बघेल की दिल्ली दौड़: कांग्रेस में दरार, भ्रष्टाचार के आरोप और जनता के धैर्य की परीक्षा

POLITICS

छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की ₹3,200 करोड़ के शराब घोटाले में गिरफ्तारी ने कांग्रेस पार्टी की एकता और नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं ।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की कार्रवाई के बाद कांग्रेस के भीतर समर्थन की कमी ने बघेल को दिल्ली की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया। रायपुर में शनिवार को हुई कांग्रेस की बैठक में उन्हें तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने स्पष्ट किया कि संगठन का ध्यान जनहित के मुद्दों पर होना चाहिए, न कि एक भ्रष्ट परिवार के बचाव में ।

इस घोटाले के अलावा, बघेल सरकार के कार्यकाल (2018–2023) में कई अन्य विवाद भी सामने आए—जैसे कि रेत खनन में अनियमितताएं, ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाले, और सरकारी योजनाओं में कमीशनखोरी के आरोप। इन सबने राज्य की आर्थिक प्रगति को बाधित किया और निवेशकों का विश्वास डगमगाया।

बघेल जिस कोयला परियोजना का आज विरोध कर रहे हैं, उसी को उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए आगे बढ़ाया था। महाराष्ट्र की सरकारी कंपनी महाजेनको को आवंटित इस परियोजना में अडानी केवल एक ठेकेदार है, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी निविदा के माध्यम से चुना गया था। यह तथ्य कांग्रेस के भीतर भी असहजता पैदा कर रहा है, क्योंकि बघेल का विरोध अब अवसरवादी प्रतीत हो रहा है।

इस बीच, कांग्रेस द्वारा 22 जुलाई को घोषित आर्थिक नाकेबंदी राज्य के व्यापार, परिवहन, आपात सेवाओं और छात्रों के हितों के विरुद्ध है। यह आंदोलन न केवल जनजीवन को बाधित करेगा, बल्कि कांग्रेस की विश्वसनीयता को भी नुकसान पहुंचाएगा।

आज छत्तीसगढ़ की जनता पूछ रही है की क्या पक्ष उन्हें राजनीतिक नाटक का शिकार बनाएगी या सरकार को दबाव में रखकर विकास की ओर ठोस कदम उठाएगी? क्या भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ और दिल्ली दोनों में कांग्रेस का समर्थन खो देंगे ?

-रजनीश पटेल ( लेखक स्वतंत्रत पत्रकार है )

लेख में लेखक के स्वयं के विचार है up18 news न समर्थन करता है न विरोध

Dr. Bhanu Pratap Singh