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Artificial Intelligence App ChatGPT ने माथुर वैश्य के बारे में दिया गजब जवाब, पढ़िए पूरी बात

लेख

आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI यानी कृत्रिम मेधा) का है। आजकल इसी को लेकर चैट जीपीटी की चर्चा है जो गूगल से अलग आपके प्रश्नों का सीधे-सीधे उत्तर देती है। मेरे भाई डॉ जितेंद्र नाथ कौशल ने इसी चैटजी पीटी का यूज करते हुए पूछा कि माथुर वैश्य के बारे में कुछ बता सकती हो, उत्तर पढ़िए। बातें कि चैटजीपीटी को ओपन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Open AI) द्वारा बनाया गया है। यह नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया एक चैटबॉट है।

asked artificial intelligence app ChatGpt following question here is the answer, there is no human interaction, this technology is phenomenal and will create next revolution.  JITENDRA NATH KAUSHAL

Could you write something about mathur vaishya

Mathur Vaishya, also known as Mathur Vaish, is a sub-caste within the larger Vaishya community in India. The Vaishya community traditionally consists of merchants, traders, and businessmen, and Mathur Vaishya is considered to be a prominent and affluent sub-group within this community.

The Mathur Vaishya community is primarily concentrated in the northern Indian states of Uttar Pradesh, Rajasthan, and Haryana. They are known for their entrepreneurial skills and have been involved in various trades and businesses, including textiles, jewelry, and real estate.

The Mathur Vaishya community has a rich cultural heritage, and they have contributed significantly to the fields of literature, music, and art. They have a unique language called “Mathuri”, which is a blend of Hindi, Braj Bhasha, and Marwari. The community is also known for its lavish weddings and celebrations, which are marked by traditional music, dance, and cuisine.

In recent times, the Mathur Vaishya community has expanded beyond its traditional businesses and has also become involved in the IT and services sectors. They continue to play a significant role in the economic development of India and are an important part of the country’s business and entrepreneurial landscape.

गूगल ने इसका हिन्दी अनुवाद इस तरह से किया है-

माथुर वैश्य, जिसे माथुर वैश्य के नाम से भी जाना जाता है, भारत में बड़े वैश्य समुदाय के भीतर एक उप-जाति है। वैश्य समुदाय में पारंपरिक रूप से व्यापारी, व्यापारी और व्यापारी शामिल होते हैं, और माथुर वैश्य को इस समुदाय के भीतर एक प्रमुख और समृद्ध उप-समूह माना जाता है।

माथुर वैश्य समुदाय मुख्य रूप से उत्तर भारतीय राज्यों उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में केंद्रित है। वे अपने उद्यमशीलता कौशल के लिए जाने जाते हैं और कपड़ा, गहने और रियल एस्टेट सहित विभिन्न ट्रेडों और व्यवसायों में शामिल रहे हैं।

माथुर वैश्य समुदाय की एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, और उन्होंने साहित्य, संगीत और कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी एक अनूठी भाषा है जिसे “माथुरी” कहा जाता है, जो हिंदी, ब्रजभाषा और मारवाड़ी का मिश्रण है। समुदाय अपनी भव्य शादियों और समारोहों के लिए भी जाना जाता है, जो पारंपरिक संगीत, नृत्य और व्यंजनों द्वारा चिह्नित होते हैं।

हाल के दिनों में, माथुर वैश्य समुदाय ने अपने पारंपरिक व्यवसायों से परे विस्तार किया है और आईटी और सेवा क्षेत्रों में भी शामिल हो गया है। वे भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं और देश के व्यापार और उद्यमशीलता परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।”

माथुर वैश्य समाज की पहचान अब देश में ही नहीं, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बन रही है। पहचान बनाने में हमारी अखिल भारतीय माथुर वैश्य महासभा की समाज सेवा के क्षेत्र में १३६ वर्षीय निरन्तर साधना है। हमें गौरव है कि समाज सेवा के क्षेत्र में, अपने विशाल देश में १३६ वर्ष से निरन्तर कार्य करने वाली हमारी एकमात्र राष्ट्रीय महासभा है। हमें गर्व है कि इस देश में सामूहिक विवाह समारोहों को प्रारंभ करने वाले हमारी महासभा है और यह कार्य हमने श्री राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न चारों भाइयों के सामूहिक विवाह से प्रेरणा लेकर प्रारम्भ किया। आज हमसे प्रेरणा लेकर इस देश के अन्य समाज सामूहिक विवाह कर रहे हैं और देश की अनेक राज्य सरकारें सामूहिक विवाह करा रही है।

हमें गर्व है कि मुगल सम्राट औरंगजेब की कट्टर धर्मान्धता के विरुद्ध जाट समाज के वीर गोकुला जाट को फ़ौज बनाने में हमारे राष्ट्रवादी पूर्वजों ने भामाशाह की तरह सहयोग देकर औरंगजेब से दुश्मनी मोल ली और लगभग दो सौ वर्ष हमारी पूर्वज पीढी ने कष्ट उठाये। जाट समाज की आगरा (हिन्दू धर्म रक्षक वीर गोकुला जाट, लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह, वरिष्ठ पत्रकार आगरा, मो. 9412652233) और दिल्ली से प्रकाशित ऐतिहासिक पुस्तकों ने माथुर वैश्य समाज का आभार प्रकट किया है। हमें गर्व है कि इस देश के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को हमारा समाज और हमारी महासभा आज भी पूर्ण योगदान दे रही है।

हमें गर्व है कि देश की स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वालों की हमारे समाज की एक लम्बी सूची है। “जय मातृभूमि” हमारे समाज के बच्चे – बच्चे का नारा है। हमें गर्व है देश में कम संख्या बल होते हुए भी हमारे पास डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, समृद्ध व्यापारी, कवि, पत्रकार, साहित्यकार, प्रशासनिक अधिकारियों, राजनीतिज्ञों आदि की राष्ट्र को समर्पित धरोहर है।

हम परिश्रम, सादगी और सदाचार से जीवन जीना जानते हैं। इस सबके लिए उस परमपिता परमात्मा का आभार मानते हैं। हमें गर्व है कि हम वह समाज हैं जिसका अयोध्या और मथुरा दोनों पवित्र नगरियों से सीधा आत्मिक सम्बन्ध रहा है।

हरिमोहन कोठिया

माथुर वैश्य राष्ट्रीय महासभा, आगरा

 

Dr. Bhanu Pratap Singh