Agra News: लापता बेटी को अदालत में पेश करे पुलिस- इलाहाबाद हाईकोर्ट

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आगरा, 13 अप्रैल। दो माह पूर्व दसवीं की छात्रा को पड़ोसी युवक बहला फुसलाकर ले गया। मां ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई लेकिन पुलिस खोजने में नाकाम साबित हुई। हर जगह गुहार लगाने के बाद भी किशोरी नहीं मिली तो चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। जिसका संज्ञान लेकर हाईकोर्ट ने किशोरी को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए पुलिस को आदेश जारी किए हैं।

यह जानकारी देते हुए नरेश पारस ने बताया कि एत्माद्दौला रहने वाली कक्षा दस की नाबालिग छात्रा को पड़ोसी युवक ने प्रेमजाल में फांस लिया। उसके आपत्तिजन फोटो खींचे। विगत 27 दिसंबर को युवक ने किशोरी के मोबाइल पर मैसेज भेजा “ले फोटो भेज दिया है इंस्टाग्राम पर सारे के सारे अब तेरे भाई के पास भेज रहा हूं ठीक है।” इससे किशोरी अवसाद में आ गई। नौ फरवरी को युवक किशोरी को बहला-फुसलाकर ले गया। किशोरी की मां ने थाना एत्माद्दौला पुलिस को व्हाट्सएप के स्क्रीनशॉट के साथ शिकायत की। पुलिस ने 87 बीएनएस में मुकदमा दर्ज कर लिया।

किशोरी के परिजनों ने आरोपी के मोबाइल फोन नंबर, यूपीआई नंबर, बैंक के खाते तथा परिजनों के नाम और मोबाइल फोन नंबर उपलब्ध कराए जिनसे उसकी लगातार बात हो रही थी। यूपीआई से लेनदेन किया जा रहा था। इसके बावजूद भी पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर किशोरी को बरामद नहीं करा सकी। किशोरी के परिजनों ने चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस से मदद मांगी। नरेश पारस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता विपिन चंद्र पाल और प्रशांत मिश्रा के माध्यम से बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका दायर कराई।

नरेश पारस ने बताया कि किशोरी को ले जाने के बाद आरोपी ने किशोरी को बालिग दर्शाकर उम्र संबंधी फर्जी दस्तावेज तैयार किए। खुद को बालिग दर्शाकर एफआईआर को खारिज कराने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं तथा उन्होंने अपनी मर्जी से एक दूसरे से विवाह किया है, अतः उपरोक्त धाराओं के अन्तर्गत कोई अपराध नहीं बनता है। मां की ओर से अधिवक्ता ने किशोरी का जन्म प्रमाण पत्र, हाईस्कूल का प्रवेश पत्र, आधार कार्ड आदि न्यायालय में दस्तावेज प्रस्तुत किए। जिस पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए पुलिस को निर्देश जारी किए कि जांच अधिकारी किशोरी का धारा 180 भादवि के अन्तर्गत बयान दर्ज करें तथा दो सप्ताह के अन्दर धारा 183 भादवि के अन्तर्गत बयान दर्ज करने के लिए सम्बन्धित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करें। यदि किशोरी निर्धारित अवधि के भीतर संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होती है, तो संबंधित मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट धारा 183 बीएनएसएस के तहत उसका बयान दर्ज करेंगे और उसकी चिकित्सा आयु का निर्धारण भी सुनिश्चित करेंगे और उसके बाद जांच अधिकारी कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करेंगे।

बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका में कहा गया कि किशोरी को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है। न्यायालय का ध्यान याचिकाकर्ता द्वारा 18 मार्च को पुलिस को दी गई शिकायत तथा याचिका में संलग्न मोबाइल के स्क्रीनशॉट की ओर आकर्षित किया। जिसकी सुनवाई करते हुए कहा कि एसएचओ एत्मादुद्दौला के माध्यम से नोटिस जारी करें कि किशोरी को अगली तिथि पांच मई को हाईकोर्ट में पेश करें। पुलिस आयुक्त, आगरा इस न्यायालय के समक्ष आरोपी के साथ किशोरी की उपस्थिति सुनिश्चित करेंगे।




Dr. Bhanu Pratap Singh