यूपी के मथुरा में 63 वर्षीय अशोक चौधरी की फ्राइडे को मौत हो गई थी । पत्नी से तलाक हो चुका था, बच्चे थे नहीं। ऐन वक्त पर चार बहन-भाइयों में पुश्तैनी प्रॉपर्टी पाने को विवाद हो गया। इस वजह से अंतिम संस्कार रुक गया। मामला पुलिस तक पहुंचा। जब दोनों पक्ष नहीं माने तो सब इंस्पेक्टर विक्रांत तोमर ने तीन दिन बाद यानी आज रविवार के दिन चिता को मुखाग्नि दी। मथुरा में एक हफ्ते में ये ऐसा दूसरा केस है।
64 वर्षीय अधिवक्ता अशोक चौधरी के पिता ओमकार चौधरी कस्टम विभाग में अधिकारी थे। ओमकार के परिवार में पत्नी ब्रह्मा देवी, तीन बेटियां आशा, आभा और अरुणा हैं। वहीं, दो बेटे अशोक और योगेश चौधरी हैं। अरुणा के पति आईबी में हैं, वह परिवार के साथ जनकपुरी, अलीगढ़ में रहती हैं। आशा चौधरी पति के साथ द्वारिकापुरी में ही रहती हैं, वहीं आभा मेरठ स्थित ससुराल को छोड़कर मां और भाई अशोक चौधरी के साथ द्वारिकापुरी में ही रहती हैं। अशोक चौधरी की सुबह सात बजे मौत हो गई। सूचना पर भाई योगेश चौधरी उर्फ पप्पू द्वारिकापुरी पहुंचा। तीनों बहनों व मां ने आपत्ति जताई। योगेश चौधरी भाई के शव का अंतिम संस्कार खुद करने की जिद पर अड़ गया।
अशोक चौधरी का हो गया था पत्नी से तलाक, नहीं है संतान…
बहन आशा ने बताया कि अशोक चौधरी का किसी कारण से तलाक हो गया। उनको कोई संतान नहीं है। वे मां के साथ ही रहते थे। भाई के नाम पर द्वारिकापुरी में करीब 300 वर्ग गज जमीन पर मकान बना हुआ है। छोटे भाई की नीयत इस संपत्ति पर कब्जे की है।
-एजेंसी
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