घर के वास्तु को सही करने के साथ-साथ सेहत के ल‍िए भी बेहद गुणकारी है मधुमालती बेल – Up18 News

घर के वास्तु को सही करने के साथ-साथ सेहत के ल‍िए भी बेहद गुणकारी है मधुमालती बेल

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मधुमालती बेल के सफेद, गहरे लाल, गुलाबी और पीच कलर के रंगबिरंगे गुच्छों में लटकते फूलों ने आपका मन भी मोहा होगा। क्या आप जानते हैं कि मधुमालती के फूल रंग बदलते हैं। शुरूआती दिन में ये फूल सफ़ेद रंग के खिलते हैं। दूसरे दिन वही फूल गुलाबी रंग में बदल जाते हैं और तीसरे दिन गाढ़े लाल रंग में। वास्तव में फूलों का यह रंग बदलना विभिन्न प्रकार के कीटों को अपनी ओर आकर्षित करने की ज्यादा से ज्यादा परागण (Pollination) के लिए इस बेल की या कहें कि प्रकृति की चतुराई होती है।

अंग्रेजी में इसे रंगून क्रीपर (Rangoon creeper) या चायनीज हनीसकल (Chinese honeysuckle) भी कहते है। बंगाली में इसे मधुमंजरी, तेलुगु में राधामनोहरम, आसामी में मालती, झुमका बेल कहा जाता है। मधुमालती का बोटैनिकल नाम Combretum Indicum है।

मधुमालती की लता 2.5 से 8 मीटर ऊंचाई तक फैलती जाती है। फूल देखने में आकर्षक और मनमोहक होते हैं। मनभावन सुगंध से घर-आंगन भी महकाते हैं। मधुमालती की लता आसानी से लग जाती है और इसे खास देखभाल की जरुरत भी नहीं होती। गर्मियों में यह सघन छांव देते हैं और घर को तपती धूप से भी बचाते हैं। इसमें सफ़ेद रंग के छोटे फल भी लगते हैं जो बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं। इसके पत्ते 4-5 इंच बड़े होते हैं। मधुमालती के फूल, पत्ती, फल, जड़ से रोगों के उपचार होते हैं।

मधुमालती बेल कैसे लगाएं 

मधुमालती बेल कैसी भी मिट्टी में लगाना संभव है। बस मिट्टी में थोड़ी नमी हो लेकिन पानी रुकना नहीं चाहिए। इसकी कलम लगाना आसान है। 3-4 इंच लंबी कलम लें, जिसमें 2-3 पत्तियां हों। इस कलम का 1 इंच हिस्सा मिट्टी में दबा दें। इसे थोड़ी छाया वाली जगह रखें या फिर इसके ऊपर कुछ कवर लगा दें। दिन में दो बार थोड़ा पानी देते रहें। महंगी खाद की कतई जरूरत नहीं है। कोई भी आर्गेनिक खाद जैसे गोबर या सूखे पत्तियों की बनी खाद इसके लिए परफेक्ट है।

मधुमालती के पेड़ के हर भाग का आयुर्वेद में उपयोग

सर्दी-जुकाम हो तो मधुमालती के फूल, पत्ते का काढ़ा बनाएं। दिन में 2-3 बार पीने से लाभ होगा।

डायबिटीज की समस्या में मधुमालती के 5-6 पत्तों या फूल का रस निकालकर 4 मिली. रस दो समय पिएं।

ल्यूकोरिया के इलाज के लिए मधुमालती की पत्ती और फूल का रस पीना चाहिए।

इसकी पत्तियों को उबाल कर पीने से बुखार के दर्द में आराम मिलता है।

पेट अगर फूला हुआ लगे तो इसकी पत्ती उबालकर पीने से राहत मिलती है।

मधुमालती के फलों का काढ़ा दांत दर्द भी ठीक करता है।

इसकी पत्तियों और फल से किडनी की सूजन और जलन का उपचार किया जाता है।

मधुमालती की जड़ों का काढ़ा पेट के कीड़े निकालने में फायदा करता है। इस काढ़े से गठिया रोग में भी आराम मिलता है।

मधुमालती के वास्तु चमत्कार 

घर में अगर मधुमालती की बेल है तो अधिकांश सदस्य निरोगी ही रहेंगे।

मधुमालती जिस तरह आंखों को सुंदर लगती है हमारे जीवन में भी यह बेल बहार लेकर आती है।

मधुमालती अगर घर की बगिया में है तो नकारात्मकता बाहर ही रह जाती है घर के भीतर प्रवेश नहीं कर पाती है।

मधुमालती की बेल अगर घर के ऊपर छा रही है तो यह बुरी ताकतों से बचाव करती है।

जैसे जैसे घर पर मधुमालती बेल ऊपर की तरफ चढ़ती है या फैलती है घर के लोगों की तरक्की भी वैसे ही होती है।

मधुमालती की बेल घर में धन, सेहत, खुशियां, सौभाग्य, सुंदरता, समृद्धि, संपन्नता और सकारात्मकता के आगमन का प्रतीक है।

घर में यह बेल उत्तर दिशा या पूर्व दिशा में विशेष फलदायी है।

मधुमालती बेल रिश्तों में मधुरता लाती है, घर के सदस्यों का आपसी सम्मान बना रहता है।

इसे ऐसे समझे कि इसके फूल एक साथ ही खिलते पनपते हैं तो ऐसे ही प्रतीकात्मक रूप से यह परिवार को भी भरापूरा रहने का वरदान देती है। गुच्छों की तरह ही परिवार में एकता बनी रहती है।

रैंगून क्रीपर फ्लावर यानी मधुमालती न सिर्फ घर आंगन में बल्कि जहां तक इसकी सुगंध जाती है वहां तक वातावरण में शुद्धता और शुभता लाती है।

Dr. Bhanu Pratap Singh