथ को सृष्टि का आठवां वैकुंठ कहा गया है, जहां भगवान विष्णु 6 माह निद्रा में रहते हैं और 6 माह जागते हैं। यहां बदरीनाथ की मूर्ति शालिग्राम शिला से बनी हुई, चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में है। यहां नर-नारायण विग्रह की पूजा होती है और अखण्ड दीप जलता है, जो कि अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है।

 

एस्ट्रोलॉजर पंडित प्रमोद गौतम ने बताया कि भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति के बारे में कहा जाता है कि यह मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। कहते हैं कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के अवतार लेने तक यहां भगवान विष्णु साक्षात् दर्शन देते थे। भगवान ने अवतार धारण करने से पहले मूर्ति रूप में खुद को प्रकट कर लिया। भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को साक्षात विष्णु भगवान का स्वरूप माना जाता है

 

पंडित गौतम ने बताया कि बद्रीनाथ धाम में बद्रीनाथ की मूर्ति 1 मीटर यानी 3.3 फीट लंबी है। हिन्दू और बौद्ध धर्म के संघर्ष के दौरान मूर्ति की रक्षा के लिए इसे मंदिर के समीप स्थित नारद कुंड में छिपा दिया गया था। कहा जाता है कि 8वीं सदी में शंकराचार्य को नारदकुंड से मूर्ति की प्राप्ति हुई और उन्होंने एक गुफा में मूर्ति को स्थापित कर दिया। लेकिन यह मूर्ति फिर यहां से विलुप्त हो गयी। कहते हैं इसके बाद संत रामानुजाचार्य ने मूर्ति को फिर से स्थापित करवाया।

Dr. Bhanu Pratap Singh