आगरा। बैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय की पूर्व प्राचार्य और पद्मश्री योगेंद्र कला सम्मान से सम्मानित डॉ. सरोज भार्गव की तीन दिवसीय एकल चित्रकला प्रदर्शनी “कृतित्व” भव्यता के साथ सम्पन्न हुई।
प्रदर्शनी में कला प्रेमियों, शिक्षकों, छात्राओं और शहर के प्रतिष्ठित नागरिकों ने हिस्सा लिया और चित्रों की भव्यता व भावनात्मकता की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
प्रदर्शनी में प्रदर्शित पोर्ट्रेट, स्टिल लाइफ, कंपोजिशन और लैंडस्केप ने दर्शकों को डॉ. भार्गव के गहरे अंतःभावों से जोड़ दिया। रंगों की चमक, संयोजन की सटीकता और कल्पना की उड़ान ने यह स्पष्ट कर दिया कि कलाकार की कला यात्रा आज भी उतनी ही जीवंत और प्रेरणादायक है।
कला से जीवन का संवाद
इस मौके पर डॉ. सरोज भार्गव ने अपने उद्गार में कहा, कला आत्मा की भाषा है। मेरी हर रचना हृदय की गहराई से निकली अनुभूति और रंगों की साधना का परिणाम है। यह मेरा तप है, साधना है, जो जीवनपर्यंत चलती रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कला का उद्देश्य न केवल सौंदर्य का सृजन है, बल्कि भावों की सशक्त प्रस्तुति के माध्यम से पीढ़ियों को मार्गदर्शन देना भी है।
तीन दिनों तक चली इस प्रदर्शनी में कला जगत के प्रतिष्ठित कलाकारों, शिक्षकों और छात्राओं की उपस्थिति में चित्रकला पर संवाद और परिचर्चा भी हुई।
प्रदर्शनी के आयोजन में डॉ. बिंदु अवस्थी, डॉ. साधना सिंह, डॉ. विनीता, डॉ. सविता प्रसाद, डॉ. मोना सिंह, डॉ. नसरीन बेगम सहित अनेक विद्वानों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
मंच संचालन डॉ. बिंदु अवस्थी द्वारा किया गया, जबकि डॉ. साधना सिंह ने डॉ. सरोज भार्गव के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विशेष प्रकाश डाला। डॉ. सरोज भार्गव ने अंत में चित्रकला से जुड़े कई अनुभवजन्य सूत्रों को कलाकारों के साथ साझा किया और उन्हें अपनी कला साधना की झलक भी दी।
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