भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देशद्रोह क़ानून को ख़त्म नहीं किया जाना चाहिए. हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि इसके लिए दिशा निर्देश जारी करने की आवश्यकता है.
सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह देखने की ज़रूरत है कि किसकी अनुमति है और किसकी अनुमति नहीं है और इस क़ानून के तहत क्या कुछ ध्यान में रखे जाने की ज़रूरत है.
अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, आपने देखा है कि मौजूदा समय में देश में क्या हो रहा है. कल, किसी को हिरासत में लिया गया था क्योंकि वे हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहते थे, अब उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया है.”
वेणुगोपाल ने सांसद नवनीत राणा और उनके पति से जुड़े विवाद के संदर्भ में कोर्ट को सूचित किया.
सॉलिसिटर जनरल ने देशद्रोह क़ानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले में जवाब पेश करने के लिए कोर्ट से समय मांगा था.
अब सुप्रीम कोर्ट 10 मई को देशद्रोह के अपराध की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को बड़ी बेंच को सौंपे या नहीं, इस पर सुनवाई करेगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र को देशद्रोह क़ानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं का जवाब देने के लिए 9 मई तक का समय दिया है.
-एजेंसियां
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