आगरा: लोकसभा चुनावों के लिए जिला प्रशासन द्वारा भारी और हल्के व्यवसायिक वाहनों के अलावा निजी हल्के वाहनों का भी अधिग्रहण किया जा सकता है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा जिले के करीब चार हजार वाहनों को इस बाबत नोटिस जारी किया गया है। हालांकि उम्मीद की जा रही है कि भारी और हल्के व्यवसायिक वाहनों से ही चुनाव संबंधी कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा, तथापि निजी वाहन स्वामियों को भी अलर्ट कर दिया गया है। इनमें इनोवा, अर्टिगा और इन जैसी अन्य लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं।
नोटिस आने से निजी वाहन स्वामियों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। लोग चुनाव आयोग की वेबसाइट खोलकर अधिग्रहण की गाइड लाइन पढ़ रहे हैं।
एआरटीओ आलोक अग्रवाल ने बताया कि कमर्शियल के साथ ही प्राइवेट कार मालिकों को भी नोटिस भेजे गए हैं। वाहनों का अधिग्रहण आयोग द्वारा जारी निर्देशों के तहत ही किया जाएगा। कार मालिकों से चुनाव ड्यूटी के लिए उनकी गाड़ी, पुलिस लाइन में जमा करने को कहा गया है। चार हजार से अधिक छोटे वाहनों की चुनाव में जरूरत बतायी गई है।
अग्रवाल ने बताया कि राजकीय वाहनों की संख्या अपर्याप्त होने के कारण निजी वाहनों को भी नोटिस दिए गये हैं। क्योंकि चुनाव से लेकर काउंटिंग तक वाहनों की आवश्यकता होगी। जिले में इस बार काउंटिंग दो जगह होगी, उसे लेकर भी मांग ज्यादा है।
नोटिस में कहा है कि संबंधित मालिक गाड़ी चुनाव से एक दिन पूर्व पुलिस लाइन में प्रभारी निर्वाचन अधिकारी (यातायात) को सुपुर्द करेगा। मालिक गाड़ी को अपने खर्चे पर अच्छी हालत में रखेगा। नुकसान की सूचना जिला निर्वाचन अधिकारी को देगा। निजी वाहनों स्वामियों के पास ड्राइवर न होने की स्थिति में उन्हें खुद वाहन के साथ उपलब्ध रहना होगा।
बता दें कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 160 में चुनाव से जुड़े काम के लिए परिसर और वाहन की मांग का प्रावधान है। किसी भी मतदान केंद्र तक या वहां से मतपेटियों के परिवहन, या ऐसे चुनाव के संचालन के दौरान व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल के सदस्यों के परिवहन, या परिवहन के उद्देश्य से किसी वाहन, जहाज या जानवर की आवश्यकता होती है या होने की संभावना है तो सरकार लिखित आदेश द्वारा ऐसे परिसर, या ऐसे वाहन, जहाज या जानवर की संबंधित व्यक्ति से मांग कर सकती है।
यह पूछे जाने पर कि स्कूलों से बसों के अधिग्रहण की भांति ही ओला या उबेर जैसी व्यवसायिक कंपनियों से वाहनों की मांग क्यों नहीं की जा सकती, एआरटीओ आलोक अग्रवाल ने कहा कि यह सुझाव महानगरों के लिए तो ठीक है लेकिन, मैनपुरी, एटा, जैसे अन्य जिलों में इन कंपनियों की उपलब्धता नहीं होती है तो निजी वाहन चालकों से संपर्क करना पड़ता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत पूर्व के चुनावों में भी इस प्रकार के नोटिस जारी किए जाते रहे हैं।
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