पढ़िए अशोक सिंघल के साथ 20 वर्ष तक साथ रहे मनोज कुमार के विचार
परमहंस रामचंद्र दास, महंत अवैद्यनाथ और कांग्रेस नेता दाऊदयाल खन्ना को भी याद करने का दिन
22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण और भगवान राम जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। यह क्षण करोड़ों सनातनियों के लिए गौरव का क्षण है। कह सकते हैं यह युग स्वर्ण युग है। राम मंदिर बनने के पीछे प्रमुख आंदोलनकारियों को आज की पीढ़ी या तो जानती ही नहीं या भूल चुकी है। इनमें अशोक सिंघल, परमहंस रामचंद्र दास, महंत अवैद्यनाथ, मुरादाबाद के कांग्रेस नेता दाऊ दयाल खन्ना प्रमुख थे। उन्होंने गुलामी की दास्तान को तोड़ने के लिए श्री राम जन्मभूमि मुक्ति के लिए आंदोलन शुरू कराने का अनुरोध राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया से किया था। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन का श्रीगणेश हुआ।
श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए हिन्दू समाज सन 1528 से ही लड़ रहा था। 1990 के दशक में यह लड़ाई सिर्फ उत्तर प्रदेश में हो रही थी। सम्पूर्ण समाज को एक सूत्र में पिरोने और इस आंदोलन से जोड़ने का काम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मोरोपंत पिंगले और अशोक सिंघल जैसे महान योद्धाओं ने किया। उस समय संत समाज बिखरा हुआ था। सभी संतों को जोड़ने का काम संघ के सरसंघचालक माधवराव सदाशिव राव गोलवलकर गुरु जी ने अशोक सिंघल को दिया। अशोक सिंघल ने चारों शंकराचार्यों और सभी मत, पंथ, सम्प्रदायों को जोड़कर धर्म संसद और केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल का निर्माण किया। आंदोलन दिन प्रतिदिन जोर पकड़ता गया। मैंने इस आंदोलन में बाल स्वयंसेवक और फिर आर.एस.एस. प्रचारक के रूप में शाखाओं का काम बढ़ाकर किया। कारसेवा में भी जाने का सौभाग्य मिला।

अशोक सिंघल जी से मेरा संबंध पिछले 20 वर्षों तक रहा। उनको मैं भगवान ही कहूंगा जिन्होंने अध्यात्मिक शक्ति का सरंक्षण कर भारत को खड़ा किया। विश्व हिंदू परिषद की पत्रिका हिंदू विश्व के संपादक वीरेश्वर ने अपने लेख में मेरा जिक्र किया है। एक बार अयोध्या जी में शिलादान का कार्यक्रम था। मैं उन दिनों बुलंदशहर विभाग संगठन मंत्री के नाते डिबाई, खुर्जा, शिकारपुर का काम देखता था। सरकार की तरफ से पूरी व्यवस्था थी कि कोई परिंदा भी अयोध्या जी में पर नहीं मार सकता। उस स्थिति में अपने क्षेत्र के लोगों को लखनऊ से अयोध्या पैदल लेकर गया। जब आंसू गैस और गोलियों की आवाज सुनाई दी तो लोग इधर-उधर हो गए और जब माननीय अशोक जी (अशोक सिंघल) शिला दान के कार्यक्रम के लिए आए, तब वहां पर हजारों की संख्या पर कार्यकर्ता खड़े हो गए.. अशोक सिंघल जी ने कहा कि आज कार्यकर्ताओं ने मेरा सिर झुकाने से बचा लिया। हिंदू समाज को विधर्मियों के आगे झुकने नहीं दिया। मैं इन कार्यकर्ताओं के दर्शन करूंगा और इनको मिलूंगा। अशोक सिंघल ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और कहा कि धर्मयोद्धा हो जो इतनी बड़ी संख्या लेकर आए। मैं 76 गांव के लोगों को लेकर गया था। राम मंदिर के निमित्त जो भी कार्यक्रम आये, सब अच्छे से किये।
अशोक जी भले ही आज हमारे बीच में नहीं है पर वे अप्रत्यक्ष रूप से राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होते देख रहे होंगे।
इसी संदर्भ में पूजनीय अशोक जी का ननिहाल घटिया आजम खां में था, जिसका नाम बदलकर अशोक सिंघल जी के नाम पर किया गया है। यह नाम बदलवाने का का सौभाग्य भी मुझे मिला। जब अयोध्या जी में राम मंदिर के लिए भूमि पूजन हो रहा था तो वहां की रज लेकर साध्वी ऋतम्भरा जी को दी। इसलिए ज़ब पूरा देश और विश्व इस अवसर पर आंनद उत्सव मना रहा है तो कैसे भूल जाऊं आगरा स्थित उनके आवास को, उनके ननिहाल को। इसलिए सभी आगरावासियों को यह शुभ अवसर मिला है कि सब मिलकर अशोक सिंघल जी की स्मृति में कार्यक्रम करें। आओ मिलकर इस आनंद और स्वर्णिम युग के निर्माण में हम और आप अपनी सहभागिता दें।

अशोक जी ने सपना देखा था कि अयोध्या, मथुरा, काशी विश्वनाथ तीनों एक साथ लेंगे। अब अयोध्या हमारी हो गई है। अयोध्या जी के तट पर यह संकल्प लें कि अब मथुरा और काशी विश्वनाथ की बारी है। मैंने साक्षात भगवान को तो नहीं देखा पर मैं अशोक सिंघल जी को भगवान मानता हूँ। क्योंकि जो धर्म का आचरण करता है, धर्म की रक्षा करता है और धर्म की स्थापना करता है वही भगवान है।
मनोज कुमार, पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री, विश्व हिंदू परिषद
राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय बजरंग दल
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