आगरा/ फ़तेहपुर सीकरी। महान सूफ़ी संत हज़रत शेख़ सलीम चिश्ती की ऐतिहासिक दरगाह में 7 अप्रैल को पीरज़ादा अरशद फ़रीदी हज़रत शेख़ सलीम चिश्ती दरगाह के 17 वें सज्जादानशीन का दायित्व संभालने जा रहे हैं। इस मौके पर सूफी समाज के साथ ही देश के तमाम धर्मों और राजनीति से जुड़े लोग मौजूद रहेंगे।
फ़तेहपुरसीकारी में इसकी पूरी तैयारी कर ली गई है। खास बात यह है कि वर्ष 1945 में ऐसा समारोह हुआ था और अब 80 साल बाद यह खास मौका आया है।
उल्लेखनीय है कि बीते साल 454 वें उर्स के अवसर पर एक विशेष और भावुक क्षण देखने को मिला था, जब हज़ारों श्रद्धालुओं, सूफ़ियों और सज्जादानशीनों की उपस्थिति में पीरज़ादा अरशद फ़रीदी को दरगाह का 17 वां सज्जादानशीन घोषित किया गया था। उस समय दरगाह के मौजूदा सज्जादानशीन हज़रत पीरज़ादा रईस मियाँ चिश्ती ने ऐतिहासिक कचहरी ख़ानकाह में आयोजित महफ़िल के दौरान अपने उत्तराधिकारी के रूप में अरशद फ़रीदी के नाम की घोषणा की थी। इस अवसर पर देश भर से आए श्रद्धालुओं ने दस्तरबंदी (पगड़ी बांधने) की रस्म में भाग लिया था।
अपने ऐतिहासिक और भावनात्मक संबोधन में हज़रत रईस मियाँ ने कहा था कि 1945 में मेरे वालिद, स्वर्गीय पीरज़ादा अज़ीज़ुद्दीन चिश्ती के इंतक़ाल के बाद मुझे सिर्फ 7 साल की उम्र में इस दरगाह का सज्जादानशीन बनाया गया था। उसी कचहरी में मेरी दस्तरबंदी हुई थी। अब मुझे गर्व है कि अपने बड़े बेटे अरशद फ़रीदी की 17 वें सज्जादानशीन के तौर पर दस्तरबंदी कर रहा हूं। मैंने 80 वर्षों तक इस चौखट की सेवा की है और मुझे पूरा भरोसा है कि अरशद भी दरगाह की परंपराओं, धार्मिक और सामाजिक मूल्यों का पालन करते हुए शाही फ़रमानों के अनुरूप इस दरगाह के निज़ाम को आगे बढ़ाएंगे।”
गौरतलब है कि बाबा शेख़ सलीम चिश्ती, चिश्ती सूफ़ी परंपरा के प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वह अजमेर शरीफ़ के ख्वाजा गरीब नवाज़ की चिश्ती परंपरा से जुड़े थे और प्रसिद्ध सूफ़ी संत हज़रत बाबा फरीद के वंशज थे। इस समारोह में शामिल होने के लिए दूर-दूर से भक्तों, सूफ़ियों और सज्जदानशीनों की भीड़ एकत्रित हो रही है। विशेष रूप से अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जदानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदींन्न अली ख़ान इस अवसर पर विशेष अतिथि के रूप में शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त देश की अन्य दरगाहों और खानकाहों के प्रमुख धर्म गुरु / सज्जादानशीन आदि की उपस्थिति से इस समारोह को और भी भव्यता प्रदान होगी ।
नए सज्जादानशीन पीरज़ादा अरशद फ़रीदी ने कहा था कि मैं अपने पिता के सान्निध्य में रहते हुए खानकाही परंपराओं को भली-भांति समझा हूं और आगे भी उन्हीं आदर्शों पर चलूंगा। यह दरगाह केवल किसी एक धर्म के लोगों की नहीं है, बल्कि यहां हर धर्म के श्रद्धालु आते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम सबका ध्यान रखें, भाईचारे को बढ़ावा दें और प्रेम व सौहार्द का वातावरण बनाए रखें। हमारा उद्देश्य है अल्लाह की कृपा प्राप्त करना, देश की उन्नति के लिए दुआ करना और इंसानियत को मजबूत करना।
इस अवसर पर विभिन्न ख़ानकाहों की ओर से दस्तरबंदी में भाग लेने वालों ने भी अरशद फ़रीदी को बधाई दी और विश्वास जताया कि वह इस महान सूफ़ी परंपरा को निष्ठा के साथ आगे बढ़ाएंगे।
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