अनमोल हमारी थाती है

‘अनमोल हमारी थाती है’ पुस्तक हर हिन्दू घर में होनी चाहिए

साहित्य

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Agra, Uttar Pradesh, Bharat,  India. हिन्दू धर्मग्रंथों का खूब मजाक उड़ाया जाता है। कहा जाता है कि सनातनी विज्ञान से अनभिज्ञ थे। शल्य क्रिया अंग्रेजों की देन है। पुराण कपोलकल्पित हैं। हिन्दू यहां के मूल निवासी नहीं हैं। आर्य बाहर से आए थे। हिन्दुओं ने मूल निवासियों को खदेड़ दिया तो दक्षिण में चले गए। सिन्धु से हिन्दू बना है। ऐसी अनेक धारणाएं हैं। कोई जानकारी न होने के कारण हिन्दू प्रत्युत्तर नहीं दे पाते हैं। अगर आप इसी तरह के हजारों प्रश्नों का उत्तर पाना चाहते हैं तो ‘अनमोल हमारी थाती है’ (भारत का गौरवशाली इतिहास व परम्परा) पुस्तक आपके लिए ही है। यह पुस्तक ठाकुर देवराज सिंह जादौन ने लिखी है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बृज प्रांत बौद्धिद प्रमुख हैं। उन्हें सब देवराज जी के नाम से जानते हैं। इस पुस्तक के प्रणेता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बृज प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला हैं।

‘अनमोल हमारी थाती है’ पुस्तक को सुरुचि प्रकाशन, नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है। इसमें 14 प्राचीन लिपियों के बारे में जानकारी है। ऐसी-ऐसी जानकारी है जो हर किसी को आश्चर्यित कर देती है। यह ऐसी पुस्तक है, जिसमें भारतीय संस्कृति और परंपरा से संबंधित सभी जानकारियां हैं। अलग-अलग पुस्तकें देखने की आवश्यकता समाप्त हो गई है।

अनमोल हमारी थाती है
अनमोल हमारी थाती है पुस्तक के लोकार्पण के बाद लेखक ठा, देवराज सिंह जादौन (दाएं से चतुर्थ) के साथ समूह तस्वीर।

पुस्तक लिखने का उद्देश्य

पुस्तक के बार में ठा. देवराज सिंह जादौन कहते हैं- इस ग्रंथ को लिखने का उद्देश्य केवल इतना ही है कि हमारी वर्तमान व आगामी युवा पीढ़ी को हिन्दू संस्कृति, सभ्यता, अपना प्राचीन गौरवशाली ज्ञान-विज्ञान, विश्व को भारत की देन, अपने धर्मग्रंथ, पवित्र तीर्थ क्षेत्रों आदि की जानकारी एक ही जगह प्राप्त हो सके। वे इस पुस्तक के लिए आर.एस.एस. के प्रांत प्रचारक डॉ. हरीश रौतेला, डॉ. राधा कृष्ण दीक्षित (सोरों), डॉ. तरुण शर्मा (आगरा), इतिहासकार भगवान सिंह के प्रति कृतज्ञ हैं।

कौन हैं ठाकुर देवराज सिंह जादौन

ठाकुर देवराज सिंह जादौन ने कश्मीर (देश विभाजन से पहले व बाद) पुस्तक भी लिखी है, जो काफी चर्चित रही है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं को संपादन किया है। समाज सेवा, देशाटन, स्वाध्याय व लेखन कार्य में खासी रुचि रखते हैं। उनके निजी पुस्तकालय में हजारों पुस्तकें हैं। आर.एस.एस. के प्रचारक हैं। वे इतिहास संकलन समिति बृज प्रांत के पालक अधिकारी हैं।

आनंद जी विभाग प्रचारक आरएसएस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक आनंद जी मंच पर नहीं, सामने सबके साथ विराजमान रहे।

अंग्रेजों ने भारत पर राज करने के लिए क्या किया

पुस्तक का लोकार्पण ताजगंज के होटल लोटस में किया गया। इसमें संघ के छावनी महानगर की मुख्य भूमिका रही। लोकार्पण के अवसर पर पुस्तक लेखक ठा. देवराज सिंह जादौन ने कहा-  अंग्रजों ने भारत पर राज करने के लिए भारतीयों को हिन्दूपन से गिराया, सामाजिक तना-बाना छिन्न-भिन्न कर दिया और राष्ट्रीयता का भाव समाप्त कर दिया। यह भ्रम फैलाया कि भारत की कोई संस्कृति नहीं है, यह तो ग्रीक से आई है, हिन्दू यहां के मूल निवासी नहीं हैं, आर्य बाहर से आए आक्रमणकारी हैं, भारत का कोई इतिहास नहीं है। पाठ्य पुस्तकों में भी यही पढ़ाया जाता है। वास्तविक इतिहास बताने वाला कोई नहीं है। इसी को आधार बनाकर यह पुस्तक लिखी गई है।

10वीं सदी की बात

उन्होंने बताया कि भारत की विश्व को क्या देन है, यह 26 प्रकरणों में लिखा गया है।  भारत में गणित का आविष्कार हुआ। भारत में विमान थे। चिकित्सा शास्त्र था। 10वीं सदी में राजेन्द्र चोल भारतीय संस्कृति का प्रचार करने भारत से बाहर गए और फूनान राज्य बसाया। इस तरह की भौतिक और सांस्कृतिक उपलब्धियों का विवरण पुस्तक में है। चक्रवर्ती सम्राट की कल्पना भारत में ही की गई है। भारत कीर्ति कलश नामक पुस्तक चार भागों में आने वाली है।

श्रोता
पुस्तक लोकार्पण समारोह में उपस्थित श्रोत।

स्वामी विवेकानंद का उल्लेख

इतिहासविज्ञ और इतिहास संकलन समिति बृज प्रांत के महामंत्री डॉ. तरुण शर्मा ने पुस्तक की भूमिका लिखी है। उन्होंने 1897 ईसवी में मद्रास में स्वामी विवेकानंद के व्याख्यान का उल्लेख करते हुए कहा- अतीत के गौरव की ओर देखो, पीछे चो चिरंतन झरना बह रहा है, आकंठ उसका जल पियो, उसके बाद सामने देखो औऱ भारत को उज्ज्वलतर, श्रेष्ठतर और पहले से भी ऊंचा उठाओ। अपने अतीत को पढ़कर, अपना इतिहास उलटकर, अपना भवित्वय समझकर हम करें राष्ट्र का चिंतन। हम करें राष्ट्र आराधन।

यह पुस्तक तो हर घर में होनी चाहिए

आर.एस.एस. के पदाधिकारी प्रोफेसर प्रमोद शर्मा ने कहा कि संघ के तृतीय शिक्षा वर्ग में 21 बौद्धिक होते हैं, जिनमें से 16 विषय इस पुस्तक में है। पुस्तक में 138 संदर्भ ग्रंथों का उल्लेख है। यह पुस्तक तो हर घर में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय से भारत विश्व गुरु बनेगा। छावनी महानगर कार्यवाह हरेन्द्र दुबे ने सभी का आभार प्रकट किया।

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उल्लेखनीय उपस्थिति

इस अवसर पर विभाग प्रचारक आनंद जी, राजीव, नाथूराम, मनोज, ललित, ललित दक्ष, अशोक गर्ग, ललित प्रचारक, दयाशंकर, सुनील दीक्षित, फूल सिंह सिकरवार, संजय अरोड़ा, सुनील दुबे, नंदू आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Dr. Bhanu Pratap Singh