एक मासूम की उम्मीद: आगरा में निशुल्क हड्डी रोग शिविर ने बदली बच्चे की जिंदगी

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एक बच्चे की मुस्कान, नई उम्मीद की किरण

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा। 172 जयपुर हाउस निशुल्क दिव्यांग केंद्र में हर शनिवार को लगने वाला निशुल्क हड्डी रोग शिविर न केवल चिकित्सा सेवा का केंद्र है, बल्कि यह उन मासूम बच्चों के लिए उम्मीद की किरण भी बन रहा है, जिनके सपने शारीरिक अक्षमताओं के कारण अधूरे रह जाते हैं। आगरा विकास मंच और श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के संयुक्त प्रयासों से आयोजित इस शिविर में एक चार साल के बच्चे की कहानी ने सभी का दिल छू लिया। यह शिविर बच्चों के चेहरों पर मुस्कान और उनके कदमों में ताकत लाने का प्रतीक बन चुका है।

एक मासूम की जंग: जन्मजात बीमारी से जूझता चार साल का बच्चा
शिविर में सबसे मार्मिक क्षण तब आया, जब एक चार वर्षीय बच्चे को डॉक्टरों ने नई जिंदगी की उम्मीद दी। जन्म से ही पैरों में नसों की बीमारी के कारण यह मासूम न तो खड़ा हो पाता था और न ही चल पाता था। डॉ. विभांशु जैन ने बताया कि यदि बच्चा 16 वर्ष की आयु तक नियमित रूप से कैलीपर पहनता है, तो वह पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर सामान्य जीवन जी सकेगा। इस छोटी सी उम्मीद ने बच्चे के परिवार के लिए एक नया सवेरा ला दिया।

सामूहिक प्रयास: आगरा विकास मंच की अनूठी पहल

आगरा विकास मंच के अध्यक्ष राजकुमार जैन और संयोजक सुनील कुमार जैन ने बताया कि यह शिविर श्री भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति के सहयोग से संचालित हो रहा है। इस निशुल्क दिव्यांग केंद्र पर मासूम बच्चे को कैलीपर लगाए गए ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। इस पहल ने न केवल बच्चे को शारीरिक बल दिया, बल्कि उनके परिवारों को भी भावनात्मक सहारा प्रदान किया।
शिविर की उपलब्धियां: 15 से अधिक मरीजों को मिली राहत
शिविर में 15 से अधिक मरीजों का उपचार किया गया, जिसमें दो मरीजों को घुटने के ऑपरेशन की सलाह दी गई डॉ. विनय अग्रवाल और डॉ. संध्या जैन ने अपनी निशुल्क सेवाएं प्रदान कीं, जबकि समर्पण ब्लड बैंक, जयरामदास, और अंशु जैन ने भी इस पुण्य कार्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह सामूहिक प्रयास समाज के लिए एक मिसाल है।

समाज के लिए एक प्रेरणा
राजकुमार जैन और सुनील कुमार जैन ने बताया कि आगरा विकास मंच का यह प्रयास हमें यह सिखाता है कि छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। एक चार साल का बच्चा, जो कभी अपने पैरों पर खड़ा होने का सपना भी नहीं देख सकता था, आज एक नई उम्मीद के साथ जी रहा है। यह शिविर केवल चिकित्सा सेवा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानवता, करुणा, और सामाजिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। हम सभी को इस तरह की पहलों से प्रेरणा लेकर समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान में योगदान देना चाहिए। आइए, हम सब मिलकर ऐसे प्रयासों को बढ़ावा दें, ताकि हर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान और हर कदम में आत्मविश्वास हो।

Dr. Bhanu Pratap Singh